गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया बेहद जटिल होती है। इसके लिए एडीएम की सुनवाई और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है। पिछले सप्ताह ही अंतिम सुनवाई के दौरान यह दंपति लखनऊ में मौजूद था। अधिकारियों ने विनायक की कस्टडी उनके सुपुर्द कर दी।
कूड़े के ढेर से अमेरिका तक का सफर : लखनऊ के नन्हे विनायक की किस्मत का पासा पलटा, एक सप्ताह में रवानगी
Jan 06, 2025 20:51
Jan 06, 2025 20:51
अमेरिका में होगी बेहतर परवरिश
डीपीओ विकास सिंह के अनुसार, यह अमेरिकी परिवार विनायक को एक सुरक्षित, खुशहाल और समृद्ध जीवन प्रदान करेगा। उनके अनुसार, इस दंपति ने विनायक की परवरिश के लिए बहुत उत्साह दिखाया है। वे कई बार लखनऊ आए और गोद लेने की कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए लाखों रुपये खर्च किए। अब पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसके बाद विनायक एक सप्ताह के भीतर अपने नए परिवार के साथ अमेरिका रवाना हो जाएगा।
पहले से है एक बेटा, अब मिला भाई
गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया बेहद जटिल होती है। इसके लिए एडीएम की सुनवाई और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है। पिछले सप्ताह ही अंतिम सुनवाई के दौरान यह दंपति लखनऊ में मौजूद था। अधिकारियों ने विनायक की कस्टडी उनके सुपुर्द कर दी। अमेरिकी दंपति का पहले से एक बेटा है, लेकिन वे अपने बेटे के लिए एक भाई चाहते थे। दूसरा बच्चा करने के बजाय उन्होंने गोद लेने का रास्ता चुना। यह निर्णय न केवल उनके परिवार के लिए खुशी लेकर आया, बल्कि विनायक के लिए भी एक नई जिंदगी की शुरुआत बन गया।
विनायक की जिंदगी का नया अध्याय, दंपति की संवेदनशीलता और समाज के लिए संदेश
विनायक के लिए यह गोद लिया जाना सिर्फ नई परवरिश का मौका नहीं है, बल्कि यह एक नई पहचान और भविष्य का दरवाजा है। अमेरिका में उसे शिक्षा, स्वास्थ्य और एक सुरक्षित माहौल मिलेगा। जहां एक तरफ वह बेसहारा था, वहीं अब उसे माता-पिता का प्यार और एक भाई का साथ मिलेगा। इस अमेरिकी दंपति ने न केवल विनायक को एक नई जिंदगी दी, बल्कि यह भी साबित किया कि समाज में बेसहारा बच्चों को अपनाना एक महान कार्य है। उनके इस कदम से अन्य परिवारों को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे ऐसे बच्चों के लिए अपने दरवाजे खोलें।
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