झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं। नन्हे मासूमों को बचाने के लिए संघर्ष करती मांओं की चीखें आज भी परिसर में गूंज रही हैं। इस हादसे में कई बच्चों की मौत हो गई, और कई अभी तक लापता हैं। परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने उनकी जिंदगी तबाह कर दी।
झांसी अग्निकांड : मेडिकल कॉलेज की लापरवाही ने मासूमों की जिंदगी छीनी, मांओं का दर्द छलका
Nov 16, 2024 18:33
Nov 16, 2024 18:33
मांओं का दर्द
संजना, जो अपने नवजात बच्चे को खो चुकी है, कहती हैं, "मेरा पहला बच्चा था, जिंदा जल गया। हम सिर्फ देखते रहे। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने मेरे सपनों को आग लगा दी।" संतोषी भी इसी तरह का दर्द झेल रही हैं। वह कहती हैं, "डिलीवरी के बाद बच्चा नहीं रोया, झांसी मेडिकल कॉलेज ले आए। शुक्रवार रात अचानक शोर हुआ। देखा तो आग लगी थी। सभी बच्चों को लेकर भाग रहे थे, लेकिन मेरा बेटा अब तक नहीं मिला।"
अस्पताल में मेरा बच्चा नहीं रोया, यहां सब चीखें सुनाई दे रहीं
जालौन की संतोषी को उनका बेटा नहीं मिला। वो जिंदा है या नहीं, उन्हें नहीं पता। वह अस्पताल की फर्श पर बैठी रो रही हैं। कुलदीप नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि उसने चार-पांच बच्चों को बाहर निकाला, लेकिन उनके खुद के बच्चे की बचने की उम्मीद नहीं है।
हादसे के पीछे क्या वजह?
मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही को इस हादसे का मुख्य कारण माना जा रहा है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।
सरकारी कार्रवाई
इस घटना के बाद सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
समाज का दायित्व
यह घटना हमें एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने की आवश्यकता याद दिलाती है। हमें ऐसे हादसों को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे।
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