हृदय रोग विभाग ने जोखिम वाले मरीजों का अध्ययन कर चार अलग-अलग स्कोर विकसित किए। यह स्कोर मरीजों की आदतों और खून संबंधी बायोमार्कर के आधार पर बनाए गए। जिन मरीजों में इन स्कोर का स्तर अधिक था, उनमें हार्ट अटैक के मामले भी अधिक पाए गए।
Lucknow News : हार्ट अटैक के खतरे से लेकर भर्ती के होने का देगा अलर्ट, SGPGI ने तैयार किया अनोखा मॉडल
Jan 02, 2025 11:49
Jan 02, 2025 11:49
मॉडल तैयार करने वाली टीम
इस अत्याधुनिक मॉडल को विकसित करने में डॉ. अनुपम कुमार, डॉ. आदित्य कपूर, डॉ. रूपाली खन्ना, डॉ. अंकित साहू और डॉ. सत्येंद्र तिवारी जैसे विशेषज्ञों का अहम योगदान रहा। डॉ. सत्येंद्र तिवारी के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा मौतें हार्ट अटैक के कारण होती हैं। खासतौर पर हायपरटेंशन, डायबिटीज, क्रॉनिक किडनी डिजीज, धूम्रपान, शराब सेवन और पहले से हृदय रोग से ग्रसित मरीजों में इसका खतरा अधिक रहता है।
अध्ययन में मरीजों की आदतों और स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण
हृदय रोग विभाग ने जोखिम वाले मरीजों का अध्ययन कर चार अलग-अलग स्कोर विकसित किए। यह स्कोर मरीजों की आदतों और खून संबंधी बायोमार्कर के आधार पर बनाए गए। जिन मरीजों में इन स्कोर का स्तर अधिक था, उनमें हार्ट अटैक के मामले भी अधिक पाए गए।
मॉडल के आधार बिंदु
मॉडल को चार मुख्य बिंदुओं पर तैयार किया गया है-
- एबीसी (ABC) : मरीज की उम्र, हायपरटेंशन और अन्य बायोमार्कर।
- एलएसीई (LACE) : लक्षण, एडमिशन की आवश्यकता और स्वास्थ्य का स्तर।
- टीआरएस-एचएफडीएम (TRS-HFDM) : पहले से हृदय फेल का इतिहास और डायबिटीज।
- एमएजीजीआईसी (MAGGIC) : मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और रिस्क फैक्टर्स।
हार्ट अटैक के खतरे के बढ़ते आंकड़े
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 2022 में हार्ट अटैक की वजह से 32,457 मौतें हुईं। ऐसे में इस मॉडल का महत्व और अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि यह जोखिम वाले मरीजों को समय रहते आगाह कर सकता है।
प्रदेश में हृदय रोग विशेषज्ञों की कमी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रति हजार की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए। हालांकि, उत्तर प्रदेश में यह औसत 1.1 डॉक्टर प्रति हजार है। लेकिन हृदय रोग विशेषज्ञों की संख्या बेहद कम है—एक लाख की आबादी पर सिर्फ एक विशेषज्ञ। ऐसे में इस मॉडल की मदद से मरीजों को समय पर जानकारी देकर उनकी जान बचाने का प्रयास किया जा सकता है।
कैसे करेगा यह मॉडल मदद
मॉडल की मदद से मरीजों को उनकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पहले ही सूचित किया जा सकेगा। जैसे ही मरीज को किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या महसूस हो, वे समय पर अस्पताल पहुंच सकते हैं। इससे गंभीर स्थितियों से बचा जा सकता है और जीवन रक्षक कदम उठाए जा सकते हैं।
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