गिरोह के सरगना पंकज सुरैला ने कंबोडिया से विशेष ट्रेनिंग ली थी, जिसमें डिजिटल ठगी की नई तकनीकों को सिखाया गया। गिरोह के सदस्य बैंक खातों की किट और बेनीफिशरी जोड़ने के लिए खास एपीके फाइल्स का इस्तेमाल करते थे। ये लोग फर्जी खातों में रकम ट्रांसफर कर उसे कई बार इधर-उधर भेजते थे ताकि उसका पता न लगाया जा सके।
डिजिटल अरेस्ट : डॉक्टर से 48 लाख हड़पने में तीन और गिरफ्तार, CBI-STF अफसर बनकर करते थे ठगी, सरगना ने कंबोडिया में ली ट्रेनिंग
Dec 04, 2024 20:52
Dec 04, 2024 20:52
दिल्ली के रहने वाले हैं तीनों गिरफ्तार आरोपी
एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि अलीगंज के डॉ. अशोक सोलंकी को गिरोह ने डिजिटल रूप से अरेस्ट किया था। दो दिनों तक उन्हें ठगी के जाल में फंसाकर उनके बैंक खातों से 48 लाख रुपये हड़प लिए गए। गिरफ्तार किए गए तीन आरोपी दिल्ली के रहने वाले हैं। इनमें गांधीनगर निवासी पुनीत शर्मा, शहदरा निवासी हर्षल और रनहौला निवासी श्याम है। इनके पास से छह क्रेडिट कार्ड और ठगी के ब्योरे से भरे व्हाट्सएप के 111 पेज बरामद हुए।
बेहद शातिर तरीके से काम करता था गिरोह
एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि आरोपी श्याम ने फरवरी 2024 में करन उर्फ नागेश नामक व्यक्ति के साथ संपर्क किया। नागेश ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए ठगी के विभिन्न तरीकों की जानकारी दी। उसने बताया कि गेमिंग पर दो प्रतिशत, स्टाक पर पांच प्रतिशत, मिक्सिंग पर 10 प्रतिशत व स्कैमिंग में 30 प्रतिशत का कमीशन मिलता था। ये लोग कार्पोरेट एकाउंट तलाशने के लिए अपने साथी हर्षल, पुनीत शर्मा उर्फ गगन और राजकुमार की मदद लिया करते थे। वहीं राजकुमार कार्पोरेट एकाउंट उपलब्ध कराता था। आरोपी नागेश और सुनील बैंक खातों में रकम ट्रांसफर करने और उसे साफ करने में माहिर थे। एएसपी विशाल सिंह ने बताया कि ये लोग एकाउंट की किट नागेश को भेजा करते थे। नागेश किट मिलने के बाद बैंक खाते में बेनीफिशरी जोड़ने के लिए एपीके फाइल हासिल कर लेता था। यह फाइल बैंक एकाउंट होल्डर के मोबाइल में डाउनलोड करा दी जाती थी। इसके बाद बैंक एकाउंट होल्डर के साथ गिरोह के दो सदस्य होटल में ठहरते थे। इससे खातों में आने वाली रकम होल्ड नहीं हो पाती थी।
कंबोडिया से मिला अपराध का प्रशिक्षण
गिरोह के सरगना पंकज सुरैला ने कंबोडिया से विशेष ट्रेनिंग ली थी, जिसमें डिजिटल ठगी की नई तकनीकों को सिखाया गया। गिरोह के सदस्य बैंक खातों की किट और बेनीफिशरी जोड़ने के लिए खास एपीके फाइल्स का इस्तेमाल करते थे। ये लोग फर्जी खातों में रकम ट्रांसफर कर उसे कई बार इधर-उधर भेजते थे ताकि उसका पता न लगाया जा सके। गिरोह के सदस्यों ने खुलासा किया कि कंबोडिया में सुरेश सैन नामक व्यक्ति उन्हें ट्रेनिंग देता था। वहां चीन के लोग पूरे ऑपरेशन का संचालन करते थे। बैंक खातों में आने वाली रकम को तुरंत क्रिप्टो करेंसी में बदल दिया जाता था ताकि पुलिस ट्रैक न कर सके।
नोएडा, जयपुर, दिल्ली और केरल में किए बड़े घोटाले
गिरोह ने अगस्त में नोएडा के एक होटल से आईसीआईसीआई बैंक के कॉर्पोरेट अकाउंट से आठ करोड़ रुपये की ठगी की। सितंबर में जयपुर के एक बैंक अकाउंट से डेढ़ करोड़ रुपये और नवंबर में दिल्ली के मोहन गार्डन स्थित केनरा बैंक से डेढ़ करोड़ रुपये उड़ाए। इसके अलावा, केरल में यस बैंक के खाते से तीन करोड़ रुपये की ठगी कर क्रिप्टो करेंसी के जरिए रकम का वितरण किया गया।
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