कानपुर में पिता पर लिखाए गए फर्जी गैंगरेप के मुक़दमें की पैरवी कर बेटे और बेटी ने पिता पर लगे कलंक को मिटा दिया। पिता को बचाने के लिए बेटे और बेटी ने वकालत की पढ़ाई की। वकालत नामा लगाकर कोर्ट में बहस कर अपना पक्ष रखा। पिता को दोषमुक्त कराने का काम किया है।
कानपुर में 11 साल पहले नाबालिग ने दुष्कर्म का दर्ज कराया था झूठा मुकदमा : बेटा और बेटी ने वकील बनकर पिता को दिलाया न्याय, जानें क्या था पूरा मामला
Nov 30, 2024 18:45
Nov 30, 2024 18:45
- पिता को दुष्कर्म के आरोपों से बचाने के लिए भाई-बहन बने अधिवक्ता
- 11 साल पहले गैंगरेप का दर्ज हुआ था झूठा मुकदमा
- बेटे ने अपना वकालतनामा लगाकर बहन की मदद से मुकदमा लड़कर पिता को दोषमुक्त कराया
सामूहिक दुष्कर्म के झूठे आरोप में फंसे तीन आरोपियों को अतिरिक्त विशेष न्यायधीश पॉक्सो एक्ट योगेश कुमार की अदालत ने दोष मुक्त कर दिया। इसी मुक़दमें में पीड़िता और उसके परिवार को धमकाने की आरोपी महिला को बरी कर दिया। जबकि एक आरोपी की इस मुक़दमें में मौत भी हो चुकी है।
कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ था मुकदमा
बिठूर थाना क्षेत्र के सूबेदार नगर निवासी अरुण गोस्वामी, ब्राह्मनगर नगर निवासी दीपू गुप्ता और रमेल नगर निवासी अनिल कुमार गौड़ पर क्षेत्र की 14 वर्षीय नाबालिग को घर में अकेला पाकर गैंग रेप करने का आरोप लगा था। पिता ने कोर्ट के आदेश पर 25 मार्च 2013 को बिठूर थाने में पांच लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
एक आरोपी की मौत
जिसमें रिपोर्ट दर्ज कराने जा रही पीड़िता और उसके माता-पिता को रोककर अरुण उसकी मां तपेश्वरी, पिता दयाशंकर द्वारा धमकाने का आरोप लगाया गया था। मुक़दमें की सुनवाई के दौरान दयाशंकर की मौत हो गई। जबकि सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर कोर्ट ने बाकी चारों को दोषमुक्त करार दे दिया।
बेटा-बेटी को बनाया वकील
अरुण कुमार गौड़ ने दुष्कर्म का आरोप लगने के बाद अपने बेटे ऋषभ गौड़ और बेटी उपासना गौड़ को वकालत की पढ़ाई कराई। दोनों को वकील बनाया, पिता पर लगे कलंक को हटाने के लिए बेटे और बेटी को खड़ा कर दिया। ऋषभ ने कोर्ट में अपना हालफनामा लगाया। बहन उपासना की मदद से ऋषभ ने पिता को बेगुनाह साबित करने के लिए लड़ाई लड़ी।
पैरवी कर दिलाया न्याय
कोर्ट के समक्ष बहस की, अपना पक्ष रखकर पिता को दोषमुक्त करा दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज त्रिवेदी ने बताया कि अभियोजन पक्ष घटना को साबित नहीं कर सका, जिसकी वजह से तीनों को बरी कर दिया गया। एक साल तक अरुण गोस्वामी, अनिल कुमार, दीपू गुप्ता एक साल तक जेल में रहे। अनिल कुमार गौड़ ने अपने दोनों बच्चों को वकील बनाया। जिन्होंने पैरवी कर पिता को दोषमुक्त कराया।
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