उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में बड़ा हादसा हुआ। तकरीबन 10 माह पहले महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में वर्ल्ड क्लास नीकू वार्ड बनाया गया है। जहां पर नवजात...
झांसी अग्निकांड : 10 माह पुराने वर्ल्ड क्लास NICU में आखिर क्यों प्रयोग हो रहें एक्सपायरी डेट के सिलेंडर, जानें इंतजामों की हकीकत
Nov 16, 2024 13:51
Nov 16, 2024 13:51
मौत से लड़कर लौटे 37 नवजात
भीषण आग में फंसे 37 नवजात बच्चों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। यह बच्चे मौत को मात देकर लौटे हैं। हादसे की सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं। सेना को भी बुला लिया। सेना एवं दमकल की गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हैं। दस नवजात की मौत से अस्पताल परिसर में कोहराम मचा हुआ है। नवजातों के माता-पिता भी अपने नवजातों को बचाने की गुहार लगा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रात करीब पौने ग्यारह बजे एसएनसीयू वार्ड से धुआं निकलता दिखा। वहां मौजूद लोगों ने शोर मचाया। जब तक कुछ समझ पाते, आग की लपटें उठने लगीं। कुछ ही देर में आग ने वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। वहां भगदड़ मच गई।
एक्सपायरी डेट के सिलेंडर का उपयोग
घटनास्थल पर जब जांच की गई तो यह पता चला कि आग बुझाने वाले सिलेंडर की एक्सपायरी डेट पहले ही खत्म हो चुकी थी। यह अस्पताल के सुरक्षा प्रोटोकॉल का गंभीर उल्लंघन है, क्योंकि मेडिकल और आपातकालीन सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का नियमित रूप से निरीक्षण और मरम्मत करना आवश्यक होता है। एक्सपायरी डेट के सिलेंडर से आग बुझाने की कोशिश करना एक अत्यंत खतरनाक कदम था। क्योंकि इन सिलेंडरों का दबाव और रसायन समय के साथ कमजोर हो सकते हैं, जिससे आग को सही तरीके से बुझाने में समस्या हो सकती है।
एक्सपायरी डेट के सिलेंडर का उपयोग कितना खतरनाक
नष्ट होने वाली क्षमता : जब किसी सिलेंडर की एक्सपायरी डेट समाप्त हो जाती है तो उसका दबाव और रसायन प्रभावी नहीं रहते। यह सिलेंडर आग बुझाने के लिए पर्याप्त मात्रा में गैस नहीं छोड़ पाते हैं और आग को पूरी तरह से बुझाने में असमर्थ हो सकते हैं। यदि स्थिति गंभीर हो तो सिलेंडर की अपर्याप्त क्षमता से आग बढ़ सकती है और नियंत्रण से बाहर हो सकती है।
खतरनाक परिणाम : यदि सिलेंडर में कोई लीकेज हो, या यदि वह दबाव नहीं बना पाता, तो यह और भी खतरनाक साबित हो सकता है, विशेष रूप से अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थानों पर जहां जीवित लोगों की सुरक्षा सीधे तौर पर प्रभावित हो सकती है।
लापरवाही की ओर इशारा : यह दिखाता है कि अस्पताल प्रशासन द्वारा सुरक्षा उपकरणों की सही देखभाल और नियमित निरीक्षण नहीं किया जा रहा था। एक्सपायरी डेट के सिलेंडर का उपयोग कर अस्पताल प्रशासन ने न केवल सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया, बल्कि यह नवजातों और अन्य मरीजों की जान को भी जोखिम में डाल दिया।
लापरवाही के बड़े सवाल
- अस्पताल में फायर अलार्म सेफ्टी सिस्टम लगे हुए थे, लेकिन आग लगने की घटना पर ये बज नहीं सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक अलार्म का मेंटेनेंस नहीं करवाया गया था। जिस वजह से ऐन घटना के समय बजे नहीं। नहीं तो इतनी बड़ी घटना होने से रोकी जा सकती थी।
- इसके अलावा नवजात बच्चों को NICU में रखा गया था। यहां एंट्री और एग्जिट के लिए एक ही गेट था। इसमें क्रिटिकल केयर यूनिट अंदर की तरफ थी। धुआं भर जाने की वजह से रेस्क्यू नहीं हो सका। इसी जगह फंसे बच्चों की मौत हुई। जो बाहर की तरफ थे, उन्हें बचा लिया गया।
- घटनास्थल पर मौजूद परिजन ने अस्पताल प्रशासन और मेडिकल स्टाफ पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि घटना में एक भी मेडिकल स्टाफ घायल नहीं हुआ। सभी आग लगने के समय भाग खड़े हुए। अगर भागने की बजाय तत्काल मुस्तैदी से सहायता में लगते तो घटना इतनी बड़ी नहीं होती।
अस्पताल में सुरक्षा मानकों की चूक
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज का NICU पिछले 10 महीने में स्थापित किया गया था और इसे एक आधुनिक, विश्वस्तरीय सुविधा के रूप में प्रस्तुत किया गया था। इस तरह के अस्पतालों में आमतौर पर उच्चतम स्तर की सुरक्षा व्यवस्था होती है लेकिन इस हादसे ने उन सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़ा किया है। सुरक्षा के लिए निर्धारित उपकरणों का सही ढंग से उपयोग न केवल मरीजों की सुरक्षा, बल्कि अस्पताल कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। एक्सपायरी डेट के उपकरणों का उपयोग न केवल लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि अस्पताल प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से समझौता किया है। ऐसे मामलों में सख्त नियमों का पालन और नियमित निरीक्षण अनिवार्य होता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
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