पिछड़ा बनाम अतिपिछड़ा की सियासत से बनेगा बिगड़ेगा खेल : सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलेगा यूपी की राजनीति की दिशा

सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलेगा यूपी की राजनीति की दिशा
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Aug 02, 2024 20:03

इसके बाद उत्तर प्रदेश में पिछड़ा बनाम अतिपिछड़े की सियासी लड़ाई और तेज होती नजर आने की संभावना है। सियासी दल पहले से ही जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए चुनाव में टिकट देते हैं। संगठन से लेकर सरकार में भी जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा जाता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जातियों में बंटी यूपी की सियासत को नई दिशा देता नजर आ रहा है।

Aug 02, 2024 20:03

Short Highlights
  • भाजपा सांसद बृजलाल ने की गरीब होने पर​ फिर रिजर्वेशन की मांग
  • संजय निषाद बोले- लोकसभा-राज्यसभा और विधानसभा चुनावों में भी वर्गीकरण किया जाए लागू
  • ओमप्रकाश राजभर बोले-  एनडीए के सहयोगी दलों-भाजपा नेताओं के संपर्क में
Lucknow News : सुप्रीम कोर्ट के एसएसी-एसटी के आरक्षण में कोटा के भीतर कोटा बनाने का अधिकार राज्यों को देने के बाद इसे लेकर सियासत तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और निषाद पार्टी को इससे ओबीसी आरक्षण के बंटवारे का रास्ता खुलने की उम्मीद है। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को कोटा के भीतर कोटा बनाने की मांग लंबे समय से उठती रही है। भाजपा के इन दोनों सहयोगी दलों के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद इसे लेकर  आवाज उठाते रहे हैं। वह प्रदेश और केंद्र सरकार से इसे लेकर कई बार मांग भी कर चुके हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन्हें लगता है कि इनकी जातीय सियासत और ज्यादा मजबूत होगी। 

जातीय समीकरण और ज्यादा होंगे हावी
इसके बाद उत्तर प्रदेश में पिछड़ा बनाम अतिपिछड़े की सियासी लड़ाई और तेज होती नजर आने की संभावना है। सियासी दल पहले से ही जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए चुनाव में टिकट देते हैं। संगठन से लेकर सरकार में भी जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा जाता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जातियों में बंटी यूपी की सियासत को नई दिशा देता नजर आ रहा है। 27 प्रतिशत आरक्षण में ओबीसी वर्ग में कुछ विशेष जातियों पर आरक्षण की सुविधा का लाभ उठाने की बात कही जाती रही है। ऐसे में इनके आरक्षण पर फर्क पड़ने पर जातीय सियासत और ज्यादा हावी होगी। दोनों पक्षों के लोगों में आरोप प्रत्यारोप से लेकर सियासी हमला और तेज होने की संभावना है। फिलहाल इसके समर्थन में आवाजें मुखर होने लगी हैं। भाजपा की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को सही ठहराया गया है। 

भाजपा सांसद बृजलाल बोले- अधिकारियों के परिवार को नहीं मिले रिजर्वेशन का लाभ
वहीं भाजपा के राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य है। आरक्षित वर्ग के जिस घर के कई लोग अधिकारी बन गए। कई लोग सरकारी नौकरी में हैं। आईएएस अफसर, आईपीएस अफसर हो गए हैं। काफी घनाढ्य हो गए हैं उनको आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। आरक्षण गरीब, मजदूर, किसान जो गांव में रह रहा है उसके बच्चों को आरक्षण मिलना चाहिए। आरक्षण में सामाजिक मुद्दा भी है। ऐसे में मेरी मांग है कि अगर आज किसी को आरक्षण से वंचित किया जाए और उसकी अगली पीढ़ी फिर से गरीब हो जाए तो उसे आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।

संजय निषाद : अंतिम पायदान पर खड़े आदमी को मिले हक 
निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि वास्तव में डॉ. भीमराव अंबेडकर की मंशा थी कि गरीब-पिछड़े आगे आएं। भाजपा और निषाद पार्टी की भी यही नीति है कि अंतिम पायदान पर खड़े आदमी को हक मिले। इसलिए राज्य सरकार को भी सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को तुरंत लागू करना चाहिए, ताकि अनुसूचित जाति-जनजाति के साथ ही ओबीसी समाज के महा पिछड़ों का भी वर्गीकरण हो सके। उन्होंने कहा कि लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनावों में भी यह वर्गीकरण लागू होना चाहिए।

ओमप्रकाश राजभर बोले- अतिपिछड़ी जातियों को भी आरक्षण का लाभ मिलना जरूरी
सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को कोटा में कोटा देने का अधिकार देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग के लिए भी इस तरह की व्यवस्था हो ताकि अतिपिछड़ी जातियों को भी आरक्षण का लाभ मिल सके। राजभर ने कहा कि वे अनुप्रिया पटेल, जयंत चौधरी और संजय निषाद के साथ मिल कर ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर भाजपा के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं। उन्होंने रोहिणी आयोग की सिफारिश के आधार पर कोटा के भीतर कोटा वाला ओबीसी आरक्षण लागू करने की मांग की। 

प्रदेश सरकार सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट तत्काल करे लागू
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने भी कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की तरह ओबीसी आरक्षण में भी सर्वाधिक पिछड़ी जातियों को अलग कोटा देने पर भी विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में ऐसी जातियां हैं जो सदियों से उत्पीड़न का सामना कर रही हैं। ऐसे में उन्हें श्रेणी में बांटा जा सकता है। अरुण राजभर ने कहा कि सुभासपा इसके लिए अपनी स्थापना के समय से लड़ाई लड़ रही है। जस्टिस राघवेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली सामाजिक न्याय समिति अपनी रिपोर्ट भी सौंप चुकी है। ऐसे में प्रदेश सरकार को रिपोर्ट को तत्काल लागू करने की पहल करनी चाहिए। जिससे अतिपिछड़ों और अतिदलितों को न्याय मिल सके।

ओबीसी वर्ग में कुछ विशेष जातियां उठा रही रिजर्वेशन का लाभ
अरुण राजभर ने कहा कि 27 प्रतिशत आरक्षण में ओबीसी वर्ग में कुछ विशेष जातियां आरक्षण की सुविधा पर पूरी तरह लाभ उठा रही हैं। जबकि 22.5 प्रतिशत दलित आरक्षण में दलित वर्ग में कुछ विशेष जातिया आरक्षण की सुविधा पर पूरी तरह काबिज हैं। ऐसे में इसका लाभ समान रूप से सभी जातियों को नहीं पहुंच रहा है। आरक्षण की सुविधा लेकर एक ऐसा संपन्न वर्ग विकसित हो गया, जिसने आरक्षण की सभी सुविधाएं अपने तक केंद्रित कर ली हैं। 

जस्टिस राघवेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाले आयोग की रिपोर्ट के अहम बिंदु
दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओबीसी के आरक्षण को सब-कैटेगरी के लिए जस्टिस राघवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था। 2018 में राघवेंद्र सिंह आयोग का गठन किया गया था, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट 2019 में सौंप दी थीजस्टिस राघवेंद्र सिंह की सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को तीन भागों में बांटने की सिफारिश की थी। यह पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा के रूप में था। इसके लिए बकायदा आरक्षण का प्रतिशत भी निर्धारित किया गया था।

पिछड़े वर्ग में सबसे कम जातियों को रखने की सिफारिश 
रिपोर्ट में पिछड़े वर्ग में सबसे कम जातियों को रखने की सिफारिश की गई थी, जिसमें यादव, कुर्मी जैसी संपन्न जातियां हैं। अति पिछड़े में वे जातियां हैं, जो किसान या दस्तकार हैं और सर्वाधिक पिछड़े में उन जातियों को रखा गया है, जो पूरी तरह से भूमिहीन, गैरदस्तकार, अकुशल श्रमिक हैं। ओबीसी के लिए आरक्षित कुल 27 प्रतिशत कोटे में संपन्न पिछड़ी जातियों में यादव, अहीर, जाट, कुर्मी, सोनार और चौरसिया सरीखी जातियां शामिल हैं। इन्हें 7 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है। अति पिछड़ा वर्ग में गिरी, गुर्जर, गोसाईं, लोध, कुशवाहा, कुम्हार, माली, लोहार समेत 65 जातियों को 11 प्रतिशत और मल्लाह, केवट, निषाद, राई, गद्दी, घोसी, राजभर जैसी 95 जातियों को 9 प्रतिशत रिजर्वेशन की सिफारिश की गई है।

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