प्रदेश में निकायों में कर्मियों के रिक्त पदों की बात करें तो वर्ष 2019-20 में केंद्रीयकृत सेवा के 1251, अकेंद्रीयकृत सेवा के 8356 और सफाईकर्मियों के 43745 पद रिक्त मिले।
CAG Report : स्मार्ट सिटी के दावों के बीच शहरी निकायों में 50 हजार से ज्यादा कर्मियों की किल्लत, तकनीकी पदों पर बुरा हाल
Aug 05, 2024 09:14
Aug 05, 2024 09:14
- अधिकांश जगह जुगाड़ के सहारे चलाया जा रहा काम, गुणवत्ता प्रभावित
- संविदा कर्मियों के भरोसे है निकायों में अधिकांश काम
जुगाड़ के भरोसे चल रही व्यवस्था
कैग की रिपोर्ट की अनुसार, लखनऊ, मथुरा-वृंदावन, झांसी, मुरादाबाद, बलिया, रामपुर, टुंडला, ललितपुर, प्रतापगढ़, अमरोहा, लखीमपुर, भदोही और मीरजापुर में सबसे अधिक कर्मियों की कमी है। ऐसे में यहां की व्यवस्था जुगाड़ के भरोसे चल रही है। रिपोर्ट में वर्ष 2015-16 से लेकर वर्ष 2019-20 तक की डिटेल बताई गई है। कैग ने 2015 से 2020 तक प्रदेश के शहरी स्थानीय निकायों की सभी सेवाओं में स्वीकृत पदों और उसकी तुलना में काम करने वाले कर्मचारियों को देखते हुए रिपोर्ट तैयार की है।
निकायों में रिक्त पदों की साल दर साल स्थिति
प्रदेश में निकायों में कर्मियों के रिक्त पदों की बात करें तो वर्ष 2015-16 में केंद्रीयकृत सेवा के 1616, अकेंद्रीयकृत सेवा के 5607 और सफाईकर्मियों के 38059 पद रिक्त पाए गए। वहीं वर्ष 2016-17 में केंद्रीयकृत सेवा के 1416, अकेंद्रीयकृत सेवा के 5722 और सफाईकर्मियों के 37034 पद रिक्त मिले। वर्ष 2017-18 में केंद्रीयकृत सेवा के 1256, अकेंद्रीयकृत सेवा के 6213 और सफाईकर्मियों के 40837 पद रिक्त मिले। वर्ष 2018-19 में केंद्रीयकृत सेवा के 1168, अकेंद्रीयकृत सेवा के 6813 और सफाईकर्मियों के 41664 पद रिक्त मिले। वर्ष 2019-20 में केंद्रीयकृत सेवा के 1251, अकेंद्रीयकृत सेवा के 8356 और सफाईकर्मियों के 43745 पद रिक्त मिले।
झांसी में 15.50 प्रतिशत कर्मियों कमी
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ में 31.37 प्रतिशत, मुरादाबाद 29.76 प्रतिशत, मथुरा-वृंदावन में 33.98 प्रतिशत और झांसी में 45.50 प्रतिशत कर्मियों की कमी है। इसके साथ ही प्रदेश के 25 नगर पालिका परिषद 24 से लेकर 53 प्रतिशत तक कर्मियों की कमी से जूझ रहे हैं।
नगर पालिकाओं की स्थिति बेहद खराब
कैग की रिपोर्ट की अनुसार, नगर निगमों की तुलना में नगर पालिका परिषदों में रिक्त पदों का प्रतिशत ज्यादा पाया गया है। इसके साथ ही अधिकांश निकायों में संविदा कर्मचारियों के भरोसे ही व्यवस्था चल रही है। नगर पंचायतों में स्वीकृत पदों में 33 प्रतिशत पद रिक्त हैं।
तकनीकी कर्मियों की कमी से गुणवत्ता प्रभावित, नगर पंचायतों में पद स्वीकृत नहीं
बुनियादी ढांचे के सही रख-रखाव में तकनीकी कर्मचारियों का अहम योगदान होता है। लेकिन निकाय इनकी भी भारी कमी से जूझ रहे हैं। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, अभियांत्रिकी सेवा सिविल के अंतर्गत नगर निगमों में 10 प्रतिशत और नगर पालिका परिषदों में 48 प्रतिशत रिक्त पाए गए हैं। लखनऊ नगर निगम में तकनीकी पदों पर स्वीकृति से अधिक कर्मी देखने को मिले हैं। वहीं नगर पंचायतों की स्थिति बेहद खराब है। यहां राज्य सरकार के स्तर पर अभियांत्रिकी सेवाओं के कोई पद ही स्वीकृत नहीं किए गए हैं।
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