उत्तर प्रदेश में बीजेपी 2027 विधानसभा चुनाव से पहले संगठनात्मक बदलाव की योजना बना रही है। वर्तमान अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के नेतृत्व में पार्टी ने सफलता हासिल की, लेकिन सपा और कांग्रेस के आरोपों का जवाब देने के लिए एक नया दलित चेहरा सामने ला सकती है।
यूपी में बीजेपी का अध्यक्ष पद पर नया प्रयोग : आप भी जानिए संभावित नाम और समीकरण, ये है पार्टी की नई रणनीति
Dec 31, 2024 14:38
Dec 31, 2024 14:38
वर्तमान अध्यक्ष और पार्टी की चुनौतियां
भूपेंद्र सिंह चौधरी, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य हैं, पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने बीजेपी पर संविधान और दलित-विरोधी होने के गंभीर आरोप लगाए। इन आरोपों का असर निचले स्तर तक देखा गया। अब बीजेपी इन चुनौतियों का सामना करने और दलित समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए एक नया दलित चेहरा सामने ला सकती है।
कौन हो सकता है नया अध्यक्ष?
बीजेपी के संभावित उम्मीदवारों की सूची में कई बड़े और प्रभावशाली नाम शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
1. विनोद सोनकर
विनोद सोनकर कौशांबी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से दो बार सांसद रह चुके हैं। उन्होंने 10 वर्षों तक संसद में प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा के पुष्पेंद्र सरोज ने उन्हें हराया था। विनोद सोनकर दलित समुदाय से आते हैं और पार्टी में उनका अच्छा प्रभाव है।
2. राम शंकर कठेरिया
राम शंकर कठेरिया, इटावा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। वह 2019 से 2024 तक सांसद रहे और आगरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रहे हैं। कठेरिया का संगठनात्मक अनुभव और क्षेत्रीय पकड़ उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है।
3. बाबू राम निषाद
बाबू राम निषाद 2022 में राज्यसभा सांसद बने। बुंदेलखंड क्षेत्र में उनका मजबूत प्रभाव है। वह योगी सरकार में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। उनका नाम इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि बुंदेलखंड में बीजेपी को नए चेहरे की जरूरत है।
4. बीएल वर्मा (बनवारी लाल वर्मा)
बीएल वर्मा बदायूं निवासी हैं और फिलहाल केंद्र सरकार में मंत्री हैं। वह 2020 में राज्यसभा पहुंचे और पश्चिमी यूपी के प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए उनका नाम भी प्रमुख दावेदारों में शामिल है।
5. विद्यासागर सोनकर
विद्यासागर सोनकर उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं। वह जौनपुर से सांसद भी रह चुके हैं। सोनकर का दलित समुदाय में प्रभाव उन्हें इस दौड़ में प्रमुख बनाता है।
पश्चिम यूपी से अध्यक्ष क्यों?
बीजेपी की रणनीति में क्षेत्रीय संतुलन हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल से आते हैं, ऐसे में संगठन में पश्चिमी यूपी को प्राथमिकता देने की संभावना है। यह संतुलन सुनिश्चित करेगा कि पूरे राज्य में बीजेपी की पकड़ बनी रहे।
पार्टी की प्राथमिकता: दलित चेहरा
बीजेपी की योजना दलित समुदाय से एक ऐसा चेहरा सामने लाने की है, जो सपा और कांग्रेस के आरोपों का प्रभावी जवाब दे सके। दलित वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत करना बीजेपी के लिए जरूरी है, खासकर तब, जब विपक्ष इस वर्ग में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है।
विपक्ष को जवाब देने की तैयारी
सपा और कांग्रेस ने 2024 के चुनाव में बीजेपी पर संविधान और दलित विरोधी होने के आरोप लगाए। इन आरोपों का प्रभाव चुनावी नतीजों पर दिखा। अब बीजेपी इन चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
आखिरी फैसला हाईकमान का होगा
हालांकि, उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष पद के लिए जो भी नाम चर्चा में हैं, उनका अंतिम फैसला बीजेपी हाईकमान करेगा। पार्टी नेतृत्व इस बात का विशेष ध्यान रखेगा कि नया अध्यक्ष न केवल संगठन को मजबूत बनाए, बल्कि विपक्ष के आरोपों का प्रभावी ढंग से जवाब दे सके।
बीजेपी की उत्तर प्रदेश इकाई में आगामी बदलाव न केवल पार्टी की रणनीति को नया रूप देंगे, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए संगठन को और मजबूत करेंगे। नए अध्यक्ष का चयन पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला होगा, जो न केवल क्षेत्रीय संतुलन बनाएगा, बल्कि पार्टी को दलित वर्ग में भी अधिक समर्थन दिलाएगा।
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