यूपी में पीपीपी मॉडल पर पांच बीज पार्क किए जाएंगे विकसित : सालाना 3 हजार करोड़ रुपए की होगी बचत 

सालाना 3 हजार करोड़ रुपए की होगी बचत 
UPT | यूपी में पीपीपी मॉडल पर पांच बीज पार्क किए जाएंगे विकसित

Sep 29, 2024 12:28

उत्तर प्रदेश सरकार बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। इसके लिए पीपीपी मॉडल पर बीज पार्क बनाए जाएंगे।

Sep 29, 2024 12:28

Lucknow News : उत्तर प्रदेश सरकार बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। इसके लिए पीपीपी मॉडल पर बीज पार्क बनाए जाएंगे। इससे दूसरे राज्यों से आने वाले बीज पर निर्भरता कम होगी और रोजगार उपलब्ध होंगे। साथ ही गुणवत्ता के बीज उत्पादन से सालाना हजारों करोड़ रुपए की बचत होगी। योजना को अमलीजामा पहनाए जाने के बाद किसानों को राज्य में उत्पादित बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे किसानों की उपज बेहतर होगी और उनकी आय में भी इजाफा होगा। 

पांच पार्क बनाने की योजना
प्रदेश सरकार ने बीज उत्पादन की एक व्यापक योजना तैयार की है। इसके तहत प्रदेश के नौ कृषि जलवायु क्षेत्रों में होने वाली फसलों के मद्देनजर पांच बीज पार्क (वेस्टर्न जोन, तराई जोन, सेंट्रल जोन, बुंदेलखंड और ईस्टर्न जोन) पीपीपी मॉडल पर बनाए जाएंगे। हर पार्क का रकबा न्यूनतम 200 हेक्टेयर का होगा। कृषि विभाग के पास बुनियादी सुविधाओं के साथ ऐसे छह फार्म उपलब्ध हैं। इसमें से दो फार्म 200 हेक्टेयर, दो फार्म 200 से 300 और दो फार्म 400 हेक्टर से अधिक के हैं। राज्य सरकार इनको इच्छुक पार्टियों को लीज पर दे सकती है।




बीज पार्क के लाभ
बीज पार्क विकसित होने के बाद सालाना करीब तीन हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। प्लांटवार अतिरिक्त निवेश आएगा। प्लांट से लेकर लॉजिस्टिक लोडिंग, अनलोडिंग, परिवहन में स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा। सीड रिप्लेसमेंट दर (एसएसआर) में सुधार आएगा। इसका असर उपज पर पड़ेगा। 

दूसरे राज्यों से हर साल आता है 3000 करोड़ रुपए का बीज 
बात जब बीज की आती है तो प्रदेश को कुल उपयोग का करीब आधा हिस्सा दूसरे राज्यों से मांगना पड़ता है। इसके लिए सरकार को हर साल करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। सभी फसलों के हाइब्रिड बीज तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से आते है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार गेहूं के 22 प्रतिशत, धान के 51 प्रतिशत, मक्का के 74 प्रतिशत, जौ के 95 प्रतिशत, दलहन के 50 प्रतिशत और तिलहन के 52 प्रतिशत बीज गैर राज्यों से आते हैं। 

गुणवत्ता के बीज से कम होगा उत्पादन का गैप
सबसे उर्वर भूमि, सर्वाधिक सिंचित रकबे के बावजूद प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उपज के मामले में यूपी पीछे है। इसके लिए अन्य वजहों के साथ गुणवत्ता के बीजों की अनुपलब्धता भी एक प्रमुख वजह है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में गेहूं का प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उत्पादन 26.75 कुंतल है। जबकि पंजाब का सर्वोच्च 40.35 कुंतल है। इसी तरह धान का उत्पादन 37.35 कुंतल है, जबकि हरियाणा का 45.33 कुंतल। अन्य राज्यों की तुलना में इसी तरह का अंतर चना और सरसों के उत्पादन में भी है। गुणवत्ता के बीज से इस अंतर को 15 से 20 फीसद तक कम किया जा सकता है।

खेतीबाड़ी के लिहाज से यूपी एक नजर में
कृषि विभाग के अनुसार, कृषि योग्य भूमि का सर्वाधिक रकबा (166 लाख हेक्टर) यूपी का है। कृषि योग्य भूमि का 80 फीसद से अधिक रकबा सिंचित है। प्रदेश के करीब तीन करोड़ परिवारों की आजीविका कृषि पर निर्भर हैं। उत्तर प्रदेश खाद्यान्न और दूध के उत्पादन में देश में नंबर एक, फलों और फूलों के उत्पादन में दूसरे और तीसरे नंबर पर है। 

दक्षिण भारत से आता है प्रमुख फसलों के लिए 50 फीसद बीज 
फिलहाल वर्तमान में प्रदेश की प्रमुख फसलों के लिए करीब 50 फीसद बीज दक्षिण भारत के राज्यों से आता है। किसानों को प्रदेश के कृषि जलवायु के अनुकूल गुणवत्ता के बीज मिले, इसके लिए योगी सरकार ने बड़े पैमाने पर यूपी में ही बीज उत्पादन की रणनीति तैयार की है। इससे किसानों के लिए स्थानीय स्तर पर गुणवत्ता के बीज तैयार होने से उनकी उपज और उसकी गुणवत्ता में सुधार होगा।

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