इस वर्ष विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम है "आइए अपनी प्रतिबद्धताओं पर काम करें: बाल श्रम को समाप्त करें।" यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विट कर अपने विचार साझा किए हैं।
Lucknow News : सीएम योगी का विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर संदेश -बाल अधिकारों की रक्षा, हमारी प्रतिबद्धता
Jun 12, 2024 10:56
Jun 12, 2024 10:56
सीएम योगी ने बुधवार को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर जनता को संदेश दिया है। सीएम ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया- "बच्चे विकसित भारत का आधार हैं, उनके सर्वांगीण विकास में ही राष्ट्र का उत्कर्ष है। आइए, आज 'विश्व बाल श्रम निषेध दिवस' के अवसर पर बाल श्रम के विरुद्ध जन-जागरूकता का संकल्प लें। बाल अधिकारों की रक्षा, हमारी प्रतिबद्धता है।" दरअसल बाल श्रम एक सामाजिक बुराई है जो बच्चों और समाज के विकास को खतरे में डालती है। बाल मजदूरी को रोकना हर सभ्य समाज का कर्तव्य है।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2024 थीमबच्चे विकसित भारत का आधार हैं, उनके सर्वांगीण विकास में ही राष्ट्र का उत्कर्ष है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 12, 2024
आइए, आज 'विश्व बाल श्रम निषेध दिवस' के अवसर पर बाल श्रम के विरुद्ध जन-जागरूकता का संकल्प लें।
बाल अधिकारों की रक्षा, हमारी प्रतिबद्धता है। pic.twitter.com/hI17x6EA7f
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2024 की थीम है 'आइए अपनी प्रतिबद्धताओं पर काम करें: बाल श्रम को समाप्त करें।'
हर साल 12 जून को मनाया जाता है दिवस
आपको बता दें कि हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस हमें बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए सचेत करता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत की थी, ताकि बाल श्रम को खत्म करने के लिए आवश्यक कार्रवाई और प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। यह दिन बाल श्रम के मुद्दे को उजागर करने तथा बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सरकारों, नियोक्ताओं, श्रम संगठनों और समाज को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है।
218 मिलियन बच्चे बाल श्रम में लगे
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार , आज भी दुनिया भर में 218 मिलियन बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं, जिनमें से कई पूर्णकालिक हैं। वे स्कूल नहीं जाते हैं और उनके पास खेलने के लिए बहुत कम या बिल्कुल भी समय नहीं होता है। कई बच्चों को उचित पोषण या देखभाल नहीं मिलती है। कुछ देशों में, बच्चों को खतरनाक वातावरण, गुलामी या अन्य प्रकार के जबरन श्रम में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों पर बाल श्रम के विनाशकारी प्रभाव की याद दिलाता है। इसका उद्देश्य इस वैश्विक समस्या के बारे में जागरूकता फैलाना है जो बच्चों के विकास और कल्याण पर भारी असर डालती है।
उत्तर प्रदेश में स्थिति चिंताजनक
भारत में बाल श्रम के बारे में स्पष्ट आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 5-14 वर्ष आयु वर्ग के एक करोड़ से अधिक बच्चे बाल श्रम के दलदल में धकेले गए हैं। अनुमान है कि उत्तर प्रदेश में 2.1 मिलियन बाल श्रमिक हैं तथा बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश को मिलाकर भारत में कुल कार्यरत बच्चों में से लगभग 55% यहीं पर हैं। सबसे ज्यादा बाल मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं। उत्तर प्रदेश में 21.5 फीसदी यानी 21.80 लाख और बिहार में 10.7 फीसदी यानी 10.9 लाख बाल मजदूर हैं। राजस्थान में 8.5 लाख बाल मजदूर हैं।
हालांकि, अच्छी खबर यह है कि 2001 से 2011 के बीच भारत में बाल श्रम की घटनाओं में 2.6 मिलियन की कमी आई है। यह गिरावट ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक दिखाई दी, जबकि शहरी क्षेत्रों में बाल श्रमिकों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो निम्नस्तरीय नौकरियों में बाल श्रमिकों की बढ़ती मांग को दर्शाता है। बाल श्रम के ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में अलग-अलग परिणाम हैं।
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