चंद्रशेखर ने सीएम योगी से यह भी पूछा कि यदि अनुसूचित जाति के लोग 'हरिजन' हैं, तो बाकी लोग किस 'हरि' के जन हैं?" इस सवाल के जरिए उन्होंने मुख्यमंत्री की बयानबाजी पर एक गहरा प्रश्नचिह्न लगाया, जिसे लेकर दलित समुदाय और उनके समर्थकों में आक्रोश भी देखा जा रहा है।
मायावती के बाद चंद्रशेखर ने 'हरिजन' पर जताया विरोध : सीएम योगी पूछा- इस शब्द के प्रयोग से हिंदू खतरे में नहीं आता?
Nov 01, 2024 17:12
Nov 01, 2024 17:12
सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया
चंद्रशेखर ने शुक्रवार को एक लंबे पोस्ट के जरिए एक्स पर अपने विचार रखे। उन्होंने लिखा, 'बटेंगे तो कटेंगे' का नारा देने वाले मुख्यमंत्री, खुद समाज को सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आधार पर 'हरिजन' और 'गैर-हरिजन' में बांट रहे हैं।' चंद्रशेखर का सवाल है कि क्या सीएम का यह बयान हिंदू समाज की एकता को कमजोर नहीं करता है?
'हरिजन' शब्द का प्रयोग संवैधानिक निर्णयों का उल्लंघन
चंद्रशेखर ने इस बयान के बाद यह भी याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने 1982 में ही सभी राज्य सरकारों को 'हरिजन' शब्द का उपयोग बंद करने की सलाह दी थी, ताकि अनुसूचित जातियों का सम्मान बना रहे। इसके बाद, 2010 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस पर पाबंदी लगाते हुए इसे अपमानजनक करार दिया। इतना ही नहीं, न्यायालय ने भी 'हरिजन' शब्द के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था।
मुख्यमंत्री से संवैधानिक ज्ञान पर सवाल
चंद्रशेखर ने सवाल किया क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को इन निर्णयों की जानकारी नहीं है, या वे जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि 'हरिजन' शब्द का प्रयोग करना अनुसूचित वर्ग के लोगों के लिए अपमानजनक हो सकता है और यह महात्मा गांधी और डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के विचारों के विपरीत है।
चुनावी रैलियों में "बटेंगे तो कटेंगे" का नारा देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी खुद सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक मंच पर समाज को 'हरिजन" और 'गैर हरिजन' में बांट रहे हैं। क्या इस 'हरिजन"शब्द के प्रयोग से उनका तथाकथित हिंदू खतरे में नहीं आता?
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) November 1, 2024
जबकि 1982 में केंद्र सरकार ने… pic.twitter.com/Vh51XZlKYX
डॉ. अंबेडकर का 'हरिजन' शब्द पर विरोध
चंद्रशेखर ने गांधीजी के द्वारा दिए गए 'हरिजन' शब्द पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर ने इसे एक अपमानजनक शब्द मानते हुए इसका कड़ा विरोध किया था। उनका मानना था कि समाज को इन आधारों पर बांटना जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देता है, और इसी मुद्दे पर उन्होंने जीवनभर संघर्ष किया।
'हरिजन' की परिभाषा पर मुख्यमंत्री से सवाल
चंद्रशेखर ने सीएम योगी से यह भी पूछा कि यदि अनुसूचित जाति के लोग 'हरिजन' हैं, तो बाकी लोग किस 'हरि' के जन हैं?" इस सवाल के जरिए उन्होंने मुख्यमंत्री की बयानबाजी पर एक गहरा प्रश्नचिह्न लगाया, जिसे लेकर दलित समुदाय और उनके समर्थकों में आक्रोश भी देखा जा रहा है।
मायावती भी 'हरिजन' शब्द पर जता चुकी हैं आपत्ति, कहा बाकी लोग शैतान की औलाद?
इससे पहले बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती भी 'हरिजन' शब्द पर आपत्ति जता चुकी हैं। उन्होंने हरियाणा में एक चुनावी सभी के दौरान जातिवाद को बढ़ावा देने वालों को संविधान के खिलाफ काम करने वाला बताया और एससी-एसटी समुदाय के लिए हरिजन' शब्द के उपयोग पर आपत्ति जताई मायावती ने इसे अपमानजनक करार दिया। उन्होंने कहा कि जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए सभी को संविधान के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। बसपा सुप्रीमो ने 1997 के एक सम्मेलन का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने हरिजन' शब्द का प्रयोग करने पर सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि 1977 में जब वह कानून की पढ़ाई कर रही थीं, तब दलित वर्ग और अनुसूचित जाति जनजाति के लोग देश भर में नाराज थे। उस समय दिल्ली में 'जाति तोड़ो सम्मेलन' हुआ, जिसमें उन्हें भी बोलने के लिए बुलाया गया। मायावती ने कहा कि वहां जनता पार्टी के नेता बार-बार हरिजन' शब्द का प्रयोग कर रहे थे। तब मैंने उन्हें स्पष्ट किया कि यदि हम सकारात्मक रूप में लें तो 'हरि' का मतलब ईश्वर होता है, तो क्या बाकी लोग शैतान की औलाद हैं? मायावती ने कहा कि इस पर जनता पार्टी के नेताओं ने माफी मांगी और सहमति जताई कि संविधान के अनुसार एससी, एसटी और ओबीसी शब्दों का प्रयोग करना अधिक उचित होगा।
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