जेपीएनआईसी का काम अखिलेश सरकार में साल 2013 से 2016 के दौरान किया गया। इस दौरान करीब 865 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं वर्ष 2017 से यहां काम प्रभावित है। जेपीएनआइसी के अधूरे निर्माण कार्य को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की जा चुकी है, जिस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब भी मांगा था।
अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट को अब लीज का सहारा : जेपीएनआईसी के लिए एलडीए निकालेगा ग्लोबल टेंडर
Sep 06, 2024 09:21
Sep 06, 2024 09:21
2013 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट अभी तक अधूरा, उठे सवाल
जेपीएनआईसी का काम अखिलेश सरकार में साल 2013 से 2016 के दौरान किया गया। इस दौरान करीब 865 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं वर्ष 2017 से यहां काम प्रभावित है। जेपीएनआइसी के अधूरे निर्माण कार्य को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की जा चुकी है, जिस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब भी मांगा था। बताया जा रहा है कि जय प्रकाश नारायण के नाम पर बनाए गए जेपीएनआईसी का काम पूरा करने के लिए करीब 1000 करोड़ की धनराशि की जरूरत है। एलडीए अब लीज के जरिए इस काम को कराएगा। इसके लिए एक महीने के अंदर रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी किया जाएगा। इसके जरिए टेंडर से पहले संचालन के लिए आने वाली कंपनियों के सुझाव भी पता लग सकेंगे।
अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था जेपीएनआईसी
अखिलेश यादव सरकार में जेपीएनआईसी बड़ा प्रोेजेक्ट था। इसका शुभारंभ करते समय बड़े बड़े दावे किए गए थे। इसके लखनऊ की बेहद खास और अत्याधुनिक इमारतों में शुमार होने की बात कही जा रही थी। इसकी 18 मंजिल भव्य इमारत में हैलीपैड भी बनाया गया। लेकिन, करीब सात साल से काम पूरी तरह से बंद होने के कारण यहां की स्थिति काफी बदहाल हो चुकी है। अखिलेश यादव स्वयं कई बार इस पर सवाल उठा चुके हैं।
बजट के अभाव में एलडीए बैकफुट पर
अहम बात है कि जिस तरह से जेपीएनआईसी से जुड़े काम मनमानी पूवर्क और बजट से बाहर जाकर कराने की बात सामने आई है, उससे एलडीए के अधिकारी अब नहीं चाह रहे हैं कि उनकी गर्दन फंसे। दरअसल सपा सरकार में इस प्रोजेक्ट को लेकर 203 करोड़ के विद्युत व यांत्रिक के काम की अनुमति डीपीआर में थी। लेकिन, इससे कहीं ज्यादा आगे बढ़कर 249 करोड़ के काम करा दिया गया। नियमों को धता बताकर इसमें से 208 करोड़ खर्च का भुगतान भी एलडीए ने कर दिया। इतना सब कुछ शासन की मंजूरी के बिना कर दिया गया। इसके अलावा कई ऐसे काम जो डीपीआर में शामिल नहीं थे, उन्हें भी मनमानी पूर्वक कराया गया, जिससे बजट लगातार बढ़ता चला गया। वहीं जांच के दायरे में अधिकारियों के आने पर डीपीआर को ही गायब कर दिया। इसे लेकर भी जेपीएनआईसी काफी सुर्खियों में रहा। अब करीब 1000 करोड़ की धनराशि खर्च कर जेपीएनआईसी का निर्माण कार्य पूरा करने से एलडीए ने कदम वापस खींच लिए हैं। ऐसे में अब प्राइवेट कंपनी को लीज पर देकर इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का फैसला किया गया है।
टेंडर के जरिए प्रोजेक्ट पूरा करने की तैयारी
प्राधिकरण के उपाध्यख प्रथमेश कुमार के मुताबिक जेपीएनआईसी के कामों के लिए बजट उपलब्ध होने में दिक्कत है। ऐसे में जितना निर्माण हो चुका है और इमारत जिस स्थिति में उसी हाल में उसे प्राइवेट कंपनी को लीज पर देने का निर्णय किया गया है। इसके लिए ग्लोबल टेंडर निकाला जाएगा। एलडीए चाहता है कि इसके लिए बड़ी कंपनियां आवेदन करें, इस दिशा में प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। बताया जा रहा है कि जिस कंपनी को नियमों के मुताबिक टेंडर दिया जाएगा, उसे आगे के सभी अधूरे काम स्वयं के खर्च पर पूरे करने होंगे। इस शर्त को पूरी करते हुए कंपनी इसका संचालन कर सकेगी।
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