सीबीआई की कड़ी कार्रवाई : छात्रवृत्ति दुरुपयोग के मामलों में पांच लोगों को तीन साल की सजा, लखनऊ और कानपुर में दोषियों पर कार्रवाई

छात्रवृत्ति दुरुपयोग के मामलों में पांच लोगों को तीन साल की सजा, लखनऊ और कानपुर में दोषियों पर कार्रवाई
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Dec 15, 2024 10:18

उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति दुरुपयोग के मामलों में सीबीआई ने कड़ी कार्रवाई करते हुए पांच आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई है। यह मामले कानपुर और लखनऊ से जुड़े हैं, जहां सरकारी छात्रवृत्ति राशि का गबन किया गया था। सीबीआई ने इन मामलों में विस्तृत जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।

Dec 15, 2024 10:18

Lucknow News : उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति के दुरुपयोग से जुड़े दो महत्वपूर्ण मामलों में सीबीआई ने पांच आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई है। ये मामले 1997-98, 1998-99 और 1999-2000 के बीच के हैं, जिनमें सरकारी छात्रवृत्तियों का गबन किया गया था। सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकारी धन के दुरुपयोग को लेकर सख्त कार्रवाई की जा रही है।

पहला मामला
सीबीआई द्वारा जांचे गए पहले मामले में लखनऊ की एक अदालत ने दो आरोपियों को दोषी ठहराया। इनमें से एक था कानपुर नगर के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय का तत्कालीन वरिष्ठ लिपिक कृष्ण कुमार और दूसरा था मनोज कुमार द्विवेदी, जो एक निजी व्यक्ति था। इन दोनों आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई गई और ₹60,000 का जुर्माना भी लगाया गया। 

यह मामला कानपुर के नौबस्ता थाना क्षेत्र में 2002 में दर्ज किया गया था, जिसे बाद में सीबीआई ने अपने हाथ में लिया। भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468 और 409 के तहत यह मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में आरोप था कि 1997-98 और 1998-99 के लिए छात्रवृत्ति के रूप में जारी ₹9,38,264 का गबन किया गया। 

इसके बाद, जांच में यह पाया गया कि जिला समाज कल्याण विभाग और जिला शिक्षा कार्यालय के अधिकारियों ने निजी व्यक्तियों के साथ मिलकर फर्जी खाते खोलकर इस राशि का गबन किया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था, जिसके बाद सीबीआई ने 9 सितंबर 2004 को आरोप पत्र दाखिल किया। 

दूसरा मामला 
सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए दूसरे मामले में चार अन्य निजी व्यक्तियों को दोषी ठहराया गया। इनमें मनोज कुमार द्विवेदी (जो पहले मामले में भी आरोपी था), विनोद कुमार मिश्रा, सुलेमान और प्रेम सिंह उर्फ ​​पूती शामिल थे। इन आरोपियों को भी तीन साल की सजा और ₹1,20,000 का जुर्माना लगाया गया। 

यह मामला 20 दिसंबर, 2000 को नौबस्ता पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था और सीबीआई ने इसे अपने हाथ में लिया। इस मामले में आरोप था कि 1999-2000 के लिए कानपुर में एसबीआई की नौबस्ता शाखा के खातों के माध्यम से ₹6,44,000 की छात्रवृत्ति राशि का गबन किया गया। इस राशि को कथित रूप से जोहरा इंटर कॉलेज के प्रबंधक और कुछ क्लर्कों द्वारा हड़प लिया था, जिनका सहयोग कानपुर नगर के जिला विद्यालय निरीक्षक से भी था। 

सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468 और 409 के तहत कार्यवाही की थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की भी जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। 

सीबीआई की कार्रवाई
सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि दोनों मामलों में दोषियों को सजा दिलाने के लिए कई सालों की मेहनत और विस्तृत जांच की गई। अदालत ने दोनों मामलों में न्यायसंगत निर्णय दिया है, जो भ्रष्टाचार और सरकारी धन के दुरुपयोग के खिलाफ एक सख्त संदेश है। सीबीआई ने इन मामलों को उच्च न्यायालय के आदेशों के तहत जांचा और आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की। सीबीआई ने बताया कि यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि सरकारी योजनाओं का सही तरीके से उपयोग हो और किसी भी प्रकार का दुरुपयोग रोका जा सके। 

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