सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि योगी सरकार की आरक्षण खात्मे की क्रोनोलॉजी समझिए, प्रदेश की जनता को हिंदू-मुस्लिम के खेल में उलझा दो, उसी बीच चुपके से सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर दो। जब होंगे ही नहीं सरकारी संस्थान, न रहेंगी सरकारी नौकरी और न ही देना पड़ेगा आरक्षण।
UPPCL : निजीकरण के खिलाफ लड़ाई के समर्थन में सांसद चंद्रशेखर, सीएम योगी को लिखा पत्र, बोले- नौकरी और आरक्षण छीनने का एक और मास्टर स्ट्रोक
Nov 29, 2024 16:49
Nov 29, 2024 16:49
42 जिलों के कर्मचारियों पर पड़ेगा फैसले का असर
आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने शुक्रवार को सोशल साइट एक्स पर कहा कि रामराज्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नौकरी और आरक्षण छीनने की दिशा में एक और मास्टर स्ट्रोक। संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर योगी सरकार अब एक नया फरमान लेकर आई है जिसके अनुसार अब दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करके इनको निजी हाथों में सौंपा जाता है। इन दोनों निगमों में 42 जिले आते हैं जिनमें सैकड़ों कर्मचारी कार्यरत है।
हिंदू-मुस्लिम के खेल में उलझाने के बाद सरकारी संस्थाओं का निजीकरण का आरोप
सांसद ने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा और पिछले कारनामों को देखते हुए पूरी आशंका है कि इस निजीकरण का मकसद पहले से इन निगमों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के अधिकारों पर डाका डालना और नई भर्तियों में आरक्षित वर्ग को आरक्षण का लाभ न देना है। उन्होंने कहा कि मैं पहले ही कह चुका हूं, योगी सरकार की आरक्षण खात्मे की क्रोनोलॉजी समझिए, प्रदेश की जनता को हिंदू-मुस्लिम के खेल में उलझा दो, उसी बीच चुपके से सरकारी संस्थाओं का निजीकरण कर दो। जब होंगे ही नहीं सरकारी संस्थान, न रहेंगी सरकारी नौकरी और न ही देना पड़ेगा आरक्षण। सांसद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से सवाल पूछा कि क्या इन ऊर्जा निगमों का निजीकरण युवाओं को सरकारी नौकरी से दूर रखने का प्रयास और आरक्षित वर्ग के अधिकारियों, कर्मचारियों को उनके अधिकारों से वंचित करने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि आजाद समाज पार्टी न सिर्फ पुरजोर तरीके से इस निजीकरण के खिलाफ है बल्कि निजी क्षेत्र में आरक्षण के पूर्णतः पक्ष में भी है।
51 प्रतिशत शेयर होने के कारण निजी कंपनियों का होगा वर्चस्व
इसके साथ ही चंद्रशेखर आजाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के पत्र का हवाला देते हुए दो ऊर्जा निगमों के निजीकरण का मुद्दा उठाया है। उन्होंने इस फैसले से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के आरक्षण पर मंडरा रहे आशंकित खतरे की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित किया है। सांसद ने कहा कि प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार यूपीपीसीएल ने घोषणा की है कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) का प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत निजीकरण किया जाएगा। दोनों निगमों में 21-21 जनपद आते हैं। इस मॉडल में 51 प्रतिशत शेयर निजी कंपनियों के पास होंगे, जिससे यह पूरी तरह निजी क्षेत्र के नियंत्रण में आ जाएंगे।
पहले ही छीना जा चुका है पदोन्नतियों में आरक्षण का अधिकार
सांसद ने कहा कि सबसे पहले उत्तर प्रदेश में ही पदोन्नतियों में आरक्षण का अधिकार छीना गया और अब उत्तर प्रदेश में दो बिजली निगमों का निजीकरण करके अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर भी कुठाराघात करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने इस फैसले को लेकर आशंका जताई कि इससे आरक्षण अधिकार का हनन होगा, जिसकी वजह से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। ये घोषणा संविधान और बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के सिद्धांतों के विपरीत है। साथ ही इस फैसले की वजह से वर्तमान कर्मचारियों की नौकरियां असुरक्षित हो जाएंगी और भविष्य में इन वर्गों के लिए रोजगार के अवसर समाप्त हो जाएंगे।
ऊर्जा निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग
सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि बिजली जैसी आवश्यक सेवाएं हमेशा सार्वजनिक क्षेत्र में रहनी चाहिए, ताकि देश की जनता के साथ निजी कंपनियां लूट न कर सकें। इसके मद्देनजर यूपीपीसीएल का यह निर्णय बाबा साहब की विचारधारा और संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि ऊर्जा निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए। आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत दलित एवं पिछड़े वर्गों के कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
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