स्मारक घोटाला : ईडी ने अब भाजपा विधायक और खनन विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक को किया तलब, अब तक इनसे हो चुकी है पूछताछ

ईडी ने अब भाजपा विधायक और खनन विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक को किया तलब, अब तक इनसे हो चुकी है पूछताछ
UPT | Enforcement Directorate

Oct 22, 2024 07:14

भाजपा विधायक टी राम मामले से अपने किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार कर चुके हैं। विधायक का कहना है कि स्मारक घोटाले से उनका किसी भी प्रकार का कोई वास्ता नहीं है। इससे पहले भी लोकायुक्त संगठन, विजिलेंस और ईडी को भेजे अपने बयान में स्मारकों के निर्माण से संबंधित फैसले लेने के लिए गठित कमेटी में शामिल नहीं होने की जानकारी दे चुके हैं।

Oct 22, 2024 07:14

Lucknow News : मायावती सरकार में बहुचर्चित स्मारक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का नेताओं से लेकर पूर्व में अहम पदों पर तैनात रहे अधिकारियों से पूछताछ का सिलसिला जारी है। ईडी की लखनऊ टीम ने बीते कुछ समय से मामले को लेकर अपनी जांच पड़ताल तेज कर दी है। जांच पड़ताल में अब तक मिली जानकारियों के आधार पर नए सिरे से सवालों की सूची तैयार कर पूछताछ की जा रही है। इसी कड़ी में अब ईडी ने लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता त्रिभुवन राम और खनन विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक एवं सलाहकार सुहैल अहमद फारुखी को तलब किया है। 

अजगरा सीट से भाजपा विधायक हैं त्रिभुवन राम 
ईडी की ये पूछताछ इसलिए अहम है, क्योंकि त्रिभुवन राम वर्तमान में वाराणसी की अजगरा विधानसभा लीट से भाजपा के विधायक हैं। फिलहाल जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक त्रिभुवन राम और सुहैल अहमद फारुखी को दिवाली से पहले पेश होने को कहा गया है।



विधायक ने घोटाले से संबंध होने से किया इनकार
हालांकि भाजपा विधायक टी राम मामले से अपने किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार कर चुके हैं। विधायक का कहना है कि स्मारक घोटाले से उनका किसी भी प्रकार का कोई वास्ता नहीं है। इससे पहले भी लोकायुक्त संगठन, विजिलेंस और ईडी को भेजे अपने बयान में स्मारकों के निर्माण से संबंधित फैसले लेने के लिए गठित कमेटी में शामिल नहीं होने की जानकारी दे चुके हैं। वहीं विजिलेंस ने स्मारक घोटाले की जांच के बाद रामबोध मौर्य और सुहैल अहमद फारुखी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जिससे दोनों अब ईडी के निशाने पर हैं।

ईडी के सामने रामबोध मौर्य की पेशी
स्मारक घोटाले में पूर्व खनन निदेशक रामबोध मौर्य ने हाल ही में ईडी के सामने पेश होकर बयान दर्ज कराया। मौर्य से ठेकेदारों को दिए गए खनन पट्टों और पत्थरों की खरीद-फरोख्त को लेकर गहन पूछताछ की गई। ईडी ने उनसे यह भी जानने की कोशिश की कि किन-किन नेताओं और अधिकारियों के दबाव में उन्होंने मनमाने तरीके से पट्टे दिए। कई सवालों पर मौर्य ने चुप्पी साध ली, जिससे ईडी की जांच और गहरी होती जा रही है।

ठेकेदारों के चयन पर सवाल
ईडी ने रामबोध मौर्य से कंसोर्टियम बनाने की प्रक्रिया और ठेकेदारों के चयन के नियमों पर भी सवाल किए। मौर्य ने बताया कि कंसोर्टियम का गठन नियमों के तहत किया गया था, लेकिन ईडी के पास मौजूद दस्तावेजों से यह सामने आया कि कई ठेकेदारों ने पहली बार अपनी कंपनियां बनाई थीं और उन्हें करोड़ों के खनन पट्टे दिए गए थे। इस सवाल का मौर्य कोई ठोस जवाब नहीं दे सके।

नए ठेकेदार अचानक कहां से आए
ईडी ने जांच में यह भी जानने की कोशिश की कि अचानक से इतने सारे नए ठेकेदार कहां से आए और कैसे उन्होंने राजस्थान से लखनऊ तक अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार किया। इन ठेकेदारों द्वारा बनाई गई नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के समय और पते पर भी सवाल उठाए गए। ईडी ने पहले से ही इन कंपनियों का विस्तृत ब्योरा तैयार कर रखा था, जिससे मौर्य से गहन पूछताछ की गई।

वरिष्ठ अधिकारियों से भी पूछताछ जारी
इससे पहले, कई वरिष्ठ अधिकारियों, जैसे सेवानिवृत्त आईएएस मोहिंदर सिंह और लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष हरभजन सिंह से भी ईडी ने पूछताछ की थी। मोहिंदर सिंह को चार नोटिस मिलने के बाद उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए ईडी दफ्तर में आना पड़ा था। इसी तरह, रामबोध मौर्य से भी खनन पट्टों के संबंध में कई बार सवाल पूछे गए हैं।

ठेकेदारों और नेताओं के प्रभाव की जांच
ईडी की जांच में यह बात भी सामने आई है कि स्मारक निर्माण में शामिल ठेकेदारों को पट्टे देने में कई नेताओं और अफसरों का दबाव था। पत्थरों की खरीद-फरोख्त के दौरान भी ताकतवर हस्तियों का प्रभाव देखा गया। ईडी ने इस संबंध में मौर्य से पूछताछ की, लेकिन कई सवालों पर वह चुप ही रहे, जिससे जांच और पेचीदा होती जा रही है।

नए ठेकेदारों के रजिस्ट्रेशन की जांच
ईडी ने ठेकेदारों द्वारा बनाई गई नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के समय और उनके पते की जांच की। यह पाया गया कि इन कंपनियों को जल्दीबाजी में रजिस्टर किया गया था और इन्हें बड़े पैमाने पर खनन पट्टे दिए गए। ईडी ने इन मुद्दों पर मौर्य से विस्तार से सवाल पूछे, लेकिन उनके पास कई सवालों के जवाब नहीं थे।

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