टीबी संक्रमण का मुख्य कारण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नामक बैक्टीरिया है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के 15 जिलों में चलाए जा रहे इस अभियान को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी 75 जिलों में लागू करने के निर्देश दिए हैं।
Tuberculosis : यूपी में अब तक 5.71 लाख लोगों की स्क्रीनिंग, 4265 में टीबी की पुष्टि, सीएम योगी करेंगे रिव्यू
Dec 26, 2024 19:17
Dec 26, 2024 19:17
सघन टीबी अभियान का विस्तार
इस अभियान का उद्देश्य पूरे प्रदेश को क्षय रोग (टीबी) से मुक्त बनाना है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के 15 जिलों में चलाए जा रहे इस अभियान को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी 75 जिलों में लागू करने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार ने इस अभियान को हर स्तर पर प्रभावी बनाने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायतीराज, और महिला एवं बाल विकास विभाग को सक्रिय रूप से जोड़ा है। अभियान की गतिविधियों और प्रगति की जानकारी लेने के लिए यह समीक्षा बैठक आयोजित की जा रही है।
बैठक में डिजिटल भागीदारी
इस बैठक में जिलास्तरीय अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रतिभाग करेंगे। प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को अभियान की गतिविधियों को सुचारु और प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए निर्देशित किया है।
अभियान की अब तक की प्रगति
राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने बताया कि 15 जिलों की 27.95 लाख उच्च जोखिम वाली जनसंख्या को इस अभियान में शामिल किया गया। अब तक 5.71 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई, जिसमें 4265 लोगों में टीबी की पुष्टि हुई।
सबसे अधिक मरीज वाले जनपद :
सीतापुर में 659
रामपुर में 440
बाराबंकी में 350
बस्ती में 299
सिद्धार्थनगर में 295
उच्च जोखिम वाली जनसंख्या पर विशेष ध्यान
सघन टीबी अभियान के तहत सरकार ने उच्च जोखिम वाले समूहों को चिह्नित किया है। इनमें इन लोगों को शामिल किया गया है :
- 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग
- कम वजन (18.5 किग्रा/मी² से कम बीएमआई) वाले कुपोषित व्यक्ति
- डायबिटीज और एचआईवी संक्रमित लोग
- धूम्रपान और अन्य नशा करने वाले व्यक्ति
- टीबी के इलाज प्राप्त कर चुके या इलाजरत मरीजों के साथ रहने वाले लोग
टीबी एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। यह बीमारी हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व के कुल टीबी मामलों में लगभग 26 प्रतिशत भारत में होते हैं। टीबी संक्रमण का मुख्य कारण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नामक बैक्टीरिया है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। उत्तर प्रदेश में विगत 9-20 सितंबर तक चले सक्रिय टीबी रोगी खोजी (एसीएफ) अभियान के दौरान 11595 नये टीबी रोगियों की पहचान की गई। इसके बाद इन मरीजों का पंजीकरण करते हुए इलाज शुरू किया गया। राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर के अनुसार, एसीएफ के दौरान प्रदेश की 20 फीसद आबादी के घर-घर जाकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने टीबी के संभावित लक्षण वाले लोगों की स्क्रीनिंग की। इसमें से संभावित लक्षण वाले 4.50 लाख लोग मिले। इनमें से 4.38 लाख लोगों में टीबी की जांच की पुष्टि के लिए बलगम की जांच और एक्सरे करवाया गया और 11,595 लोगों में टीबी की पुष्टि हुई। चिह्नित लोगों में से 5381 पल्मोनरी और 6314 एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी से ग्रसित पाए गए। अभियान ग्रामीण आबादी सहित शहरी क्षेत्रों जैसे अनाथालयों, खादानों, स्टोन क्रशर, साप्ताहिक बाजारों, मदरसा, वृद्धाश्रम, सब्जी मंडियों, कारागार और मलिन बस्तियों में चलाया गया।
टीबी के बढ़ते मामलों के कारण :
कमजोर स्वास्थ्य सुविधाएं : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी।
पोषण की कमी : कुपोषण टीबी के संक्रमण को बढ़ाता है।
अनुचित उपचार : मरीजों द्वारा दवाओं का कोर्स अधूरा छोड़ना।
जनसंख्या घनत्व : अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है।
एमडीआर और एक्सडीआर टीबी की चुनौती
उत्तर प्रदेश में मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट (MDR) टीबी और एक्सटेंसिव-ड्रग रेसिस्टेंट (XDR) टीबी के मामले बढ़ रहे हैं। ये मामले दवाओं के प्रतिरोध के कारण जटिल हो जाते हैं। इनका इलाज सामान्य मरीजों की तुलना में लंबा होता है। सरकार ने एमडीएआर एक्सडीआर मरीजों के इलाज के लिए विशेष केंद्र स्थापित किए हैं।
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