राज्यकर्मियों का संपत्ति ब्योरा देने में ढिलाई : 58% ने अब तक पोर्टल पर नहीं किया अपडेट, ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई की तैयारी

58% ने अब तक पोर्टल पर नहीं किया अपडेट, ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई की तैयारी
UPT | सीएम योगी आदित्यनाथ।

Aug 31, 2024 01:42

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों से चल और अचल संपत्ति का विवरण मांगा है, लेकिन अधिकांश कर्मचारियों ने अभी तक इसकी अनदेखी की है।

Aug 31, 2024 01:42

Lucknow News : उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों से चल और अचल संपत्ति का विवरण मांगा है, लेकिन अधिकांश कर्मचारियों ने अभी तक इसकी अनदेखी की है। यह स्थिति सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है, जिसके परिणामस्वरूप कठोर कदम उठाए जाने की संभावना है। आदेश के बावजूद, राज्य के 8.34 लाख कर्मचारियों में से केवल 3.47 लाख कर्मियों ने ही अब तक मानव संपदा पोर्टल पर अपनी संपत्तियों का विवरण अपडेट किया है। लगभग 58 प्रतिशत यानी 4.87 लाख कर्मियों ने अभी तक यह जानकारी पोर्टल पर नहीं दी है, जबकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 31 अगस्त की रात 12 बजे तक यह जानकारी न देने वाले कर्मियों को अगस्त माह का वेतन नहीं मिलेगा।

वेतन रोके जाने का खतरा
31 अगस्त की समय सीमा नजदीक आने के साथ ही सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर इस तिथि तक संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया गया, तो संबंधित कर्मियों को अगस्त का वेतन नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, सरकार उन कर्मियों के खिलाफ भी कड़े कदम उठाने की योजना बना रही है जिन्होंने समय पर संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है। 

सरकारी नियमावली का पालन आवश्यक
उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत राज्य के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी संपत्तियों का वार्षिक ब्योरा मानव संपदा पोर्टल पर देना अनिवार्य है। नियमानुसार, यह ब्योरा 31 दिसंबर 2023 तक की संपत्तियों का होना चाहिए था, जिसे जनवरी 2024 में ही अपडेट किया जाना था। हालांकि, ज्यादातर कर्मियों ने समय पर यह ब्योरा नहीं दिया। 

सरकार ने इस ढिलाई के मद्देनजर यह फैसला किया कि जिन कर्मियों ने संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है, उन्हें पदोन्नति नहीं मिलेगी। इसके बावजूद, केवल कुछ ही कर्मचारियों ने अपना ब्योरा पोर्टल पर दर्ज किया। इस स्थिति को देखते हुए, 30 जून को कार्मिक विभाग ने एक और शासनादेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि 31 जुलाई तक संपत्ति का ब्योरा न देने वालों के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद भी अधिकांश कर्मियों ने संपत्ति का ब्योरा देने में लापरवाही दिखाई।

समय सीमा बढ़ाई गई
संपत्ति का ब्योरा देने के लिए पोर्टल का उपयोग पहली बार हो रहा है, सरकार ने व्यावहारिक समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कर्मियों को 31 अगस्त तक की मोहलत दी। 17 अगस्त को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा जारी शासनादेश में स्पष्ट रूप से कहा गया कि सभी कर्मियों को वर्ष 2023 की संपत्तियों का विवरण 31 अगस्त तक अनिवार्य रूप से देना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें अगस्त का वेतन नहीं मिलेगा। 

संपत्ति ब्योरा न देने वाले विभाग
सरकार के कड़े आदेशों के बावजूद, अब तक केवल 42 प्रतिशत कर्मियों ने ही अपनी संपत्तियों का ब्योरा पोर्टल पर दर्ज किया है। इससे यह साफ होता है कि 58 प्रतिशत कर्मी अभी भी इस काम में लापरवाही बरत रहे हैं, यह जानते हुए भी कि उन्हें वेतन नहीं मिलेगा। वित्त, बेसिक व उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, नगर विकास, राजस्व, समाज कल्याण, महिला कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, पंचायतीराज, लोक निर्माण, औद्योगिक विकास, गृह, उद्यान, न्याय, नागरिक सुरक्षा और प्रशासनिक सुधार जैसे प्रमुख विभागों में 50 प्रतिशत से भी अधिक कर्मियों ने अभी तक अपनी चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया है।

संपत्ति ब्योरा देने में हो रही वृद्धि
वेतन न मिलने की चेतावनी के बाद संपत्ति का ब्योरा देने वाले कर्मियों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। जैसे-जैसे 31 अगस्त की समय सीमा नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे अधिक से अधिक कर्मी पोर्टल पर अपनी संपत्तियों का ब्योरा दे रहे हैं। 29 अगस्त, गुरुवार को ही विभिन्न विभागों के 50,866 कर्मियों ने अपनी संपत्तियों का विवरण पोर्टल पर अपडेट किया। 

कड़ी कार्रवाई की संभावना
 यदि कर्मियों द्वारा समय सीमा के भीतर संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया जाता है, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दे सकते हैं। इसमें उन कर्मियों की संपत्तियों की विजिलेंस जांच कराई जा सकती है जिन्होंने अपनी संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया है। 

विधान परिषद के कर्मियों की स्थिति
विधान परिषद सचिवालय के कुल 240 कर्मियों में से केवल 8 कर्मियों ने ही अपनी संपत्तियों का ब्योरा दिया है। इनमें से भी सभी ने गुरुवार को ही यह जानकारी पोर्टल पर दी है। सचिवालय के प्रथम श्रेणी के 34 कर्मियों में से सिर्फ दो ने, तृतीय श्रेणी के 120 में से पांच ने और चतुर्थ श्रेणी के 60 कर्मियों में से केवल एक ने ही संपत्ति का ब्योरा दिया है। वहीं, द्वितीय श्रेणी के 26 कर्मियों में से किसी ने भी अब तक जानकारी नहीं दी है। विधान सभा सचिवालय के 679 कर्मियों में से 232 ने 28 अगस्त तक अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया था, जबकि 271 कर्मियों ने गुरुवार को ही पोर्टल पर जानकारी दी है।

प्रमुख विभागों की स्थिति
प्रमुख विभागों की स्थिति भी चिंताजनक है। उदाहरण के लिए, चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के 77,408 कर्मचारियों में से केवल 4 ने, चिकित्सा शिक्षा के 8,359 में से 5 ने, बेसिक शिक्षा के 9,763 में से 14 ने, माध्यमिक शिक्षा के 22,382 में से केवल 8 ने, गृह विभाग 310885 कर्मियों में से 139119 ने, समाज कल्याण 2438 में से 993 ने ,पंचायतीराज 109301 कर्मियों में से 43620 ने, जलशक्ति विभाग 45243 कर्मियों में से 23677 ने ,वित्त विभाग 6828 कर्मियों में से 4722 ने ,वन विभाग 7809 कर्मियों में से 4650 ने, सतर्कता विभाग 654 कर्मियों में से 340 ने , लोक निर्माण विभाग 32628 कर्मियों में से 16394 ने , राजस्व विभाग 62668 कर्मियों में से 17963 ने, महिला कल्याण 948 कर्मियों में से 472 ने , सचिवालय प्रशासन 4892 कर्मियों में से 3923 ने , औद्योगिक विकास 3221 कर्मियों में से 946 ने , परिवहन विभाग 1688 कर्मियों में से 858 ने , न्याय विभाग 775 कर्मियों में से 265 ने , आवास विभाग  61 कर्मियों में से 17 ने , नगर विकास विभाग 80 कर्मियों में से 37 ने , वाणिज्य कर विभाग 8046 कर्मियों में से 6926 ने , आयुष विभाग 11415 कर्मियों में से 6435 ने , कृषि विभाग 13499 कर्मियों में से 11912 ने , ग्राम्य विकास विभाग 2532 कर्मियों में से 1787 ने , पशुपालन विभाग 9493 कर्मियों में से 6259 ने , आबकारी विभाग 3815 कर्मियों में से 3419 ने , उद्यान विभाग 3121 कर्मियों में से 1414 ने , श्रम विभाग 4039 कर्मियों में से 3305 ने संपत्ति का ब्योरा दिया है।

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