आईवीएफ के फर्जी दावों से लोगों हो रहे गुमराह : विशेषज्ञ बोले- अमेरिका तक में 80 फीसदी सफलता नहीं, सरकारी संस्थानों में शुरुआत जरूरी

विशेषज्ञ बोले- अमेरिका तक में 80 फीसदी सफलता नहीं, सरकारी संस्थानों में शुरुआत जरूरी
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Nov 29, 2024 21:20

डॉ. नीना ने सुझाव दिया कि सरकारी संस्थानों में आईवीएफ सेंटर खोले जाएं। इससे प्राइवेट आईवीएफ सेंटरों का जाल टूटेगा और मरीजों को सस्ते और भरोसेमंद विकल्प मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेंटर की मनमानी रोकने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है।

Nov 29, 2024 21:20

Lucknow News : देश में आईवीएफ (कृत्रिम गर्भाधान) के नाम पर झूठे और भ्रामक दावे किए जा रहे हैं। 80 प्रतिशत सफलता का दावा करने वाले प्राइवेट आईवीएफ सेंटर नि:संतान दंपतियों को गुमराह कर रहे हैं। हकीकत में इतने बड़े पैमाने पर सफलता संभव नहीं है। इन भ्रामक दावों की वजह से लोग अपने रुपये लुटा रहे हैं। यह बात एम्स, दिल्ली के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. नीना मल्होत्रा ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में आयोजित 92वें स्थापना दिवस समारोह में कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि आईवीएफ के दावों और वास्तविकता में बड़ा अंतर है। अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी आईवीएफ की सफलता दर 39 प्रतिशत तक सीमित है, जबकि एम्स दिल्ली में यह 35 प्रतिशत है। इसके विपरीत, भारत के कुछ निजी सेंटर 80 प्रतिशत सफलता का दावा कर रहे हैं, जो सरासर फरेब है।

बांझपन के बढ़ते मामलों पर चर्चा
डॉ. नीना ने बांझपन के तेजी से बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि देरी से शादी करना इसका एक बड़ा कारण है। पहले जहां 18-25 साल की उम्र में शादियां हो जाती थीं, अब 35-40 साल की उम्र में विवाह सामान्य होता जा रहा है। यह देरी महिलाओं के लिए गर्भधारण को मुश्किल बना रही है, जिसका फायदा निजी आईवीएफ सेंटर उठा रहे हैं। जबकि इनके बिना भी लोगों के घर में किलकारी गूंज सकती है। 



सरकारी आईवीएफ सेंटर खोलने की जरूरत
डॉ. नीना ने सुझाव दिया कि सरकारी संस्थानों में आईवीएफ सेंटर खोले जाएं। इससे प्राइवेट आईवीएफ सेंटरों का जाल टूटेगा और मरीजों को सस्ते और भरोसेमंद विकल्प मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेंटर की मनमानी रोकने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है।
कार्यक्रम के दौरान क्वीनमेरी की विभागाध्यक्ष डॉ. अंजू अग्रवाल ने बताया कि उनके विभाग में हर साल करीब 9,000 प्रसव होते हैं। यह किसी भी एक संस्थान में होने वाले प्रसवों की सबसे बड़ी संख्या है। इनमें से अधिकांश प्रसव ऑपरेशन के माध्यम से किए जाते हैं।

समारोह का शुभारंभ और प्रतिभागियों की भागीदारी
इस समारोह का शुभारंभ केजीएमयू की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद और क्वीनमेरी की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. कल्याणी दास ने किया। इस मौके पर विभाग की वरिष्ठ डॉक्टरों में डॉ. सुजाता देव, डॉ. सीमा मेहरोत्रा, और अन्य डॉक्टर भी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों और स्टाफ को सम्मानित किया गया।

पुरस्कारों का वितरण
सर्वाधिक मानवीय रेजिडेंट: डॉ. मोनिका सिंह
सर्वाधिक उपस्थिति: डॉ. शालिनी यादव, डॉ. आरती वर्मा, और डॉ. शांभवी झा
स्टाफ सम्मान: अविलेश कुमार, राघवेंद्र उपाध्याय, पुष्पा देवी, मनोज कन्नौजिया, मंजू

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