देश में बढ़ते पर्यावरणीय संकट पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने बदलते पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के कारणों पर चर्चा करते हुए कहा कि देश की राजधानी दिल्ली पिछले एक महीने से 'गैस चैंबर' की तरह बन चुकी है, जो श्वसन रोगियों और बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक हो गया है।
ग्रीन भारत समिट कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम योगी : देश में बढ़ते प्रदूषण पर जताई चिंता, बोले- दिल्ली बन चुकी है गैस चैंबर
Nov 30, 2024 14:48
Nov 30, 2024 14:48
बदलते मानसून पैटर्न से कृषि संकट
सीएम योगी ने मानसून के बदलते पैटर्न को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पहले मानसून 15 जून से शुरू होकर 15 अगस्त तक समाप्त हो जाता था, लेकिन अब यह 15 अगस्त से 15 अक्टूबर तक खिंच जाता है। इससे कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ा है। फसल की बुआई और कटाई का समय बदलने से किसान परेशान हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई हिस्सों में अत्यधिक बारिश हो रही है, तो वहीं अन्य क्षेत्रों में सूखा भी पड़ रहा है। इस असंतुलित मौसम से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
जल प्रदूषण से बढ़ रही बीमारियां
सीएम योगी ने जल प्रदूषण को एक बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि यह न केवल नदियों को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि इससे मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जल प्रदूषण के कारण बीपी, शुगर और पेट से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। उन्होंने ने पीएम नरेंद्र मोदी की 'हर घर नल' योजना का उल्लेख करते हुए बताया कि इसके तहत हर घर में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा रही है, जिससे जलजनित बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सके।
अनियोजित विकास और प्रदूषण का कारण
सीएम योगी ने कहा कि हमने विकास की दिशा में कई गलत कदम उठाए हैं, जिससे पर्यावरण संकट गहरा गया है। उदाहरण स्वरूप उन्होंने उद्योगों की स्थापना के दौरान पर्यावरणीय प्रभावों की अनदेखी का जिक्र किया। उद्योगों से निकलने वाले कचरे को नदियों में डाला जा रहा है, जिससे जीवनदायिनी नदियां प्रदूषित हो रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अधिक पेस्टिसाइड और केमिकल का उपयोग कृषि में बढ़ रहा है, जिससे बीमारियां फैल रही हैं। इस संदर्भ में उन्होंने कैंसर से जुड़े मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें एक राज्य में कैंसर ट्रेन का संचालन करना पड़ा, जो यह दर्शाता है कि प्रदूषण के कारण कितनी गंभीर स्थिति बन चुकी थी।
कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए ठोस कदम
सीएम योगी ने कहा कि राज्य सरकार ने कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि 2017 के बाद से राज्य में 16 लाख एलईडी स्ट्रीट लाइट्स लगाई गई हैं, जिससे 9.4 लाख टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ है और 968 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी की "पीएम सूर्य घर योजना" का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत लोग सोलर पैनल लगाकर अपनी बिजली की जरूरत पूरी कर सकते हैं और अतिरिक्त बिजली बेच सकते हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन में और कमी आएगी।
वन क्षेत्र और ग्रीन एनर्जी पर फोकस
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2017 से लेकर अब तक प्रदेश में 204 करोड़ पौधारोपण किए गए हैं, जिससे राज्य का वन क्षेत्र दस प्रतिशत तक बढ़ा है। उनका लक्ष्य अगले तीन वर्षों में इसे पंद्रह प्रतिशत तक बढ़ाना है। इसके साथ ही, राज्य में 23 हजार हेक्टेयर भूमि को रिन्यूवल एनर्जी के लिए तैयार किया गया है, ताकि ग्रीन एनर्जी के प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा दिया जा सके।
घरेलू प्रदूषण पर सरकार की पहल
सीएम योगी ने घरेलू प्रदूषण को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पराली जलाने और लकड़ी-कोयले पर खाना पकाने से भी प्रदूषण बढ़ रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2016 में उज्ज्वला योजना शुरू की गई थी, जिसके तहत दस करोड़ परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए गए। इससे लकड़ी और कोयले पर भोजन पकाने से होने वाले प्रदूषण में काफी कमी आई है। सीएम ने बताया कि लकड़ी या कोयले पर खाना बनाना, सौ से अधिक सिगरेट के धुएं के बराबर खतरनाक है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार से इंसेफेलाइटिस पर काबू
सीएम योगी ने बताया कि पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश के 38 जिलों में इंसेफेलाइटिस के कारण हजारों बच्चों की मौत हो जाती थी, लेकिन अब स्वच्छ जल और खुले में शौच की समस्या पर नियंत्रण पाने के कारण इस बीमारी पर काबू पाया गया है। 1977 से 2017 तक इंसेफेलाइटिस से 50 हजार से अधिक बच्चों की मौत हुई थी, लेकिन अब हर घर में शौचालय और शुद्ध जल की आपूर्ति की जा रही है, जिसके कारण इस बीमारी को सिर्फ दो साल में पूरी तरह नियंत्रित किया गया है।
सतत विकास और समाज की भूमिका
सीएम योगी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह प्रयास केवल सरकार तक सीमित नहीं रह सकता। इसमें समाज, संस्थान और आम जनता की भी भागीदारी जरूरी है। उन्होंने शोध और नवाचार को बढ़ावा देने की अपील की और कहा कि इस तरह के आयोजन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
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