टाटा पावर की JKPTL को इंटर स्टेट ट्रांसमिशन लाइसेंस पर सुनवाई : बड़े उद्योगों को लाभ, उपभोक्ताओं पर बोझ डालने का विरोध

बड़े उद्योगों को लाभ, उपभोक्ताओं पर बोझ डालने का विरोध
UPT | Power Transmission

Sep 27, 2024 17:17

टाटा पावर की जलपुरा खुर्जा पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड के अधिवक्ता आशीष कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि कंपनी के तरफ से सभी जरूरी औपचारिकता पूरी की जा चुकी है। इसलिए उन्हें इंटर स्टेट ट्रांसमिशन लाइसेंस दिया जाए।

Sep 27, 2024 17:17

Short Highlights
  • प्रोजेक्ट में 837 करोड़ से ज्यादा होगा खर्च, उपभोक्ताओं पर बोझ डालने की कोशिश 
  • उपभोक्ता परिषद का दावा- सब स्टेशन और लाइन का बड़े औद्योगिक घरानों को​ मिलेगा लाभ
Lucknow News : टाटा पावर की जलपुरा खुर्जा पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड (JKPTL) को इंटर स्टेट ट्रांसमिशन लाइसेंस देने पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) में शुक्रवार को आम सुनवाई हुई। इस दौरान उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष और टाटा पावर के अधिवक्ताओं के बीच जोरदार बहस हुई। उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग के सामने खुलासा किया इस प्रोजेक्ट से आम उपभोक्ताओं के बजाय बड़े औद्योगिक घरानों को फायदा होगा, इसलिए इसका बोझ आम उपभोक्ताओं पर डालना उचित नहीं है। 

नियामक आयोग के अध्यक्ष और सदस्य की उपस्थिति में हुई सुनवाई
टैरिफ बेस कॉम्पिटेटिव बिल्डिंग के तहत टाटा पावर की जलपुरा खुर्जा पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड द्वारा बनाये जा रहे 400/220 केवी 500 एमबीए जीआईएस जेवर की दो इकाइयों मेट्रो डिपो एवं जलपुरा ग्रेटर नोएडा के दो व संबंधित लाइनों के निर्माण की कुल लागत लगभग 837 करोड़ से ज्यादा पहुंच गई है। इस काम को कराए जाने को लेकर विद्युत नियामक आयोग में दाखिल इंटर स्टेट ट्रांसमिशन लाइसेंस के मुद्दे पर नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह की उपस्थिति में सुनवाई हुई।  



औद्योगिक घराने के अधिवक्ता ने की इंटर स्टेट ट्रांसमिशन लाइसेंस देने की मांग
उपभोक्ता परिषद ने स्पष्ट किया कि उपभोक्ता हित में कोई भी समझौता नहीं होगा। विद्युत नियामक आयोग का दायित्व है कि वह विद्युत अधिनियम 2003 के प्रिंबल में उपभोक्ता हित को सर्वोपरि रखे। वहीं जब विद्युत नियामक आयोग ने पावर ट्रांसमिशन के उपस्थित अधिकारियों से अपना पक्ष रखने को कहा तो उन लोगों ने नो कमेंट करके चुपी साध ली। सुनवाई शुरू होने के बाद टाटा पावर की जलपुरा खुर्जा पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड के अधिवक्ता आशीष कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि कंपनी के तरफ से सभी जरूरी औपचारिकता पूरी की जा चुकी है। इसलिए उन्हें इंटर स्टेट ट्रांसमिशन लाइसेंस दिया जाए।

उद्योगपतियों को मिलेगा लाभ, उपभोक्ता पर बोझ डालने का विरोध 
प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का पक्ष रखते हुए उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि दूसरे पक्ष से स्टेट डेवलपमेंट की जो बात की जा रही है, वह अधूरी है। वास्तव में इस उपकेंद्र व संबंधित लाइन के तैयार होने से किसका फायदा होगा, इस पर विद्युत नियामक आयोग को गंभीरता से विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में ट्रांसमिशन कार्य अनुमोदन समिति ने तय किया था, उस पर ध्यान दें तो वर्तमान में गौतमबुद्ध नगर के अंतर्गत ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र के उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति मुख्य रूप से 765 केवी जहांगीरपुर 400 केवी पाली व 220 केवी ग्रेटर नोएडा सहित 133 केवी सूरजपुर ग्रेटर नोएडा सब स्टेशन से सुचार रूप से की जा रही है। इसमें कोई भी दिक्कत नहीं है। जबकि वर्तमान में जो उपकेंद्र और लाइन बनाई जा रही है, उसका लाभ सिर्फ उद्योगपतियों को मिलेगा। इनमें अडानी डाटा सेंटर पार्क -1 अडानी डाटा सेंटर पार्क-2 को 80-80 मेगावाट, निडप्प डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को 200 मेगावाट, एसटीटी ग्लोबल डाटा सेंटर को 135 मेगावाट, एनटीटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड को 70 से 90 मेगावाट और जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को 70 मेगावाट का लाभ होगा।  

837 करोड़ से ज्यादा का होगा खर्च
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि यह कहां का न्याय है कि देश के उद्योगपतियों के बनाए जा रहे डाटा सेंटर व अन्य वाणिज्यिक संस्थान की बिजली जहां पहले से ही सस्ती है। वहीं उनके लिए बनाए जा रहे सब स्टेशन व लाइन का खर्च प्रदेश का आम उपभोक्ता अगले 35 वर्षों तक वहन करेगा। उन्होंने कहा कि इस पर ये कोई मामूली धनराशि नहीं है। इस पर कुल लगभग 837 करोड़ से ज्यादा का खर्च होना है। यानी कि इसका भुगतान अगले 35 वर्षों तक प्रदेश की जनता को करना पड़ेगा, जो पूरी तरह से गलत है। हकीकत में ये खर्च इन सभी निजी घरानों को उठाना चाहिए। प्रदेश का उपभोक्ता दो किलोवाट की लाइन का भी खर्च खुद वहन करता है, ऐसे में इन उद्योगपतियों की लाइन और सब स्टेशन का खर्च वह क्यों वहन करे।

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