कॉलेज के प्रधानाचार्य ने शंकराचार्य जी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक व अनुकरणीय प्रसंगों को मंच के साथ साझा किया। उन्होंने आदि शंकराचार्य को भारत की सांस्कृतिक एकता का सबसे प्रमुख प्रतिनिधि बताया।
व्याख्यानमाला का आयोजन : वक्ता बोले- भारत की सांस्कृतिक एकता के सबसे प्रमुख प्रतिनिधि थे जगद्गुरु शंकराचार्य
Mar 20, 2024 20:37
Mar 20, 2024 20:37
कॉलेज के प्रधानाचार्य ने शंकराचार्य जी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक व अनुकरणीय प्रसंगों को मंच के साथ साझा किया। उन्होंने आदि शंकराचार्य को भारत की सांस्कृतिक एकता का सबसे प्रमुख प्रतिनिधि बताया। व्याख्यान के विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए डॉ. प्रत्यूष वत्सला द्विवेदी ने कहा कि आदि शंकराचार्य जी द्वारा की गई एकात्म की संकल्पना हमारे वर्तमान व भविष्य के लिए धरोहर है। व्याख्यानमाला में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. विनोद पांडेय व प्रो. जयशंकर पांडेय मौजूद थे।
प्रो. विनोद पांडेय ने कहा कि जिस समय भारतीयता और हिंदुत्व की जड़ें चरमरा रही थी, उस समय आदिगुरु द्वारा सनातन धर्म की पुनर्स्थापना उनका एक महान योगदान है। व्याख्यानमाला को आगे बढ़ाते हुए प्रो. जयशंकर पांडेय ने कहा कि शंकराचार्य जी ने हिंदुत्व को पौराणिक धर्म से मोड़कर उपनिषदों की ओर उन्मुख कर दिया और उसको एक दार्शनिक धरातल पर व्याख्यायित किया।
व्याख्यानमाला की मुख्य अतिथि प्रो. निरुपमा त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में बताया कि शंकराचार्य जी ने शास्त्रार्थ और तार्किक पद्धति से वेदांत की ऐसी जीवंत व्याख्या कि जिससे वेदांत अपने नए संदर्भों को परिभाषित करते हुए सर्वाधिक मानवीय प्रतीत होने लगा। व्याख्यानमाला में महाविद्यालय के शिक्षक प्रो. विजय खरे, प्रो.शैलेंद्र कुमार शुक्ला, प्रो. आरके त्रिपाठी, प्रो. पीएस त्रिपाठी, प्रो. नीलम वाजपेई, प्रो. रंजना श्रीवास्तव, प्रो. राजीव सिंह, डॉ. अनिता सिंह, डॉ. गौतम हाल, डॉ. अनीता निगम, डॉ. अनुपम दुबे, डॉ. महेंद्र कुमार, डॉ. ज्ञान प्रकाश, डॉ. मोनिका गुप्ता, डॉ. मंजू भास्कर, श्री शिवनारायण सिंह आदि उपस्थित रहे।
Also Read
27 Nov 2024 07:52 PM
कानपुर के आईआईटी संस्थान में आज भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मनाया गया।इस दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के विधिक प्रकोष्ठ (Legal Cell) ने संविधान की प्रस्तावना का संयुक्त पाठ आयोजित किया। और पढ़ें