अधिकारियों के अनुसार, नोटिस पर तहसीलदार कोर्ट के पेशकार गंगाराम मौर्य के हस्ताक्षर हैं। हालांकि तहसीलदार ने इसे फर्जी करार दिया है। इस फर्जी नोटिस में मीरा पाल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले का उल्लेख किया गया है, जो बेदखली से संबंधित है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मलिहाबाद तहसील से नोटिस : राजभवन की नाराजगी के बाद अफसरों में हड़कंप, जानें मामला
Dec 13, 2024 14:20
Dec 13, 2024 14:20
नोटिस की भाषाशैली पर सवाल
बताया जा रहा है कि राजभवन की ओर से नोटिस के बाद लखनऊ कलेक्ट्रेट को लेटर भेजा गया है। इसके बाद अफसरों के बीच हड़कंप मच गया। प्रकरण को लेकर मलिहाबाद तहसील से पूरी जानकारी तलब की गई, जिससे सच्चाई का खुलासा हो सके। इसके बाद तहसीलदार ने जांच के बाद इस नोटिस पर ही सवाल उठाए दिए। तहसीलदार मलिहाबाद विकास सिंह के मुताबिक, यह नोटिस हाथ से तैयार की गई है। इसकी भाषा शैली भी अलग प्रकार है। इसे प्रतीत हो रहा है कि इसे जानबूझकर साजिश के तहत राजभवन भेजा गया है। प्रकरण को लेकर पूरी सच्चाई सामने लाने के लिए गहराई से जांच की जा रही है।
नोटिस में मुकदमे का जिक्र
अधिकारियों के अनुसार, नोटिस पर तहसीलदार कोर्ट के पेशकार गंगाराम मौर्य के हस्ताक्षर हैं। हालांकि तहसीलदार ने इसे फर्जी करार दिया है। इस फर्जी नोटिस में मीरा पाल बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले का उल्लेख किया गया है, जो बेदखली से संबंधित है। लेकिन, नोटिस की भाषा प्रामाणिक नहीं है और इससे इसके फर्जी होने का खुलासा हुआ है। अब इस फर्जी नोटिस के मामले को लेकर कलेक्ट्रेट और तहसील प्रशासन ने जांच पड़ताल कर रहे हैं।
राजभवन की सख्त प्रतिक्रिया
राजभवन ने इस फर्जी नोटिस को गंभीरता से लिया और 12 दिसंबर को इसे खारिज कर दिया। राजभवन ने धारा 361 के तहत राज्यपाल को विशेष संरक्षण का हवाला दिया। साथ ही संबंधित अधिकारियों से नाराजगी जताते हुए निर्देश दिया कि इस प्रकार की शरारत भविष्य में न हो। राजभवन की ओर से इस संबंध में 13 दिसंबर को लखनऊ कलेक्ट्रेट पत्र पहुंचा। पत्र मिलते ही मामले का खुलासा हुआ। इसके बाद कलेक्ट्रेट के अधिकारी हरकत में आए, जिससे सच्चाई का खुलासा हुआ।
नोटिस किसने और क्यों भेजा
राजभवन के मिले निर्देशों के आधार पर अधिकारी इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि नोटिस किसने और क्यों भेजा। मामले की गहराई से जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस बात की जांच की जा रही है कि क्या यह किसी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।
बदायूं एसडीएम और पेशकार किए जा चुके हैं निलंबित
इससे पहले बीते वर्ष जनपद बदायूं से भूमि विवाद के एक केस में एसडीएम की ओर से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को समन भेजा जा चुका है। नोटिस मिलते ही राजभवन में हड़कंप मच गया था। राज्यपाल के विशेष सचिव ने तब जिलाधिकारी को चिट्ठी लिखकर आपत्ति जताई थी। इसके बाद शासन ने एसडीएम (न्यायिक) विनीत कुमार और कोर्ट पेशकार बदन सिंह को निलंबित कर दिया था। ये प्रकरण काफी चर्चा में रहा था।
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