बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में शनिवार को तीन दिवसीय घुमन्तू भाषा शब्द संचय प्रविधि शिविर में विचार विमर्श के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।
अंबेडकर विश्वविद्यालय : घुमंतू समुदाय की भाषा और संस्कृति पर मंथन, बुंदेली राई नृत्य ने मोहा मन
Dec 21, 2024 19:12
Dec 21, 2024 19:12
संतोष पांडेय ने राई लोक नृत्य से बांधा समां
इसके पश्चात पारधी समुदाय व बेड़िया समुदाय के सांस्कृतिक पक्षों पर अध्येताओं ने अपने विचार रखे। पारधी समुदाय के सांस्कृतिक पक्षों पर डॉ. श्रीकृष्ण काकड़े ने प्रकाश डाला। वहीं डॉ. सत्या सोनी और शिवम शर्मा ने बेड़िया समुदाय के विविध पक्षों पर अपनी बात रखी। शिवम ने बताया कि राई के दानों की तरह थिरकने के कारण भी इस नृत्य को राई नृत्य कहा जाता है क्योंकि लोक नर्तकी बेड़िनी भी इसी तरह थिरकती हैं और अपने दर्शकों में उन्माद भर देती है। डॉ. सत्या सोनी ने राई नृत्य और उसकी उत्पत्ति विषयक कथाओं पर अपने विचार रखे। इस अवसर पर मध्य प्रदेश से आए संतोष पाण्डेय ने बेड़िया समुदाय द्वारा किये जाने वाले राई लोक नृत्य के विविध सांस्कृतिक पक्ष को अवगत कराते हुए नृत्य की प्रस्तुति दी।
एमपी और लखनऊ संस्थाओं का सहयोग
तीन दिवसीय शिविर जनजातीय लोक कला और बोली विकास अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद, सोसायटी फॉर एण्डेंजर्ड एंड लैसर नोन लैंग्वेजज, लखनऊ (SEL) संस्था एवं बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 22 दिसम्बर तक विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किया जा रहा है।
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