Kanpur News : सीएसजेएम कानपुर में होगी जैन शोध पीठ की स्थापना, प्रेसवार्ता के दौरान की गई घोषणा

सीएसजेएम कानपुर में होगी जैन शोध पीठ की स्थापना, प्रेसवार्ता के दौरान की गई घोषणा
UPT | प्रेसवार्ता के दौरान घोषणा करते हुए।

Jun 20, 2024 02:26

धर्म और अध्यात्म की भूमि भारत में अनेकानेक सभ्यतायें संस्कृतियाँ विकसित हुई, जिन्होंने भारतीय समाज को सम्यक दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कालान्तर में अतीत की यह कीमती धरोहर संरक्षण, सम्यक् संवहन और …

Jun 20, 2024 02:26

Kanpur News : धर्म और अध्यात्म की भूमि भारत में अनेकानेक सभ्यतायें संस्कृतियाँ विकसित हुई जिन्होंने भारतीय समाज को सम्यक दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कालान्तर में अतीत की यह कीमती धरोहर संरक्षण, सम्यक् संवहन और समेकित विमर्श के अभाव में धूमिल हो गयी। 

अन्य विषयों के अलावा प्राच्य विद्याओं के अध्ययन पर व्यापक जोर
नैक ए प्लस प्लस ग्रेड और यूजीसी कैटेगरी वन छत्रपति शाहू जी विश्वविद्यालय कानपुर में अन्य विषयों के अलावा प्राच्य विद्याओं के अध्ययन पर व्यापक जोर दिया जा रहा है। इस क्रम में अध्यात्म के क्षेत्र में अप्रतिम कार्य करने हेतु विश्वविद्यालय में एक जैन शोध पीठ की स्थापना निर्णायक श्रमण मुनिपुंग व 108 श्री सुधासागर द्वारा की जा रही है।

नामंकरण पूज्य संतशिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के नाम पर किया गया है
 जिसका नामंकरण पूज्य संतशिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के नाम पर किया गया है। इसको लेकर आज एक प्रेसवार्ता का भी आयोजन हुआ। प्रेसवार्ता के दौरान विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार अवस्थी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह पीठ जैन साहित्य के विषद् अघ्ययन, उनकी पूजा पद्धतियों और ज्ञान को समाज में प्रचारित तथा प्रसारित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगी। 
इस शोधपीठ के प्रमुख निम्न उद्देश्य भी है -
(क) पीठ द्वारा जैन दर्शन तथा इतिहास सम्बन्धित प्राकृत/पाली भाषाओं के उत्थान हेतु पाठ्यक्रमों को विकसित कर, उनका विधिवत् संचालन कराना।
(ख) जैन गणित तथा इतिहास के प्रचार हेतु पाठ्यक्रमों को विकसित कर उनका विधिवत् संचालन कराना।
(ग) उपरोक्त सभी पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय के नियमानुसार सर्टिफ़िकेट/डिप्लोमा/ स्नातक/परास्नातक स्तर पर वैकल्पिक या मुख्य विषय के रुप में संचालित कराना।
(घ) जैन धर्म, दर्शन तथा इतिहास पर शोध करने वाले शोधार्थियों को प्रोत्साहित करना।
(ड) जैन धर्म, दर्शन तथा पूजा आदि को पढ़ने वाले या शोध करने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति के माध्यम से प्रोत्साहित करना।

अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत,  कर्मसिद्धांत आदि मानवीय मूल्यों और शिल्प, वास्तु, आयुर्वेद, भूगोल,  योग,  खगोल,  ज्योतिष,  पदार्थ विज्ञान, आहार विज्ञान आदि विज्ञानों तथा कलाओं का साहित्य जैन आगम के अन्तर्गत विश्वविद्यालय छात्रों को विशेष रूप से पढ़ाया जायेगा। 

जैन साहित्य अधिकतर प्राकृत भाषा में लिखा गया है
उन्होंने बताया कि जैन साहित्य अधिकतर प्राकृत भाषा में लिखा गया है, जिन्हें जैन आगम अथवा जैनश्रुतांग कहा जाता है। सभ्यता के विकास के साथ-साथ भाषाएं भी विकसित होती गयीं और प्राकृत भाषा अपना स्थान खोती गयीं। इसका सबसे बड़ा नुकसान प्राचीनतम संस्कृतियों को हुआ क्योंकि इनके ज्ञान के आभाव में प्राचीन सांस्कृतिक और व्यावहारिक ज्ञान आधारित समृद्ध जीवनशैली पर प्रामाणिक शोध नहीं हो पा रहे हैं जबकि बढ़ती पारस्परिक वैमनस्यता, क्षेत्रीय विस्तारवाद की आकांक्षा, पर्यावरण-असंतुलन, मौसमी अनियमितता तथा जल संचयन इत्यादि के क्षेत्र में हमारे पूर्वजों की गहरी समझ रही है, जो कि प्राचीन जैन साहित्य के द्वारा शोध और अनुसन्धान करके इन विषयों पर सर्वग्राही नीतियां बना कर एक बेहतर जीवन पद्धति द्वारा मानवता की सेवा की जा सकती है।

शोधार्थियों को प्रोत्साहन देकर इसको रोजगारपरक बनाया जाए
छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय तथा कानपुर दिगम्बर जैन समाज द्वारा स्थापित आचार्य विद्यासागर सुधासागर जैन शोध पीठ द्वारा ये पहल की जा रही है कि औपचारिक शिक्षा के साथ इस विषय को ऐच्छिक विषय के रूप में विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित करके तथा शोधार्थियों को प्रोत्साहन देकर इसको  रोजगारपरक बनाया जाये तथा समय के साथ भविष्य में इस विषय के अध्ययन और अध्यापन, शोध और प्रयोग के क्षेत्र में सम्पूर्ण देश में एकरूपता तथा समन्वयता लाने के लिए भी प्रयास किया जाएगा। विभिन्न प्राकृत भाषा तथा जैन दर्शन पाठ्यक्रमों का अध्यापन तथा शोध कार्य इस पीठ के अंतर्गत मुख्य कार्य होंगे तथा इस पीठ के अंतर्गत चलने वाले पाठ्यक्रमों के लिये डिग्री/डिप्लोमा तथा अन्य किसी भी प्रकार के वैकल्पिक विषय के प्रमाण पत्र छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा प्रदान किये जायेंगे जो  विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों को प्रोत्साहन के साथ साथ भविष्य में जीविकोपार्जन हेतु उपयोगी सिद्ध होंगे। 

विश्वविद्यालय के वही जन्होने कहा कि कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने नैक ए प्लस प्लस ग्रेड प्राप्त किया है और यूजीसी की वर्ग 1 की श्रेणी में अपना नाम दर्ज कराया है। इस जैन शोध पीठ की स्थापना के पीछे उनकी आध्यात्मिक और तकनीकी सोच ही प्रभावी रही है। जिसके माध्यम से यह विश्वद्यिलय भारतीय ज्ञान परम्परा के अध्ययन और शोध में सर्वोच्च स्थान बनाने में भी सफल रहा है। इस पीठ का शुभारम्भ मुनिपुंगव 108 सुधासागर द्वारा 20 जून 2024 को शुभ मुहूर्त पर दोपहर 1 बजे विश्वविद्यालय के सीनेट हाल सभागार में कुलपति द्वारा भव्य समारोह में संपन्न होगा।

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