यूपी की इन 9 विधानसभा सीटों की यह लड़ाई योगी बनाम अखिलेश की रही और दोनों ही नेताओं ने उपचुनाव में पूरा जोर लगा दिया। लगभग उपचुनाव की यह लड़ाई योगी की 'नाक' बनाम सपा की 'साख' की रही...
UP By-Election में सीएम योगी का दबदबा : यूपी में अखिलेश चित, योगी हिट', बटेंगे तो कटेंगे' ने पलट दी बाजी, जानिए UP की 9 सीटों का हाल
Nov 23, 2024 19:45
Nov 23, 2024 19:45
- यूपी उपचुनाव में अखिलेश का फ्लॉप शो
- बीजेपी ने मारी बाजी और सपा हुई पीछे
- 31 साल बाद टुटा कुंदरकी किले का रिकॉर्ड
- योगी की 'नाक' बनाम सपा की 'साख'
31 साल बाद टूटा कुंदरकी किले का रिकॉर्ड
इस बार के यूपी के उपचुनाव में सबसे अधिक मतदान मुरादाबाद के कुंदरकी में हुआ। यहां 57.7% वोटिंग हुई थी। इस सीट पर 65% मुस्लिम वोटर हैं। मुस्लिम वोटर्स के चलते सपा ने भी मुस्लिम नेता हाजी मोहम्मद रिजवान पर दांव खेला और भाजपा ने दो बार चुनाव हार चुके रामवीर सिंह पर फिर से भरोसा जताया। रामवीर ने जालीदार टोपी पहन मुस्लिम वोटर में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश की। जिस सीट पर बीजेपी साल 1993 से चुनाव नहीं जीत पाई है उसी कुंदरकी विधानसभा सीट पर बीजेपी ने इस बार खेला कर दिया है। कुंदरकी में बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह ठाकुर जीते। मतदान के दिन अखिलेश यादव ने चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के समर्थकों को वोट डालने से रोका जा रहा है। बता दें कुंदरकी सीट सपा के दिग्गज नेता शफीकुर्रहमान बर्क की कर्मभूमि रही है। उनके पोते जियाउर रहमान बर्क 2022 में 1.25 लाख से चुनाव जीते थे 31 साल बाद सपा का रिकॉर्ड टूट चूका है।
सीसामऊ में सपा की ऐतिहासिक चौथी जीत
कानपुर की सीसामऊ विधानसभा उपचुनाव में एक बार फिर सपा कैंडिडेट ने चौथी बार जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। उपचुनाव में नसीम सोलंकी को 69666 वोट मिले। जबकि भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी ने 61037 वोट पाए। सपा नेता इरफान सोलंकी के जेल जाने के बाद यह सीट खाली हो गई, जिसके बाद चुनाव करवाए गए। सपा पार्टी ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को चुनावी अखाड़े में उतारा। सीसामऊ सीट को बचाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूरी ताकत झोंक दी थी। इधर, बीजेपी ने भी सपा के इस अभेद्य किले पर कब्जा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन फिर भी उसे हार का सामना करना पड़ा है। इस सीट के राजनीतिक महत्व का अंदाजा इतने से ही लगाया जा सकता है कि खुद अखिलेश यादव इस सीट पर प्रचार करने आए। तीन बार शिवपाल यादव, डिंपल यादव और अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद भी यहां पहुंचे। उधर, बीजेपी की ओर से सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोड शो और जनसभा की। वैसे तो सीएम योगी आदित्यनाथ कानपुर आते रहे हैं, लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग रही।
गाजियाबाद में भी साइकिल पंक्चर
गाजियाबाद सीट पर सपा-कांग्रेस का गठबंधन भाजपा से पीछे रह गया। गाजियाबाद सदर सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर 33.30 प्रतिशत मतदान हुआ। बीजेपी की ओर से इस सीट से संजीव शर्मा तो सपा-कांग्रेस गठबंधन से सिंहराज जाटव लड़े। बसपा ने इस सदर सीट से परमानंद गर्ग और आज समाज पार्टी ने सतपाल चौधरी को मैदान में उतारा था। गाजियाबाद सदर सीट पर भाजपा के संजीव शर्मा 69676 वोटों से जीत गए। संजीव शर्मा को 96550 वोट मिले हैं। सपा को 27174 वोट मिले हैं। गाजियाबाद में साल 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था। 2009 में जब पहली बार चुनाव हुए तो इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया। भाजपा की ओर से इस सीट पर राजनाथ सिंह ने जीत हासिल की थी। वहीं, साल 2014 में इस सीट पर राजनाथ सिंह की जगह वीके सिंह को भाजपा ने उतारा। जबकि राजनाथ सिंह लखनऊ सीट पर मैदान में उतरे थे। गाजियाबाद सीट पर 2014 में वीके सिंह की जीत हुई थी। 2019 में भी वीके सिंह ही जीते थे।
फूलुपर विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत
उत्तर प्रदेश के फूलपुर में 43.40 प्रतिशत वोटिंग हुई। फूलपुर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी दीपक पटेल 10 हज़ार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते हैं। बीजेपी प्रत्याशी ने समाजवादी पार्टी के मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी को हराया। इस सीट पर वोटिंग परसेंटेज कम होने से भाजपा-सपा दोनों के लिए ही मुसीबत बनी हुई थी। सीट पर बीजेपी ने बसपा से पूर्व में विधायक रहे दीपक पटेल को मैदान में उतारा तो वहीं बसपा से तीन बार पूर्व में विधायक रहे मो. मुज्तबा सिद्दीकी सपा के टिकट पर चुनाव लड़े, वहीं बसपा से जितेंद्र सिंह मैदान में नजर आए।
'जाट लैंड' खैर में BJP का जलवा
खैर उपचुनाव में बीजेपी की जीत का दावा सच साबित हो चूका है। खैर में बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र दिलेर ने 38,251 मतों से जीत दर्ज की, अनूप प्रधान के हाथरस में सांसद चुने जाने के बाद खैर विधानसभा की सीट पर उपचुनाव हुआ। इस बार पिछले चुनाव से 14 प्रतिशत कम वोटिंग हुई और केवल 46.36 मतदाताओं ने वोट डाले। कम वोट से भाजपा की चिंता बढ़ गई और सपा को उम्मीद लगी कि कभी खैर में न चलने वाली साइकिल इस बार दौड़ेगी, हालांकि वो पंक्चर हो गई। खैर में सपा ने जाट-जाटव समीकरण को देखते हुए चारु कैन पर दांव खेला था। सपा का पीडीए फार्मूला खैर में फेल हो गया।
मीरापुर में NDA का जबरदस्त प्रदर्शन
मीरापुर में रालोद-बीजेपी प्रत्याशी मिथलेश पाल 29867 वोटों से चुनाव जीती हैं। मीरापुर सीट पर जयंत चौधरी चौधरी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। मीरापुर में सपा मुखिया अखिलेश यादव की घेराबंदी भी काम नहीं आई, सपा की सुम्बुल राणा दूसरे नंबर पर रहीं। बीजेपी और सपा के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के तहत आने वाली मीरापुर विधानसभा सीट पर मतदान के दौरान काफी विवाद भी हुआ था। यहां ककरौली गांव में दो समूह आपस में भिड़ गए और पथराव किया गया था। इसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया। इस दौरान एक पुलिस अधिकारी को हाथ में पिस्टल लेकर खड़े दिखाई दिए थे।
कटेहरी में बीजेपी का जलवा
कटेहरी विधानसभा सीट से भाजपा के धर्मराज निषाद ने जीत दर्ज की, जबकि सपा की शोभावती वर्मा इस रेस में पीछे रह गईं। उपचुनाव का सबसे बड़ा रोमांच कटेहरी सीट पर देखा गया। पिछले विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता लालजी वर्मा ने शानदार जीत दर्ज की थी। समाजवादी पार्टी ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में अम्बेडकरनगर से टिकट देकर मैदान में उतारा, जहां उन्होंने पुनः जीत हासिल की, जिससे कटेहरी सीट खाली हो गई और उपचुनाव की स्थिति उत्पन्न हुई, इस सीट पर सपा ने लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को मैदान में उतारा, जबकि भाजपा ने धर्मराज निषाद को अपने प्रत्याशी के रूप में प्रस्तुत किया। इस सीट को जीतने के लिए दोनों पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। हालांकि बीजेपी की मेहनत रंग लाई।
करहल में सपा के तेज प्रताप ने दी भाजपा को पटकनी
करहल से सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव जीते हैं। करहल विधानसभा सीट के परिणामों पर सभी की नजरें टिकी थी, आखिर मैदान में लालू और मुलायम के दामाद जो थे, करहल में सपा से तेज प्रताप सिंह यादव और भाजपा से अनुजेश प्रताप सिंह के मुख्य बीच मुकाबला देखने को मिला, हालांकि करहल विधानसभा सीट पर सपा के तेजप्रताप यादव ने अपनी बढ़त बनाई और जीत दर्ज की। यह वही सीट है, जहां भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी थी। करहल विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को प्रभारी बनाया था लेकिन प्रचार के दौरान डिप्टी सीएम नहीं आए थे। उनके साथ पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और राज्य मंत्री अजीत पाल सिंह को कमान सौंपी थी। करहल समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। 2012 से लेकर अब तक यहां लगातार सपा के ही प्रत्याशी जीत हासिल करते आए हैं।
मझवां सीट पर बीजेपी का जलवा
मझवां उपचुनाव में भाजपा की सुचिस्मिता मौर्य ने जीत हासिल की है। यहां मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी में और समाजवादी पार्टी के बीच था, मझवां सीट पर बीजेपी ने सुचिस्मिता मौर्य को चुनाव मैदान में उतारा. जबकि सपा ने ज्योति बिंद को कैंडिडेट बनाया। यह वो क्षेत्र है, जहां कभी कांग्रेस का वर्चस्व था और फिर बसपा और अब बीजेपी का। लेकिन समाजवादी पार्टी का यहां से अब तक खाता नहीं खुल सका है। मझवां की लड़ाई बड़ी ही नहीं, बदले की लड़ाई रही। दरअसल, भाजपा उम्मीदवार सुचिस्मिता मौर्य ने 2017 के विधानसभा चुनाव में जिन रमेश बिंद को हराया था, उनकी बेटी सपा प्रत्यशी डॉ. ज्योति बिंद इस बार चुनाव मैदान में थी
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