इस बीच रहमानखेड़ा और आसपास के इलाकों में बाघ की लगातार मौजूदगी से ग्रामीणों के बीच डर का माहौल बना हुआ है। बाघ ने मचान के पास कई बार शिकार किया, लेकिन वन विभाग की सारी रणनीतियां अब तक असफल साबित हुई हैं। बाघ को पकड़ने के लिए अब वन विभाग ने पिट फॉल तकनीक अपनाने का फैसला किया है।
रहमानखेड़ा में बाघ की दहशत बरकरार : डिप्टी रेंजर की गाड़ी के आया सामने, अब पिट फॉल तकनीक से पकड़ने की योजना
Jan 17, 2025 13:36
Jan 17, 2025 13:36
बाघ को बचाने के प्रयास में कार अनियंत्रित होकर पलटी
बताया जा रहा है कि रहमानखेड़ा के जंगल में ये हादसा उस वक्त हुआ, जब डिप्टी रेंजर अमित सिंह की कार के सामने अचानक बाघ आ गया। बाघ को बचाने के प्रयास में अचानक ब्रेक लगाने से कार अनियंत्रित होकर पलट गई। इस हादसे में कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। गनीमत रही कि हादसे में डिप्टी रेंजर अमित सिंह और उनके साथ कछौना वन रेंज के वन दारोगा सचिन को सिर्फ मामूली चोटें आईं। दोनों सुरक्षित हैं और उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया। इस बाघ को लेकर वन महकमे की ओर से फिलहाल आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गई है।
बाघ का आतंक: गांवों में दहशत और वन विभाग की नाकामी
इस बीच रहमानखेड़ा और आसपास के इलाकों में बाघ की लगातार मौजूदगी से ग्रामीणों के बीच डर का माहौल बना हुआ है। बाघ ने मचान के पास कई बार शिकार किया, लेकिन वन विभाग की सारी रणनीतियां अब तक असफल साबित हुई हैं। बाघ को पकड़ने के लिए अब वन विभाग ने पिट फॉल तकनीक अपनाने का फैसला किया है, जिसमें जेसीबी से गड्ढे खोदकर बाघ को उसमें फंसाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए 15 फीट गहरा और 10 फीट लंबा गड्ढा खोदा गया है। वनाधिकारियों के मुताबिक जिस हिसाब से बाघ इलाके में सक्रिय है और उसको पकड़ने के लिए बांधे जानवर का भी शिकार कर रहा है। मुमकिन है इस बार ये तरकीब काम कर जाए। बाघ के गिरने के बाद उसे ट्रेंकुलाइज किया जा सकेगा। इसके लिए बाराबंकी के प्रभागीय निदेशक आकाश बधावन के नेतृत्व में टीम को जिम्मा सौंपा गया है। वहीं कर्तनिया से आए डॉक्टर दीपक भी टीम में शामिल हैं।
60 गांवों में स्कूल-कॉलेज बंद, ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था
बाघ के आतंक के कारण लखनऊ के करीब 60 गांवों में सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया है। जिलाधिकारी के आदेश के अनुसार, छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था की गई है। प्रभावित गांवों में साहिलामऊ, उलरापुर, मीठेनगर, दुगौली, कटौल, खालिसपुर, और कनार जैसे इलाके शामिल हैं। वन विभाग ने मीठे नगर और बेहता नाला के आसपास बाघ के पगचिह्न मिलने की पुष्टि की है। अधिकारियों के अनुसार, बाघ ने जंगल छोड़ अब आवासीय क्षेत्रों को अपना ठिकाना बना लिया है। बाघ दिन में छिपा रहता है और रात में शिकार के लिए सक्रिय होता है। इसके चलते ग्रामीणों में डर का माहौल बढ़ गया है।
बाघ की तलाश में आधुनिक तकनीक और टीमें सक्रिय
वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है। इस अभियान में थर्मल ड्रोन, सीसीटीवी कैमरे, और प्रशिक्षित हथिनियां डायना और सुलोचना की मदद ली जा रही है। रहमानखेड़ा और मीठे नगर के इलाकों में पेट्रोलिंग के लिए नौ टीमें तैनात हैं, जिसमें 70 से अधिक वन कर्मचारी शामिल हैं। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बाघ को सुरक्षित पकड़ने और ट्रैंकुलाइज करने की रणनीति बनाई है। इसके तहत शिकार को बांधकर बाघ को आकर्षित किया जाएगा और उसे ट्रैप कैमरों की मदद से काबू में किया जाएगा।
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