एक समय था जब मोटे अनाज को गरीबों का भोजन कहा जाता था। लेकिन आज ये अमीरों और गरीबों दोनों की थाली में जगह बना रहे हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही मोटे अनाजों की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बढ़ती मांग ने इनकी कीमतों पर क्या असर डाला है?
Jhansi News : स्वास्थ्य के लिए वरदान, जेब पर बोझ! मोटे अनाज की बढ़ती कीमतें
Jan 29, 2025 08:04
Jan 29, 2025 08:04
पिछले कुछ वर्षों में मोटे अनाजों को स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक माना जाने लगा है। इनमें मौजूद पोषक तत्वों के कारण ये पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने और कई बीमारियों से बचाने में मददगार होते हैं। यही कारण है कि अब लोग इनका इस्तेमाल खीर, रोटी, पराठा और अन्य व्यंजन बनाने में कर रहे हैं। न केवल घरों में बल्कि शादी-ब्याह जैसे समारोहों में भी मोटे अनाज से बने व्यंजन काफी पसंद किए जा रहे हैं।
स्थानीय बाजार में भी तेजी
कोटा और भांवर के स्थानीय बाजारों में मक्का, बाजरा और ज्वार की बिक्री में काफी तेजी देखी गई है। छह महीने पहले तक 25-30 रुपये प्रति किलो बिकने वाला मक्का का आटा अब 35 से 45 रुपये तक बिक रहा है। इसी तरह बाजरा 30 से 35 रुपये और ज्वार 35 से 40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
विक्रेताओं का कहना
स्थानीय विक्रेता अमित साहू का कहना है कि मोटे अनाजों की मांग अब सिर्फ सर्दियों के मौसम में ही नहीं बल्कि पूरे साल रहती है। वहीं, विक्रेता शीलू मिश्रा के अनुसार मकर संक्रांति जैसे त्योहारों के दौरान इनकी मांग और भी बढ़ जाती है। इसके अलावा, चना और गुड़ की भी काफी मांग रहती है।