सेमिनार के उद्घाटन सत्र में पूर्व एसीएस अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि जनसंख्या और विकास एक-दूसरे के पूरक हैं। समाज की अपनी क्षमता होती है, और जब जनसंख्या इस क्षमता से अधिक नहीं होती, तो वह समाज के लिए फायदेमंद साबित होती है।
Lucknow News : केकेसी में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, विशेषज्ञ बोले- जनसंख्या और विकास में संतुलन बेहद जरूरी
Nov 18, 2024 20:53
Nov 18, 2024 20:53
विकास-जनसंख्या के बीच संतुलन की आवश्यकता
सेमिनार के उद्घाटन सत्र में पूर्व एसीएस अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि जनसंख्या और विकास एक-दूसरे के पूरक हैं। समाज की अपनी क्षमता होती है, और जब जनसंख्या इस क्षमता से अधिक नहीं होती, तो वह समाज के लिए फायदेमंद साबित होती है। उन्होंने कहा कि विकास और जनसंख्या के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, ताकि समाज और पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल असर न हो।
जनसंख्या के दो पहलू
लविवि के प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने कहा कि जनसंख्या के विकास के दोनों पक्ष होते हैं—एक सकारात्मक और एक नकारात्मक। यह इस बात पर निर्भर करता है कि जनसंख्या अपनी आवश्यकताओं को संसाधनों के भीतर कितनी अच्छी तरह पूरी कर पाती है।
पर्यावरण और जनसंख्या का सामंजस्य
मुकेश कुमार शर्मा ने जनसंख्या और पर्यावरण के बीच सामंजस्य की बात की। उन्होंने बताया कि भारत की 60 प्रतिशत जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु के लोगों की है और स्वास्थ्य जैसे कारकों को प्राथमिकता देने की जरूरत है। इसके अलावा, उन्होंने 2047 तक स्वस्थ्य स्थितियों में सुधार का अनुमान व्यक्त किया।
वैश्विक जागरूकता पर जोर
जर्मनी की प्रोफेसर वॉल्टर बाल ने कहा कि जनसंख्या और विकास के मुद्दे पर वैश्विक जागरूकता की आवश्यकता है। इन मुद्दों पर जितनी चर्चा हो, उतनी कम है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में जनसंख्या और विकास को लेकर जागरूकता होना चाहिए।
स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित करने की जरुरत
इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी की अध्यक्ष प्रो. मैत्रेयी चौधरी ने जनसंख्या के लिए स्किल डेवलपमेंट को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान हमें असहाय महसूस हुआ था, और भविष्य में हमें जनसंख्या को ऐसी स्थितियों से बचाने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है।
माल्थुसियन थ्योरी पर चर्चा
जेएनयू के प्रोफेसर प्रवीण झा ने 18वीं शताब्दी से शुरू हुई जनसंख्या और विकास पर चर्चाओं को रेखांकित किया और माल्थुसियन थ्योरी का उल्लेख किया।
अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
केकेसी के प्रबंध समिति के अध्यक्ष वीएन मिश्र ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विकास का उद्देश्य विनाश नहीं होना चाहिए। विकास प्रबुद्ध और रचनात्मक होना चाहिए, ताकि सतत विकास की अवधारणा बनी रहे। इसके लिए जनसंख्या का उचित नियोजन और नियंत्रण आवश्यक है। प्राचार्य प्रो. विनोद चंद्रा ने सेमिनार के तीन दिनों के कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। पहले दिन के सत्रों में हेल्थ सिस्टम, परिवार नियोजन, जनसंख्या स्तर, और विकास पर विशेषज्ञों द्वारा सार्थक चर्चाएं की गईं।
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