यूपी एसटीएफ ने मंगलवार को बताया कि इनमें गिरोह का सरगना साजिद अली अमरोहा का रहने वाला है। वहीं गिरोह के सदस्यों में फिरोजाबाद निवासी साकिब, संभल निवासी सुहैल, मैनपुरी निवासी अहम मिश्रा शामिल हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद निवासी डाक विभाग में चालक विकल यादव को पकड़ा गया है, जिसकी तैनाती वर्तमान में मैनपुरी में है। अन्य पकड़े गए लोगों में आठ अभ्यर्थी शामिल हैं।
ग्रामीण डाक सेवक के पदों पर भर्ती कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश : एसटीएफ ने सरगना सहित 13 लोग किए गिरफ्तार
Oct 01, 2024 17:36
Oct 01, 2024 17:36
अमरोहा का रहने वाला है गिरोह का सरगना
यूपी एसटीएफ ने मंगलवार को बताया कि इनमें गिरोह का सरगना साजिद अली अमरोहा का रहने वाला है। वहीं गिरोह के सदस्यों में फिरोजाबाद निवासी साकिब, संभल निवासी सुहैल, मैनपुरी निवासी अहम मिश्रा शामिल हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद निवासी डाक विभाग में चालक विकल यादव को पकड़ा गया है, जिसकी तैनाती वर्तमान में मैनपुरी में है। अन्य पकड़े गए लोगों में आठ अभ्यर्थी शामिल हैं। इनमें बिजनौर निवासी प्रियाकुल चौधरी, हेमंत कुमार, सुमित चौधरी, गौरव चौधरी और अभिषेक चौधरी, अलीगढ़ निवासी कासिम, गाजियाबाद निवासी आसिफ और संभल निवासी प्रशांत कुमार शामिल हैं।
कई यूनिवर्सिटी की मार्कशीट बरामद
इनके पास से 21 मार्कशीट बिहार विश्वविद्यालय, 01 मार्कशीट बंगाल विश्वविद्यालय, तीन कार और 14 मोबाइल बरामद हुए हैं। इसके साथ ही गिरोह के सरगना साजिद के मोबाइल से सेव सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ की कई मार्कशीट बरामद हुई हैं। भारतीय डाक विभाग ने ग्रामीण डाक सेवक के 44228 पदों पर भर्ती के लिए जुलाई-2024 में विज्ञप्ति जारी की थी। उत्तर प्रदेश के लिये 4588 पदों पर भर्ती हेतु आरक्षित किये गये थे। इन पदों पर चयन हाईस्कूल की मार्कशीट में प्राप्त अंकों के आधार पर होना था।
कई दिनों से गिरोह की तलाश में थी एसटीएफ
एसटीएफ के मुताबिक उसे काफी दिनों से पश्चिमी यूपी के जनपदों में फर्जी मार्कशीट तैयार कर भारतीय डाक विभाग में भर्ती कराने वाले गिरोह के सदस्यों के बारे में सूचना मिल रही थी। इसके लिए टीमें लगाई गई थीं। इसी कड़ी में मेरठ इकाई के एएसपी बृजेश कुमार सिंह के निर्देशन में टीमें गठित कर सूचना जुटाई जा रही थी। इसी कड़ी में सूचना मिली कि भारतीय डाक विभाग में ग्रामीण डाक सेवक के पद पर फर्जी मार्कशीट तैयार कर भर्ती कराने वाले गिरोह के सदस्य अलीगढ़ के थाना सिविल लाइन क्षेत्रान्तर्गत भमोला पुल पर किसी का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद मौके पर पहुंचकर सभी लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
एक अभ्यर्थी से लेते थे चार से पांच लाख रुपये, इस तरह होता था बंटवारा
गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ पर बताया कि वह ग्रामीण डाक सेवक के पद पर भर्ती के लिए प्रत्येक अभ्यार्थी से 4 से 5 लाख रुपये लेते हैं। गिरोह के सदस्य ही अभ्यर्थी के लिए विभिन्न विश्वविद्यालय सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ, राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, बिहार शिक्षा बोर्ड पटना की मार्कशीट तैयार करते हैं। डाक विभाग में अभ्यार्थी की वेरीफिकेशन के लिये डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह को विकल यादव के माध्यम से प्रत्येक अभ्यार्थी के एक लाख रुपये के हिसाब से दिया जाता था। बाकी रकम ये लोग आपस में बांट लेते थे। यह लोग इस काम को काफी समय से करते आ रहे हैं। पकड़े जाने से पहले भी कुछ अभ्याथियों के वेरीफिकेशन के संबंध में बात करने के लिए ये लोग इकट्ठा हुए थे। गिरफ्तारी से पहले विकल यादव के जरिए पांच अभ्यार्थियों का वेरीफिकेशन कराया गया था। दो अभ्यार्थियों का वेरीफिकेशन अगले दिन कराने की बात कही गई थी।
इस तरह जुड़े गिरोह के सदस्य
गिरफ्तार अभियुक्त विकल यादव से पूछताछ पर पता चला कि यह मैनपुरी में पोस्टमैन के पद पर नियुक्त है तथा वर्तमान में डाक अधीक्षक मैनपुरी की गाड़ी चलाता है। वहीं साजिद फर्जी मार्कशीट तैयार करता है। साजिद से उसकी मुलाकात तत्कालीन डाक अधीक्षक मैनपुरी देवेंद्र कुमार सिंह के माध्यम से हुई थी। देवेंद्र वर्तमान में झांसी में तैनात है। साजिद अक्सर देवेंद्र कुमार सिंह से मिलने उनके घर या कार्यालय आता-जाता रहता था। जनपद अलीगढ़ के डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह पूर्व में मैनपुरी में नियुक्त रह चुके थे, इनकी गाड़ी भी विकल यादव चलाता था, इसलिये वह इनसे पूर्व से ही परिचित था। साजिद ने उसे डाक विभाग में वेरीफिकेशन के लिये प्रत्येक अभ्यार्थी एक लाख रुपये देने की बात कही थी, जो उसने डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह को बताई तो वह इस पर सहमत हो गये। उसने साजिद के कहने से कई अभ्यार्थियों के प्रथम व द्वितीय स्तर की फर्जी वेरीफिकेशन कराने का काम किया है।
गिरोह इस तरह करता था फर्जीवाड़ा
गिरफ्तार अभियुक्त साजिद ने पूछताछ पर बताया कि वह विभिन्न विश्वविद्यालयों, बोडों की फर्जी मार्कशीट तैयार कर उनका ऑनलाइन डाटा तैयार कराता है। साजिद मार्कशीट की सॉफ्ट काफी अपने व्हाट्सएप पर गाजियाबाद निवासी विकास से मंगवाता था। इसके बाद इसका प्रिंट वह अमरोहा निवासी आदिल से कराता था। फर्जी मार्कशीट का ऑनलाइन डाटा पंजाब के लुधियाना निवासी साहिल से फीड कराता था। वहीं सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ, राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, बिहार शिक्षा बोर्ड पटना की मार्कशीट व ऑनलाइन डाटा रिकार्ड में रविन्द्र से फीड कराता था। इसके अलावा दीपक सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ की फर्जी मार्कशीट तैयार करने में मदद करता था। वहीं शाकिब व गिरोह के अन्य सदस्य अभ्यार्थी लाते हैं। प्रत्येक अभ्यार्थी से 4 से 5 लाख रुपये लेते थे। जिसमें से वेरीफिकेशन के लिये 01 लाख रुपये विकल यादव को देते थे।
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