यूपी में प्रशासन और पुलिस में कितने एससी-एसटी अफसर : सांसद चंद्रशेखर ने मुख्य सचिव से मांगा तैनाती का हिसाब

सांसद चंद्रशेखर ने मुख्य सचिव से मांगा तैनाती का हिसाब
UPT | Chandra Shekhar Aazad MP

Nov 01, 2024 14:53

सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि उनकी पार्टी के पदाधिकारियों और उन्होंने निजी तौर पर अनुभव किया है कि वंचित वर्ग के उत्पीड़न के मामलों में स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन का रवैया ज्यादातर मामलों में अत्यंत असंवेदनशील या आरोपी पक्ष की तरफ झुकाव का ही रहता है। किसी सभ्य समाज के निर्माण में यह स्थिति न सिर्फ बड़ी रुकावट बल्कि पीड़ादायक भी है। 

Nov 01, 2024 14:53

Lucknow News : आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और नगीना लोकसभा से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने प्रदेश में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के अफसरों को उचित प्रतिनिधित्व ​नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को इस संबंध में पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने पुलिस और प्रशासन में इस वर्ग अफसरों की तैनाती के आंकड़े मांगे हैं। प्रदेश में उपचुनाव से पहले सांसद चंदशेखर के भेजे इस पत्र को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है। चंद्रशेखर दलित राजनीति के जरिए अपना कद ऊंचा करने की कोशिश में लगे हैं। नगीना लोकसभा सीट से भी उन्हें इसी समीकरण की वजह से जीत मिली और वह सभी दलों पर भारी पड़े। उनकी कोशिश बहुजन समाज पार्टी का विकल्प बनने की है। इसलिए वह अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के मुद्दे पर प्रखर तरीके से आगे बढ़ने की कोशिश में हैं।

भेदभाव और अन्याय का आरोप
चंद्रशेखर ने नियुक्ति विभाग, गृह विभाग और डीजीपी को भी पत्र भेजा है, जिसमें इनसे दलित अधिकारियों की तैनाती की जानकारी मांगी गई है। उन्होंने प्रशासन में दलितों के साथ भेदभाव और अन्याय का मुद्दा उठाया है, यह आरोप लगाते हुए कि महत्वपूर्ण पदों पर तैनात अधिकारी दलितों के प्रति लचर रवैया अपना रहे हैं।



22 प्रतिशत आबादी के साथ अन्याय का आरोप
चंद्रशेखर आजाद ने कहा है मुख्य सचिव मनेाज कुमार सिंह का ध्यान एससी-एसटी संगठनों की ओर से पूर्व में उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर आकर्षित किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि आबादी के हिसाब से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। प्रदेश की आबादी लगभग 25 करोड़ है। वर्तमान में प्रदेश में 75 जिले हैं। प्रदेश की इस बड़ी जनसंख्या की तकरीबन 22 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति की है। सांसद ने कहा है कि भारत के संविधान में जाति के आधार पर शोषण, अत्याचार व गैर बराबरी को खत्म करने व अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति को प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। 

यूपी में बढ़ रहे जाति आधारित उत्पीड़न, शोषण और अपराध के मामले
सांसद चंद्रशेखर ने कहा ​कि उनकी चिंता के केंद्र में गृह राज्य उत्तर प्रदेश है। उन्होंने आरोप लगाए कि प्रदेश में जाति आधारित उत्पीड़न, शोषण, अपराध व हिंसा की घटनाएं कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही हैं। हैरत की बात ये है कि अन्याय, अत्याचार व उत्पीड़न होने पर वंचित वर्ग के पीड़ितों को थाने से बिना एफआईआर लिखे भगा देने, पुलिसकर्मियों के अभद्रता से पेश आने, कमजोर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने और पीड़ितों की दी गई तहरीर बदल देने के मामले सामने आते रहते हैं। 

अफसरों का रवैया ज्यादातर मामलों में एक पक्ष की तरफ
चंद्रशेखर ने कहा कि उनकी पार्टी के पदाधिकारियों और उन्होंने निजी तौर पर अनुभव किया है कि वंचित वर्ग के उत्पीड़न के मामलों में स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन का रवैया ज्यादातर मामलों में अत्यंत असंवेदनशील या आरोपी पक्ष की तरफ झुकाव का ही रहता है। किसी सभ्य समाज के निर्माण में यह स्थिति न सिर्फ बड़ी रुकावट बल्कि पीड़ादायक भी है। 

अफसरों पर लचर व गैर जिम्मेदाराना रवैया रखने का आरोप
उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में देश के नागरिकों को एक समान न्याय, जीने की स्वतंत्रता व सामाजिक न्याय की अवधारणा को साकार करने के लिए विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका को पृथक-पृथक दायित्व दिए गए हैं। इनमें से कार्यपालिका वो महत्वपूर्ण स्तंभ है जो कि स्थानीय स्तर पर वंचित वर्गों के शोषण, अत्याचार, उत्पीड़न व हिंसा को रोकने का सबसे प्रभावी स्तंभ है। लेकिन, प्रदेश की प्रशासनिक सेवा व पुलिस प्रशासन में बैठे ज्यादातर अधिकारी, कर्मचारी इस अन्याय अत्याचार के खिलाफ लचर व गैर जिम्मेदाराना रवैया रखते हैं।

उच्च पदों पर दलित अफसरों की तैनाती का हिसाब मांगा
सांसद ने कहा कि इन समस्या के मूल में निर्णय करने के पदों पर वंचित वर्गों के अधिकारियों, कर्मचारियों, पुलिसकर्मियों को प्रतिनिधित्व न दिया जाना अहम वजह है। इस तरह के आरोप लगते रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, अपर पुलिस अधीक्षक व थानाध्यक्षों की जाति देखकर नियुक्ति की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसलिए सांसद और गृह संबंधी मामलों की संसदीय समिति का सदस्य व एस-एसटी कल्याण संबंधी संसदीय समिति का सदस्य होने के नाते वह तथ्यों के साथ समझना चाहता हैं कि वास्तव में इन आरोपों में कितनी सच्चाई है। उन्होंने प्रदेश के प्रशासनिक व पुलिस महकमे के मुखिया होने के नाते मुख्य सचिव ने कुछ प्रश्नों के जवाब मांगे हैं।
  • उत्तर प्रदेश के विभिन्न विभागों में कितने अपर मुख्य सचिव मुख्य सचिव और सचिव एसस-एसटी वर्ग के तैनात हैं।
  • उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग से कितने जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी कार्यरत हैं।
  • उत्तर प्रदेश के 18 मंडलों में कितने कमिश्रर अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं?
  • प्रदेश के कितने जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक-पुलिस अधीक्षक एससी-एसटी वर्ग के हैं।
  • प्रदेश के किस जोन में एडीजी-आईजी व किस रेंज में डीआईजी एससी-एसटी वर्गों के हैं?
  • प्रदेश के कितने पुलिस महानिदेशक (DG) व कितने अपर पुलिस महानिदेशक एससी-एसटी वर्ग से आते हैं।
  • प्रदेश के 75 जिलों में कोतवाली थानों में कितने प्रभारी निरीक्षक एससी-एसटी वर्गों से तैनात किए गए हैं।

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