प्रदेश सरकार में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि सिंचाई विभाग के छोटी गंडक नदी को पुनर्जीवित करने प्रयास से नदी के सेक्शन की पुनर्स्थापना का काम प्रारम्भ किया गया है।
UP News : छोटी गंडक नदी को मिला नया जीवन, गोरखपुर-देवरिया की 60 हजार आबादी होगी लाभान्वित
Jun 14, 2024 20:27
Jun 14, 2024 20:27
- लखनऊ में कुकरैल नदी को पुनर्जीवित करने की कवायद
- गुर्रा नदी की बाढ़ से 35 हजार आबादी को मिलेगी निजात
गंडक नदी का नेपाल से हुआ है उद्गम
प्रदेश सरकार में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि सिंचाई विभाग के छोटी गंडक नदी को पुनर्जीवित करने प्रयास से नदी के सेक्शन की पुनर्स्थापना का काम प्रारम्भ किया गया है। नदी को मूल स्वरूप में लाने की प्रक्रिया के दौरान ही भूजल स्तर नदी में आने लगा और सिंचाई विभाग की पहल कारगर व सफल साबित हुई है। जल शक्ति मंत्री ने छोटी गंडक नदी के बारे में बताया कि यह एक घुमावदार भूजल आधारित नदी है जो नेपाल के परसौनी जनपद-नवलपरासी से उद्गमित होकर भारत में लक्ष्मीपुर खुर्द ग्राम सभा (महराजगंज, यूपी) में प्रवेश करती है। यह नदी महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया जनपदों में 250 किमी की लम्बाई में बहती हुई अनन्तः बिहार के सीवान जिले के गोठानी के पास घाघरा नदी में मिल जाती है। उन्होंने बताया कि छोटी गण्डक के भारत में प्रवेश करने के बाद शुरू के लगभग 10 किमी लम्बाई में अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका था, जिसके कारण नदी सेक्सन में पूरी तरह सिल्टेड व संकुचित होकर कृषि कार्य किया जाने लगा। इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिये कार्य तेजी से किया गया है। छोटी गंडक नदी को पुनर्जीवित करने के साथ ही भू-गर्भ जल को भी बढ़ाने में मदद मिली है।
गुर्रा की बाढ़ से 26 गांवों को मिलेगी निजात
इसके अलावा गुर्रा नदी से बाढ़ के समय होने वाली क्षति को कम करके गोरखपुर के 20 एवं देवरिया के 6 गांवों सहित कुल 26 गांवों की 35 हजार आबादी को सुरक्षित करने का भी सराहनीय कार्य किया गया है। बता दें कि गुर्रा नदी का उद्गम स्थल जनपद गोरखपुर में प्रवाहित राप्ती नदी से गांव-रूदाइन मझगंवा, तहसील-बाँसगांव एवं गांव सेमरौना, तहसील-चौरी चौरा है। उद्गम स्थल से गुर्रा नदी का ढाल राप्ती नदी के ढाल से अधिक होने के कारण बाढ़ एवं ग्रीष्म ऋतु में पानी का बहाव समानुपातिक नहीं होने से बाढ़ अवधि में गुर्रा नदी से भारी तबाही की सम्भावना बनी रहती थी, वहीं दूसरी ओर ग्रीष्म ऋतु में राप्ती नदी के सूख जाने के कारण आबादी एवं पशु पक्षियों एवं जीव-जन्तुओं को कृषि कार्य एवं पीने का पानी नहीं मिलने से जन-जीवन प्रभावित होता था।
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