सियासत में इटावा की धाक : देश में बना ऐतिहासिक रिकॉर्ड, सात सांसद पहली बार पहुंचे संसद...

देश में बना ऐतिहासिक रिकॉर्ड, सात सांसद पहली बार पहुंचे संसद...
UPT | इटावा के सांसद जो पहली बार संसद पहुंचे

Jun 08, 2024 14:54

इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करके 37 सीट पर जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। उत्तर प्रदेश के इटावा से सात सांसद पहली बार संसद पहुंचे हैं। इस बार संसद में इटावा की धाक...

Jun 08, 2024 14:54

Etawah News : इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करके 37 सीट पर जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। उत्तर प्रदेश के इटावा से सात सांसद पहली बार संसद पहुंचे हैं। इस बार संसद में इटावा की धाक है। जिले के रहने वाले नौ सांसद लोकसभा और राज्यसभा में अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब लोकसभा से सात लोग संसद पहुंचे हैं। इससे पहले राज्यसभा में जिले के दो सदस्य प्रो. रामगोपाल यादव और भाजपा से गीता शाक्य पहले से हैं। 

इटावा में गहरी हैं मुलायम परिवार की जड़ें
इटावा में मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार की पकड़ पहले से ही अच्छी रही है। लेकिन, इस बार संसद में इटावा सबसे मजबूत है। अकेले सैफई से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के परिवार से ही वह स्वयं और कन्नौज से उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से सांसद चुनी गई हैं। इसके अलावा आजमगढ़, फिरोजाबाद और बदायूं से उनके चचेरे भाइयों ने संसद का रास्ता तय किया है। इटावा से सांसद जितेन्द्र दोहरे के साथ ही एटा सांसद देवेश शाक्य भी इटावा के निवासी हैं, जिन्होंने संसद तक अपनी पहुंच बनाई है।

अखिलेश यादव
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेटे और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। अखिलेश यादव मुलायम सिंह के परिवार के सबसे बड़े बेटे हैं। जिन्हें कई लोग टीपू भी कहते हैं। अखिलेश यादव साल 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। अखिलेश 38 साल की उम्र में ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे। 2022 में विधानसभा करहल से विधायक बने थे। विधानसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता भी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में वह कन्नौज से चुनाव लड़े और लगभग 1.70 लाख वोटों से जीत दर्ज की। 

डिंपल यादव
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पुत्र वधु और अखिलेश यादव की पत्नी हैं। साल 2012 में वह कन्नौज में हुए उपचुनाव में निर्विरोध सांसद बन चुकी हैं। 2022 में मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी में हुई रिक्त सीट से उपचुनाव में सपा की तरफ से उन्होंने चुनाव लड़ा और वह लगभग 2.21 लाख वोटों से जीत गईं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सपा ने उन्हें ही चुनाव लड़ाया और इस बार उन्होंने 2.88 लाख वोटों से जीत दर्ज की है।

धर्मेंद्र यादव
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई अभयराम यादव के बेटे हैं। अभयराम यादव राजनीति से दूर हैं और वह गांव में खेती-बाड़ी का काम देखते हैं। मुलायम सिंह यादव ने 2004 में अपने पैतृक सीट मैनपुरी देकर पहली बार धर्मेंद्र यादव को सांसद बनाया था। इसके बाद वह एक बार मैनपुरी और एक बार बदायूं के सांसद रहे। 2019 में मोदी लहर के दौरान उन्हें बदायूं से हार का सामना करना पड़ा था। 2024 में उन्होंने आजमगढ़ में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को कुल 1,61,035 वोटों से हरा कर जीत दर्ज की।

अक्षय यादव
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई होने के साथ ही सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल के बेटे हैं। अक्षय 2014 से 2019 तक फिरोजाबाद से सांसद रह चुके हैं। 2019 में भी सपा ने फिरोजाबाद से उन्हें प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उस समय परिवार में पड़ी फूट की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2024 में भी सपा ने उन्हें फिरोजाबाद से ही टिकट दिया और उन्होंने 89,312 वोटों से जीत दर्ज की। 

आदित्य यादव
आदित्य यादव सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के बेटे हैं। सपा ने इस बार बदायूं में कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देखकर शिवपाल सिंह यादव को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था। शिवपाल सिंह यादव के मैदान में आने के बाद बदायूं के लोगों की नाराजगी को दूर किया। लेकिन, कुछ दिन बाद ही पार्टी की ओर से शिवपाल के स्थान पर आदित्य यादव को टिकट दे दिया गया। आदित्य ने यहां से बहुत मुश्किल से खींचतान के लगभग 35 हजार वोटों से जीत दर्ज की है।

जितेंद्र दोहरे
महेवा ब्लाक के सुनवर्षा गांव के मूल निवासी हैं। लगभग 20 साल से वह शहर में ही घर बनाकर रह रहे हैं। जितेंद्र दोहरे पहले वह बसपा में थे। 2005 से लेकर 2020 तक बसपा में जिलाध्यक्ष, जिला महासचिव समेत तमाम पदों पर रहे हैं। 2020 में वह सपा में शामिल हुए। इससे पहले उनकी पत्नी ने साल 2018 में हुए चुनावों में सपा के टिकट से महेवा ब्लॉक प्रमुख के रूप में जीत दर्ज की थी। 2024 में सपा ने उन्हें सांसद का टिकट दिया था। उन्होंने लगभग 58 हजार वोटों से जीत दर्ज की है।

देवेश शाक्य
बसपा सरकार में 2002 में बिधूना से विधायक और बाढ़ सहायता मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहे विनय शाक्य के भाई हैं। देवेश शाक्य भी मूल रूप से शुरुआत से ही बसपा में रहे हैं। 2017 में दोनों भाई (देवेश शाक्य, विनय शाक्य) भाजपा में आ गए थे। 2022 में बदलाव करके स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ दोनों भाई सपा में आ गए थे। तब से वह यहीं हैं। देवेश शाक्य दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। 2012 में विधायक का चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं मिली थी। 2024 में सपा ने उन्हें एटा से प्रत्याशी बनाया था और उन्होंने लगभग 30 हजार वोटों से जीत दर्ज की है।

प्रो. रामगोपाल यादव
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई और प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव हैं। वह सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। मुलायम सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सपा में राजनीति की शुरुआत की है। वर्तमान में सपा की ओर से राज्यसभा में 1992 से सांसद हैं। वे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। 23 अक्टूबर 2016 को, उन्हें समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और चचेरे भाई शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था। हालांकि बाद में, उन्हें पार्टी में स्वीकार कर लिया गया। 30 दिसंबर 2016 को समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने उन्हें छह साल के लिए फिर से पार्टी से निष्कासित कर दिया, लेकिन अगले दिन संवैधानिक आधार पर पार्टी द्वारा निष्कासन रद्द कर दिया गया। 

गीता शाक्य
औरैया के बिधूना के हमीरपुर गांव में जन्मीं गीता शाक्य का भरथना क्षेत्र के सिन्हुआ गांव में शादी हुई थी। शिक्षिका गीता शाक्य सन 2000 में राजनीति में सक्रिय हुईं और पहली बार प्रधान बनीं। एक बार बिधूना से विधायकी का चुनाव हारने के बाद वह भाजपा में चली गईं थीं। इसके बाद वह दो साल तक जिला औरैया की भाजपा जिलाध्यक्ष रहीं। इस समय प्रदेश की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद हैं।

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