मायावती ने बताया बसपा के सामने क्या चुनौती : बोलीं- योगी सरकार धार्मिक मामलों को आड़ बनाकर साध रही सियासी स्वार्थ

बोलीं- योगी सरकार धार्मिक मामलों को आड़ बनाकर साध रही सियासी स्वार्थ
UPT | Mayawati

Nov 30, 2024 13:25

बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि यूपी सरकार भी आमजनहित में संवैधानिक दायित्वों को निभाने के वैधानिक कार्यों से अधिक धार्मिक मामलों को आड़ बनाकर अपने स्वार्थ की राजनीति साधने में पीछे नहीं है।

Nov 30, 2024 13:25

Lucknow News : यूपी में चुनाव दर चुनाव पिछड़ती जा रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सामने बड़ी चुुनौती खड़ी हो गई है। देश के अन्य राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में उसका आंकड़ा जहां शून्य रहा, वहीं यूपी की नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में उसके उम्मीदवार जमानत बचाने को तरस गए। इसके बाद पार्टी सुप्रीमो मायावती ने देश में अब कहीं भी उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। वहीं पार्टी के घटते जनाधार को लेकर उन्होंने शनिवार को यूपी और उत्तराखंड के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधने के साथ अन्य दलों को अपने आत्म-सम्मान और मूवमेंट के लिए चुनौती बताया।

समीक्षा में सामने आई कमियों को करें दूर
मायावती ने यूपी और उत्तराखंड में संगठन की मजबूती और जनाधार बढ़ाने के लिए मंडल और जिलावार समीक्षा में सामने आई कमियों को दूर करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि पूर्व में कांग्रेस की सरकार की तरह ही वर्तमान में भाजपा की गरीब विरोधी व उनकी धन्नासेठ समर्थक नीतियों से लोगों में आक्रोश है। इस वजह से लोगों का ध्यान बांटने के लिए ही भाजपा किस्म-किस्म के नये जातिवादी, साम्प्रदायिक व संकीर्ण हथकण्डों का इस्तेमाल करती हैं और चुनाव में इसका लाभ भी ले लेती है। 



चुनाव में बाद पूरे नहीं करते वादे
उन्होंने कहा कि चुनावों के समय में जनहित व जनकल्याण के किए गए अनेक प्रकार के लुभावने वादे को सरकार बन जाने पर ईमानदारी से निभाने के बजाय उन्हें पूरी तरह से भुला देने की नकारात्मक व घिनौनी राजनीति से जनता और देश का भला नहीं होता है।

योगी सरकार धार्मिक मामलों से साध रही सियासी स्वार्थ
बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि यूपी सरकार भी आमजनहित में संवैधानिक दायित्वों को निभाने के वैधानिक कार्यों से अधिक धार्मिक मामलों को आड़ बनाकर अपने स्वार्थ की राजनीति साधने में पीछे नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा की अपने वोट बैंक व हर हाल में उसके तुष्टीकरण की राजनीति उत्तर प्रदेश के लोगों को क्या खुश व खुशहाल जीवन दे पा रही है, यह गंभीर चिन्तन का विषय जरूर है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर के संविधान की दुहाई देने वाले नहीं करते अमल
मायावती ने बैठक में कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर के संविधान की दुहाई सभी देते हैं। लेकिन, संकीर्ण स्वार्थ के कारण कोई भी सरकार इस पर सही से अमल नहीं करती है। दलितों व अन्य बहुजनों के वास्तविक हित व कल्याण के लिए कोई भी सरकार तैयार नहीं है, बल्कि दिखावटी कार्य ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर 6 दिसंबर को लखनऊ, कानपुर व अयोध्या मण्डल के लोग गोमती नगर में सामाजिक परिवर्तन स्थल पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। वहीं मेरठ और दिल्ली के लोग नोएडा में राष्ट्रीय दलित प्रेणा स्थल एवं ग्रीन गार्डेन में एकत्र होकर उन्हें अपनी श्रद्धाजलि अर्पित करेंगे। इसके अलावा यूपी के बाकी 14 मंडल के लोग अपने-अपने मंडलों में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होंगे। 

बसपा के लिए ये है सबसे बड़ी चुनौती
मायावती ने कहा कि बसपा व उसके आत्म-सम्मान एवं स्वाभिवान मूवमेंट के हित और उसे आगे बढ़ाने की लड़ाई को अब कांग्रेस, भाजपा सहित उनकी समर्थक दूसरी पार्टियों की बड़ी चुनौतियों का सामना है, जिसके लिए संघर्ष को उसी स्तर की बड़ी तैयारी करनी होगी। वरना ये विरोधी लोग किसी न किसी प्रकार से चुनाव जीतकर बसपा व मूवमेंट को अघात पहुंचाते ही रहेंगे।

देश में पाक-साफ चुनाव बड़ी चुनाती बनी
बसपा सुप्रीमो ने हाल में हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव परिणामों को लेकर कहा कि देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा धनबल, बाहुबल और सरकार मशीनरी से दुरुपयोग से मुक्त पाक-साफ चुनाव बड़ी चुनाती बनी हुई है। ऐसे में आमजनता का चुनावी तंत्र पर से विश्वास की कमी देश के संविधान व लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। उन्होंने कहा कि इसका समुचित समाधान जितना जल्द निकले उतना ही बेहतर होगा। 

अडाणी और संभल मुद्दे पर संसद में तकरार उचित नहीं
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि अडाणी समूह पर लगा नया आरोप और संभल मस्जिद को लेकर उभरा विवाद ऐसे ज्वलन्त मुद्दे हैं, जिसको लेकर संसद में सरकार और विपक्ष के बीच जबरदस्त तकरार और टकराव देखने को मिल रहा है। इसके कारण संसद की कार्रवाई सुचारू रूप से नहीं चलने से वर्तमान शीतकालीन सत्र का महत्व ही शून्य हो जाना कितना उचित है। उन्होंने कहा कि संसद की कार्रवाई व्यापक जन व देशहित में ठीक से जरूर चलनी चाहिए, जिसके लिए सरकार और विपक्ष दोनों को गंभीर होना बहुत जरूरी है।

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