यूपी में दो सितंबर से खोजे जाएंगे कुष्ठ रोगी : 15.56 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य, जानें कितने हैं मरीज

15.56 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य, जानें कितने हैं मरीज
UPT | Leprosy Patient Search Campaign

Aug 29, 2024 19:21

यूपी में वर्तमान में 13,461 कुष्ठ रोगी हैं, जिनका इलाज चल रहा है। कुष्ठ रोगियों का सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर मल्टी ड्रग ट्रीटमेंट (एमडीटी) के माध्यम से निःशुल्क इलाज किया जाता है। एमडीटी के उपचार के बाद इस रोग के फिर होने की संभावना बेहद कम है। रोग से पीड़ित व्यक्ति की करेक्टिव सर्जरी नि:शुल्क की जाती है और मरीज को श्रम ह्रास के बदले में 12,000 रुपए दिए जाते हैं।

Aug 29, 2024 19:21

Short Highlights
  • ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट को लेकर घर घर-पहुंचेंगी टीमें
  • प्रदेश में बनाई गई 1.55 लाख टीमें और 31112 सुपरवाइजर
Lucknow News : राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत लखनऊ सहित प्रदेश के 47 जनपदों के 550 विकास खंडों (ब्लाक) में 2-15 सितंबर तक 14 दिवसीय कुष्ठ रोगी खोजी अभियान (एलसीडीसी) चलेगा। इस संबंध में प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं।

घर-घर जाकर लोगों की लक्षण के आधार पर स्क्रीनिंग
डॉ.जया देहलवी, राज्य कुष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की प्रक्रिया अपनाते हुए रोगी की शीघ्र पहचान, जांच और इलाज किया जाता है। 14 दिनों तक चलने वाले कुष्ठ रोगी खोजी अभियान में 47 जनपदों की 15.56 करोड़ जनसंख्या को आच्छादित करने का लक्ष्य है। इस अभियान के तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लक्षणों के आधार पर कुष्ठ रोगियों की पहचान करेंगे। यह अभियान सभी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में चलेगा। इस अभियान को सुचारू रूप से चलाने के लिए 1,55,575 टीम और 31,112 सुपरवाइजर बनाए गए हैं। एक टीम में दो लोग हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता और पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता तथा शहरी क्षेत्रों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता  होंगे। टीम घर-घर जाकर लोगों की लक्षण के आधार पर स्क्रीनिंग करेगी और चिह्नित संभावित कुष्ठ रोगियों को संबंधित पर्ची के साथ नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर भेज दिया जाएगा।

प्रदेश में 13,461 कुष्ठ रोगियों का चल रहा इलाज
राज्य कुष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 13,461 कुष्ठ रोगी हैं, जिनका इलाज चल रहा है। कुष्ठ रोगियों का सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर मल्टी ड्रग ट्रीटमेंट (एमडीटी) के माध्यम से निःशुल्क इलाज किया जाता है। एमडीटी के उपचार के बाद इस रोग की पुनरावृत्ति दुर्लभ होती है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की करेक्टिव सर्जरी नि:शुल्क की जाती है और मरीज को श्रम ह्रास के बदले में 12,000 रुपए दिए जाते हैं।
 
2027 तक कुष्ठ उन्मूलन का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने साल 2027 तक कुष्ठ उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। कुष्ठ उन्मूलन अर्थात कुष्ठ रोग की व्यापकता दर राज्य, जनपद एवं विकास खंड स्तर पर एक रोगी प्रति 10,000 की जनसंख्या से कम लाने,  कुष्ठ रोग से होने वाली विकलांगता (ग्रेड-2 ) का स्तर प्रति एक लाख जनसंख्या में एक रोगी से भी कम प्राप्त किये जाने एवं कुष्ठ रोग से प्रभावित कोई भी बच्चा दिव्यांगता से प्रभावित न होने पाए, के राष्ट्रीय संकल्प के अंतर्गत राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम संचालित है। कुष्ठ रोग को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों और भेदभाव को दूर किये जाने के साथ ही समाज को जागरूक करने की जरूरत है कि कुष्ठ रोग अभिशाप नहीं है। यह अन्य रोगों की तरह बैक्टीरिया से होने वाला रोग है, जिसका उपचार सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर निःशुल्क उपलब्ध है।

कुष्ठ रोग के लक्षण नजर आने पर करें संपर्क
कुष्ठ रोग के लक्षण नजर आने पर अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम से संपर्क करें या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर परामर्श लें। कुष्ठ एक संक्रामक रोग है। यह 'माइकोबैक्टीरियम लेप्रे' नामक जीवाणु के कारण होता है, जो एक एसिड-फास्ट रॉड के आकार का बेसिलस है। यह त्वचा के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों को कमजोर करता है। कुष्ठ रोग में त्वचा पर ताम्बई रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। यह धब्बे संवेदना रहित होते हैं और  रोग की शुरुआत बहुत धीमी गति व शांति से होती है। यह तंत्रिकाओं, त्वचा और आंखों को प्रभावित करता है। कुष्ठ अत्यधिक घातक रोग है, क्योंकि इस रोग में स्थाई शारीरिक दिव्यांगता हो सकती है, विशेष रूप से रोग में दिखने वाली दिव्यांगता ही मरीज के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह गंभीर विकृति और दिव्यांगता का कारण बन सकती है। कुष्ठ रोगियों के पैरों के तलवों में छाले, मांसपेशियों की कमजोरी और वजन में कमी सामान्य सी बात है।

इन जनपदों में चलेगा अभियान
आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बरेली, बिजनौर, बुलंदशहर, देवरिया एटा, इटावा, अयोध्या, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, गोरखपुर, गाजीपुर, हापुड़, गोंडा, चित्रकूट, हाथरस, जालौन, झांसी, कन्नौज, कानपुर नगर, ललितपुर, लखनऊ, महाराजगंज, मैनपुरी, मऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, श्रावस्ती, शाहजहांपुर, संत रविदास नगर, सुल्तानपुर, कासगंज, मथुरा, संभल वाराणसी एवं अमेठी।

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