Digital Arrest : अब लोहिया संस्थान की डॉक्टर को बनाया शिकार, सीबीआई अफसर बनकर एक लाख की ठगी

अब लोहिया संस्थान की डॉक्टर को बनाया शिकार, सीबीआई अफसर बनकर एक लाख की ठगी
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Sep 09, 2024 16:51

राजधानी में डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान की डॉक्‍टर को डिजिटल अरेस्‍ट कर ठगों ने एक लाख रुपए वसूल लिए। डॉक्टर ने गोमतीनगर की विभूतिखंड कोतवाली में साइबर अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

Sep 09, 2024 16:51

Lucknow News : तकनीक का सहारा लेकर अब ठग भी हाईटेक हो गए हैं और नए-नए तरीकों से वारदात को अंजाम दे रहे हैं। खास बात है कि इनका शिकार पढ़े लिखे लोग हो रहे हैं। अब शातिर एटीएम कार्ड का पिन नंबर पूछकर ठगी नहीं करते, वह बैंक मैनेजर बनकर फ्रॉड कॉल नहीं करते, बल्कि डिजिटल अरेस्ट के जरिए लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। उनके झांसे में साधारण इंसान नहीं बल्कि काफी पढ़े लिखे लोग आ रहे हैं। ताजा घटनाक्रम में अब राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान की डॉक्टर के साथ इस तरह की ठगी की गई है। इससे पहले संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की एसोसिएट प्रोफेसर को सात दिनों तक डिटिजल अरेस्ट कर उनसे करोड़ों की ठगी की वारदात को अंजाम दिया जा चुका है।

सीबीआई अफसर बनकर दिया झांसा, फिरौती का किया जिक्र
राजधानी में डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान की डॉक्‍टर को डिजिटल अरेस्‍ट कर ठगों ने एक लाख रुपए वसूल लिए। डॉक्टर ने गोमतीनगर की विभूतिखंड कोतवाली में साइबर अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। पीड़ित डॉ. रूबी थॉमस ने पुलिस को बताया कि बीती 16 अगस्त को उनके पास अनजान नम्बर से कॉल आई, जिसमें फोन करने वाले शख्स ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और कहा कि रूबी के नाम पर सिम कार्ड जारी हुआ है। इसका इस्तेमाल फिरौती मांगने के लिए किया गया है। डॉक्टर के मुताबिक इसे सुनकर वह सकते में आ गईं। वह घबराने लगी, इसके बाद फोन करने वाले शख्स ने बताया कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया है। इसके बाद उन्हें झांसे में लेकर एक लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए गए। पुलिस के मुताबिक तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है। मामले की विवेचना की जा रही है। जल्द ही अपराधियों का सुराग पता लगाया जाएगा।

एसजीपीजीआई की डॉक्टर से हो चुकी है 2.81 करोड़ की ठगी
इससे पहले एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर लगभग 2.81 करोड़ रुपए की ठगी की वारदात को अंजाम दिया जा चुका है। प्रकरण की जानकारी होते ही पुलिस ने 27.88 लाख रुपए फ्रीज करा लिए थे, जिससे साइबर ठग उसका इस्तेमाल नहीं कर पाए। इस मामले में अब तक महिला सरगना समेत 11 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। ये अपराधी बेहतर शातिर तरीके से काम करते हैं। ये लोग पहले अपने शिकार की पूरी जानकारी जुटाते हैं फिर योजनाबद्ध तरीके से कभी खुद को कभी प्रवर्तन निदेशालय (ED) तो कभी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) अधिकारी बनकर लोगों से ठगी करते हैं।

डिजिटल अरेस्ट में इस तरह झांसा देते हैं ठग
लखनऊ में बीते कुछ समय से अपराधियों ने मोटी रकम ऐंठने के लिए 'डिजिटल अरेस्ट' का तरीका अपनाया है। इसके जरिए पढ़े लिखे लोगों को धड़ल्ले से शिकार बनाया जा रहा है। बीते दिनों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। डिजिटल ठगी का अपग्रेड वर्जन डिजिटल अरेस्ट है। इसका शिकार बनाने के लिए पहले आपकी डिटेल इकट्ठा करके आपको टारगेट किया जाता है। फिर आपसे जुड़ी कोई ऐसी जानकारी आपको बताई जाती है जो वास्तविक रूप में आपसे संबंधित हो। इसके बाद कानून का डर दिखाकर आप पर ऐसे आरोप लगाए जाते हैं कि आप भय में आकर इससे बचाने की गुहार लगाएं। फिर धीरे-धीरे आपसे मोटी रकम ऐंठ ली जाती है।

यूपी एसटीएफ ने अब तक कई अपराधी पकड़े
देश में डिजिटल अरेस्ट अब साइबर क्राइम का अहम हथियार बनता जा रहा है। एक आकलन के मुताबिक, बीते  चार महीनों में देश में करीब 400 करोड़ रुपए इसके जरिए ठगे जा चुके हैं। इनमें देश में नामी गिरामी संस्थानों में काम करने वाले प्रोफेसर, चिकित्सक, सैन्य अफसर, सेवानिवृत्त अधिकारी, इंजीनियर जैसे पढ़े लिखे लोगों को शिकार बनाया गया। ठगी का ये धन क्रिप्टो करेंसी में निवेश किया जा रहा है। यूपी एसटीएफ ऐसे कई मामलों का खुलासा करते हुए अपराधियों की गिरफ्तारी कर चुकी है। साथ ही लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसके बाद भी जानकारी के अभाव में लोग इसका शिकार हो रहे हैं। यूपी पुलिस का कहना है कि सावधानी और जागरूकता ही आपके सबसे बड़े सुरक्षा उपकरण हैं। अपने डिजिटल व्यवहार में सतर्क रहकर आप धोखाधड़ी का शिकार होने के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

डिजिटल धोखाधड़ी से ऐसे करें सुरक्षा:
  • अपरिचित नंबरों से आने वाले कॉल का जवाब देने में सतर्कता बरतें।
  • सरकारी एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करने वाले कॉल पर विशेष ध्यान दें।
  • सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स या अन्य अधिकारी होने का दावा करने वालों की पहचान की पुष्टि करें।
  • आधिकारिक माध्यमों से संबंधित एजेंसी से सीधे संपर्क करें।
  • फोन या ऑनलाइन माध्यमों से संवेदनशील जानकारी साझा नहीं करें।
  • बैंक खाता, क्रेडिट कार्ड विवरण या पासवर्ड जैसी जानकारी गोपनीय रखें।
  • दबाव या धमकी की स्थिति में तुरंत फोन डिस्कनेक्ट कर दें।
  • भावनात्मक प्रतिक्रियाओं से बचें।
  • नवीनतम धोखाधड़ी प्रवृत्तियों के बारे में जानकारी रखें।
  • परिवार और मित्रों के साथ इस ज्ञान को साझा करें।
  • संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट स्थानीय पुलिस को करें।
  • साइबर अपराध विभाग को सूचित करें।

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