बसपा सुप्रीमो ने कहा कि बीएसपी सैद्धान्तिक कारणों से गठबंधन नहीं करती है और अगर बड़े उद्देश्यों को लेकर कभी गठबंधन करती है तो फिर उसके प्रति ईमानदार भी जरूर रहती है।
मायावती का अखिलेश यादव पर पलटवार : बोलीं- गठबंधन टूटने पर इतने साल बाद सफाई कितनी विश्वसनीय?
Sep 13, 2024 10:03
Sep 13, 2024 10:03
- मायावती ने कहा- बीएसपी सैद्धान्तिक कारणों से नहीं करती गठबंधन, करने पर रहती है ईमानदार
- सतीश चंद्र मिश्रा बोले- बसपा सिर्फ वोट ट्रांसफर करवाने के लिए नहीं
मायावती ने अखिलेश यादव के बयान पर उठाए सवाल
मायावती ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में बीएसपी के 10 व समाजवादी पार्टी के 5 सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था जिसको लेकर उनके द्वारा अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित व विश्वसनीय? सोचने वाली बात है।
1. लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में BSP के 10 व SP के 5 सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यही कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था जिसको लेकर उनके द्वारा अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित व विश्वसनीय? सोचने वाली बात।
— Mayawati (@Mayawati) September 13, 2024
बसपा गठबंधन को लेकर रहती है ईमानदार
उन्होंने कहा कि बीएसपी सैद्धान्तिक कारणों से गठबंधन नहीं करती है और अगर बड़े उद्देश्यों को लेकर कभी गठबंधन करती है तो फिर उसके प्रति ईमानदार भी जरूर रहती है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सपा के साथ सन 1993 व 2019 में हुए गठबंधन को निभाने का भरपूर प्रयास किया गया, किन्तु बहुजन समाज का हित व आत्म-सम्मान सर्वोपरि है।
बीएसपी जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध
मायावती ने कहा कि बीएसपी जातिवादी संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध है। अतः चुनावी स्वार्थ के लिए आपाधापी में गठबंधन करने से अलग हटकर बहुजन समाज में आपसी भाईचारा बनाकर राजनीतिक शक्ति बनाने का मूवमेन्ट है ताकि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का मिशन सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर आत्मनिर्भर हो सके।
सतीश चंद्र मिश्रा बोले- मेरा फोन भी नहीं किया रिसीव
वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा की ओर भी गठबंधन टूटने के लिए अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहराया गया। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि 2019 के लोकसभा आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन टूटने की वजह सपा मुखिया खुद हैं जो बहन कुमारी मायावती जी ने अपनी पार्टी द्वारा जारी की गई पुस्तक में लिखा हैं। बहनजी फोन करने के पूर्व मेरे फोन करने पर सपा प्रमुख फोन पर नहीं आए, फिर पार्टी कार्यालय से फोन गया और तब फिर भी फोन पर सपा प्रमुख से बात नहीं करायी गयी। फिर भी बहनजी ने बड़े होने के नाते सपा प्रमुख को फोन कर के हौसला देने की कोशिश की थी लेकिन वह फोन पर नहीं आए। और इस सबका परिणाम यह रहा कि बीएसपी को गठबंधन तोड़ना पड़ा।
अखिलेश यादव पर किया तंज
सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि सपा प्रमुख का यह व्यवहार समाज के दलितों, वंचितों एवं शोषितों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाला था। बीएसपी सिर्फ वोट ट्रांसफर करवाने के लिए नहीं है। बल्कि देश की एक मात्र ऐसी पार्टी है जो सर्व समाज के हितों में विचार एवं काम करती है। जो लोग इस संबंध में बहनजी पर टिप्पणी कर रहे वह पहले अपना व्यवहार याद कर लें।
बसपा की बुकलेट के बाद मामला गरमाया
दरअसल बसपा की ओर से इन दिनों अपने कार्यकर्ताओं के बीच एक बुकलेट बांटी जा रही है। इसमें सपा से गठंधन टूटने पर मायावती के बयान के बाद ये विवाद शुरू हुआ। इसमें मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 के बाद अखिलेश यादव ने उनका और पार्टी के अन्य नेताओं का फोन तक उठाना बंद कर दिया था। इसकी वजह से उन्होंने पार्टी के स्वाभिमान को बरकरार रखने के लिए सपा से गठबंधन तोड़ा था। यूपी में विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों को लेकर बसपा ने 59 पेजों की ये बुकलेट छपवाई है। इसमें कार्यकर्ताओं और बसपा समर्थकों को पार्टी की रणनीति और अतीत के अहम घटनाक्रम से वाकिफ कराने का प्रयास किया गया है।
अखिलेश यादव ने मायावती को ठहराया जिम्मेदार
बसपा की इस बुकलेट को लेकर अखिलेश यादव से जब मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने मायावती पर ही आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिस समय गठबंधन टूटा उस समय वह आजमगढ़ में थे। मेरे साथ बसपा के कई नेता मौजूद थे। किसी को नहीं पता था कि गठबंधन टूटने जा रहा है। मैंने खुद फोन मिलाया था कि आखिर यह गठबंधन को क्यूं तोड़ा जा रहा है? अखिलेश यादव ने कहा कि मैंने यहां तक कहा कि मीडिया को मैं क्या जवाब दूंगा, जो मंच के नीचे खड़ी है। उन्होंने मायावती पर तंज कसते हुए कहा कि कभी-कभी लोग अपनी कमियों को छिपाने के लिए इस तरह की बात कर देते हैं। अब मायावती ने फिर उन पर पलटवार किया है।
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