Lucknow News : केजीएमयू में कहीं वेंटिलेटर की कमी से मरीजों की जान पर संकट, कहीं अधिक होने के कारण हो रहे खराब

केजीएमयू में कहीं वेंटिलेटर की कमी से मरीजों की जान पर संकट, कहीं अधिक होने के कारण हो रहे खराब
UPT | केजीएमयू में वेंटिलेटर नहीं मिलने से हाल ही में मरीज अबरार की हो चुकी है मौत

Nov 30, 2024 01:09

केजीएमयू इन दिनों वेंटिलेटर की कमी और उनके प्रबंधन की खामियों के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहा है। जहां एक ओर गंभीर मरीज वेंटिलेटर के अभाव में अपनी जान गंवा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर संस्थान के संक्रामक रोग यूनिट में 10 वेंटिलेटर निष्क्रिय अवस्था में पड़े हुए हैं।

Nov 30, 2024 01:09

Lucknow News :  किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के हृदय रोग विभाग (लारी कार्डियोलॉजी) में इलाज के लिए मरीज के गिड़गिड़ाने और फिर उसकी मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस प्रकरण में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। लेकिन, सवाल उठ रहा है कि आखिर विभागों में वेंटिलेटर लगाने का मापदंड क्या है। एक तरफ कई विभागों में मरीजों का अत्यधिक दबाव होने के कारण वेंटिलेटर खाली नहीं हैं और उन्हें दूसरे चिकित्सा संस्थानों में लौटाया जाता है, जैसा कि लारी कॉर्डियोलॉजी के मामले में भी हुआ। वहीं दूसरी ओर कई विभाग ऐसे भी हैं जहां वेंटिलेटर रखे-रखे खराब हो रहे हैं। मरीजों की बेहद कम संख्या के कारण इनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। 

संक्रामक रोग यूनिट में जरूरत से ज्यादा वेंटिलेटर 
केजीएमयू इन दिनों वेंटिलेटर की कमी और उनके प्रबंधन की खामियों के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहा है। जहां एक ओर गंभीर मरीज वेंटिलेटर के अभाव में अपनी जान गंवा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर संस्थान के संक्रामक रोग यूनिट में 10 वेंटिलेटर निष्क्रिय अवस्था में पड़े हुए हैं। संक्रामक रोग यूनिट में वेंटिलेटर की आवश्यकता के मुकाबले उनकी संख्या अधिक है। इस यूनिट में केवल 30 बेड हैं और आमतौर पर यहां तीन से पांच मरीज ही भर्ती रहते हैं। महीने में दो से तीन मरीजों को ही वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है, जबकि यूनिट में 10 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। अधिकांश समय ये वेंटिलेटर कपड़े से ढके रहते हैं और उनकी सही तरीके से देखभाल और साफ-सफाई भी नहीं हो पाती। इस वजह से लाखों रुपए कीमत के ये उपकरण खराब होने के खतरे में हैं।



दूसरे विभागों में वेंटिलेटर का भारी संकट
जहां एक ओर वेंटिलेटर संक्रामक रोग यूनिट में व्यर्थ पड़े हैं, वहीं दूसरी ओर केजीएमयू के अन्य विभागों जैसे लारी कॉर्डियोलॉजी, ट्रॉमा सेंटर, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, सर्जरी और गायनी में वेंटिलेटर की भारी कमी है। गंभीर मरीजों को समय पर वेंटिलेटर न मिल पाने की वजह से उनकी जान जा रही है। वेंटिलेटर आवंटन में लापरवाही गंभीर मरीजों की मौत का कारण बन रही है। इसके बावजूद, इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

प्रमुख घटनाएं : वेंटिलेटर की कमी से हुई मौतें
  • 24 नवंबर 2024 : लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग में वेंटिलेटर की कमी के चलते दुबग्गा निवासी बुजुर्ग अबरार की मौत हो गई।
  • 16 जून 2023 : देवरिया की सुनैना देवी, जिन्हें ब्रेन हेमरेज के बाद ट्रॉमा सेंटर लाया गया, वेंटिलेटर न मिलने की वजह से एंबुलेंस में ही दम तोड़ गईं।
  • 24 जुलाई 2023 : बलरामपुर अस्पताल में वेंटिलेटर न मिलने के कारण एक अन्य मरीज की मृत्यु हो गई।
  • 30 दिसंबर 2023 : इंदिरानगर निवासी मनभावती और लखीमपुर खीरी की लज्जावती की जान वेंटिलेटर की अनुपलब्धता के कारण चली गई।
जीवनरक्षा के लिए बेहद जरूरी होता है वेंटिलेटर
वेंटिलेटर को आमतौर पर मेकैनिकल वेंटिलेशन सिस्टम कहा जाता है। यह ऐसा उपकरण है जो गंभीर रूप से बीमार मरीजों की सांसों को बनाए रखने में मदद करता है। यह उपकरण तब उपयोग किया जाता है जब मरीज स्वयं सांस लेने में असमर्थ होता है या उसकी सांस लेने की प्रक्रिया में गंभीर समस्या होती है। वेंटिलेटर मरीज के फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने में मदद करता 

वेंटिलेटर का उपयोग 
  • सांस की रुकावट : जब मरीज को फेफड़ों या वायुमार्ग में किसी प्रकार की समस्या होती है।
  • गंभीर चोट या सर्जरी के बाद : ऑपरेशन के दौरान या बाद में मरीज की सांस लेने में मदद के लिए।
  • ब्रेन हेमरेज या नर्वस सिस्टम की समस्या : जब मरीज का मस्तिष्क सांस नियंत्रित नहीं कर पाता।
  • अस्थमा या फेफड़ों के रोग : जैसे क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज।
  • नवजात देखभाल : समय से पहले जन्मे बच्चों के फेफड़ों के विकास में मदद के लिए। 

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