सपा ने बुधवार को 6 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी है। यूपी में 10 सीटों पर होने वाले चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों को उतारा है। सपा ने बुधवार को 6 सीटों पर अपने पत्ते खोल दिए हैं, लेकिन चार सीटों पर अभी भी पर्दा गिरा हुआ है...
सपा के टिकट वितरण पर सियासी महाभारत : भाजपा बोली- परिवारवाद का नया अध्याय, कांग्रेस ने कहा- हमसे चर्चा नहीं
Oct 10, 2024 02:41
Oct 10, 2024 02:41
इन प्रत्याशियों को दिया टिकट
आइये बात करते हैं उन सीटों की जिन पर सपा ने प्रत्याशियों को टिकट दिया है। अखिलेश यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी ने करहल विधानसभा सीट से उनके भतीजे तेज प्रताप यादव, सीसामऊ सीट से अयोग्य ठहराए गए इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सिद्दीकी, मिल्कीपुर से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद, कटेहरी से सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा, फूलपुर से मुस्तफा सिद्दीकी और मंझवा से ज्योति बिंद को मैदान में उतारा है।
- करहल विधानसभा सीट: तेज प्रताप यादव
- सीसामऊ सीट: नसीम सिद्दीकी
- मिल्कीपुर सीट: अजीत प्रसाद
- कटेहरी सीट: शोभावती वर्मा
- फूलपुर सीट: मुस्तफा सिद्दीकी
- मंझवा सीट: ज्योति बिंद
करहल सीट जो अखिलेश यादव की सीट है। कासगंज सीट से सांसद बनने के बाद यह खाली हो गई थी। अखिलेश ने करहल विधानसभा सीट पर मैनपुरी से पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। बता दें कि तेज प्रताप यादव का विवाह 2015 में लालू प्रसाद यादव की छोटी बेटी राजलक्ष्मी से हुआ, जो काफी चर्चित रहा। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर-वधू को आशीर्वाद देने पहुंचे थे। तेज प्रताप यादव, मुलायम यादव के बड़े भाई रतन के पोते हैं। 36 वर्षीय तेज प्रताप 2014 में मैनपुरी सीट से सांसद रह चुके हैं, जहां उन्होंने 3.12 लाख वोटों से जीत हासिल की थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल नोएडा में हुई और उन्होंने एमिटी विश्वविद्यालय से बीकॉम किया। इसके अलावा, उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के लीड्स विश्वविद्यालय से एमएससी (प्रबंधन) की डिग्री भी प्राप्त की है।
2. सीसामऊ सीट
अब बात करते हैं सीसामऊ सीट की जहां पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है। सीसामऊ सीट से तीन बार विधायक रह चुके इरफान सोलंकी को कई मामलों में सजा मिलने के कारण उनकी विधायकी चली गई। अब उनकी पत्नी नसीम सोलंकी पर परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है। हाल ही में नसीम सोलंकी ने सीसामऊ में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की है। टिकट मिलते ही नसीम फूट-फूट कर रोने लगीं। उन्होंने कहा कि हम कमजोर नहीं हैं। कमजोर होते तो बहुत पहले भाग जाते। ये खुशी नहीं बल्कि संघर्ष की लड़ाई है। सपा विधायक इरफान सोलंकी को कानपुर की MP/MLA कोर्ट ने जाजमऊ आगजनी मामले में 7 साल की सजा सुनाई है। वह इस मामले में 2 दिसंबर, 2022 से जेल में हैं। 7 साल की सजा के बाद अब कानपुर की सीसामऊ सीट से उनकी विधायक पद की कुर्सी भी चली गई है, जिसके चलते यहां उपचुनाव होगा।
3. मिल्कीपुर सीट
सबसे अधिक चर्चित मिल्कीपुर सीट पर सपा ने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। इस बार अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को चुनावी मैदान में उतारा गया है। अवधेश प्रसाद की अयोध्या से जीत ने उन्हें सपा का पोस्टर बॉय बना दिया है और पार्टी की रणनीति है कि एक बार फिर उनके माध्यम से बीजेपी को अयोध्या में मात दी जाए। मिल्कीपुर में सपा के लिए यह चुनावी मुकाबला सबसे चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है। हालांकि कुछ दिन पहले अजीत प्रसाद के खिलाफ केस दर्ज हुआ था।
4. कटेहरी सीट
कटेहरी सीट सांसद लालजी वर्मा के चुनाव जीतने के कारण खाली हुई थी। इस सीट पर सपा ने लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को टिकट दिया है। यहां कई दावेदार थे, लेकिन लालजी वर्मा ने अपने परिवार के किसी सदस्य को टिकट देने पर वीटो लगा दिया था। शोभावती वर्मा लंबे समय से जनता के बीच सक्रिय रही हैं और उन्होंने दो बार जिला पंचायत सदस्य के रूप में कार्य किया है, इसके साथ ही अंबेडकरनगर की जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
5. फूलपुर सीट
सपा ने फूलपुर सीट से मुस्तफा सिद्दीकी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। मुस्तफा सिद्दीकी जो प्रतापपुर से विधायक रह चुके हैं, को 2022 में भी फूलपुर से प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन वह 3,000 से कम वोटों से चुनाव हार गए थे। एक बार फिर अखिलेश ने उन पर अपना भरोसा जताया है। हाल ही में उनके बेटे का निधन हुआ, जिसके बाद उन्हें सांत्वना देने के लिए खुद अखिलेश यादव पहुंचे थे।
6. मझवां सीट
सपा ने मझवां सीट से डॉ. ज्योति बिंद को अपना प्रत्याशी बनाया है। ज्योति बिंद पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी हैं, जो मझवां सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं। रमेश बिंद ने लोकसभा चुनाव के दौरान पाला बदलकर सपा के टिकट पर मिर्जापुर से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे। पेशे से डॉक्टर, ज्योति बिंद वर्तमान में मुंबई में रहती हैं। बताया जाता है कि रमेश बिंद ने मिर्जापुर में अपनी बेटी के नाम पर एक अस्पताल भी खोला है।
सपा पर लगता रहा है परिवारवाद का आरोप
सपा ने छह सीटों पर प्रत्याशी उतारकर कहीं न कहीं भाजपा के आरोपों को सही ठहराने का काम किया है। यूपी में परिवारवाद का सबसे अधिक आरोप अखिलेश यादव के परिवार पर लगा। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषणों में अखिलेश यादव के परिवार के सदस्यों की राजनीति में मौजूदगी पर जमकर हमला बोला। इसके अलावा, भाजपा के कई नेता भी विभिन्न सभाओं में परिवारवाद को लेकर लगातार निशाना साधते रहे। बावजूद इसके यादव परिवार का लोकसभा चुनाव 2024 में सक्सेस रेट 100% रहा।
उपचुनाव सीट को लेकर बीजेपी की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश के आगामी उपचुनाव में 10 सीटों में से 6 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की गई है। इस मामले में बीजेपी ने सपा पर हमले तेज कर दिए हैं। बीजेपी नेता ने कहा कि समाजवादी पार्टी का डीएनए परिवार और अपराध पर आधारित है। लोकसभा चुनाव में यादव जाति से जिन उम्मीदवारों को टिकट दिया गया, वे सभी मुलायम सिंह यादव के करीबी रिश्तेदार हैं। विधानसभा चुनाव में भी पांच परिवारों से पांच प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है। ऐसे में, आम कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है, जो यह दर्शाता है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सही ढंग से पालन नहीं हो रहा है। यूपी की जनता अब परिवारवाद और अपराधियों को बर्दाश्त नहीं करेगी।
इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी : कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे
वहीं यूपी कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि यह सच है कि हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। अभी तक INDIA गठबंधन की समन्वय समिति के साथ कोई चर्चा नहीं हुई है। जहां तक सीटों की घोषणा और चुनाव में भाग लेने का सवाल है, समन्वय समिति जो भी निर्णय लेगी, उसे उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी स्वीकार करेगी। पांडे ने कहा कि "हम उत्तर प्रदेश में अति आत्मविश्वास में नहीं हैं, बल्कि पूरी तरह आश्वस्त हैं। इसी विश्वास के साथ संगठन को मजबूत और सशक्त बनाने के प्रयास जारी हैं और चुनाव की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। संभावनाएं (गठबंधन की) अंत तक बनी रहती हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।"
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उपचुनाव में कांग्रेस से त्याग की उम्मीद
सियासी गलियारों में चर्चा यह भी चल रही है कि हरियाणा चुनाव के नतीजों के बाद अखिलेश यादव यूपी उपचुनाव में कांग्रेस से त्याग की उम्मीद कर रहे हैं। चर्चा यह भी है कि कांग्रेस ने यूपी उपचुनाव में पांच सीटों पर अपनी डिमांड रखी थी। हरियाणा में चुनाव लड़ने की योजना के साथ समाजवादी पार्टी ने लंबे समय से प्रयास किया है। पार्टी ने पहले कांग्रेस से 17 और फिर 11 सीटों की मांग की, लेकिन अंत में केवल तीन सीटों पर बात हुई, जो कि सफल नहीं हो पाई। इस स्थिति में अखिलेश यादव को कहना पड़ा कि हरियाणा में गठबंधन की सफलता के लिए सपा को कुछ त्याग करना होगा।
सपा जितेगी सभी सीट : अवधेश प्रसाद
अयोध्या से सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने उनके बेटे अजीत को टिकट मिलने पर कहा कि अखिलेश यादव ने 6 प्रत्याशियों को टिकट दिया। इसमें मिल्कीपुर सीट से उनके बेटे को प्रत्याश घोषित किया। उन्होंने कहा कि सपा हमेशा तैयार रहती। पार्ट केवल चुनाव को लेकर नहीं बल्कि आमजन समस्याओं को लेकर भी सतर्क रहती है। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधा। उन्होंने सभी सीटों पर सपा की जीत का दावा किया।
भाजपा को दे दिया पूरा प्रदेश : रविदास मेहरोत्रा
वहीं सपा नेता और विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि "सभी 6 सीटों पर समाजवादी पार्टी भाजपा को हराने में अग्रणी रही है। बाकी 4 सीटों पर कांग्रेस पार्टी से बातचीत जारी है और हमें उम्मीद है कि हम गठबंधन कर लेंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि "अगर हरियाणा में कांग्रेस का सपा और आप के साथ गठबंधन होता, तो आज हरियाणा में INDIA गठबंधन सत्ता में होता। कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी, बल्कि पूरा प्रदेश भाजपा को दे दिया। हम यूपी में उपचुनावों में भाजपा को हराने के लिए गंभीर हैं, इसलिए हमने 6 उम्मीदवारों की सूची घोषित की है।"
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चार सीटों पर उम्मीदवारों का इंतजार...
सपा ने अभी तक 10 में से छह सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, बारी 4 सीटों के पत्ते अभी भी बंद हैं। सपा ने मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद सदर, खैर (अलीगढ़) और कुंदरकी (मुरादाबाद) सीट पर अब तक उम्मीदवारों के नाम का एलान नहीं किया है। बताया जा रहा है कि कुंदरकी में वर्क परिवार अपने करीबी की पैरवी में जुटा है। वहीं मुरादाबाद के पूर्व सांसद एसटी हसन भी यहां से अपने लिए टिकट चाह रहे हैं।
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