उत्तर प्रदेश विधानभवन में एआई तकनीक का उपयोग मुख्यतः विधानसभा सत्रों के दौरान विधायकों और मंत्रियों की उपस्थिति, उनके द्वारा उठाए गए सवाल, सदन में बिताए गए समय और सक्रियता को ट्रैक करने के लिए किया जाएगा।
यूपी विधानसभा में एआई की नजर : विधायकों की उपस्थिति और कामकाज का रहेगा डिजिटल लेखा-जोखा
Nov 30, 2024 10:19
Nov 30, 2024 10:19
विधायक और मंत्रियों के आने-जाने का होगा पूरा रिकॉर्ड
इसके जरिए विधायकों और मंत्रियों की उपस्थिति और कार्यक्षमता को मॉनिटर किया जा सकेगा। इस तरह विधानसभा में विधायक और मंत्रियों के आने-जाने का पूरा रिकॉर्ड होगा। विधायकों को सदन में पर्याप्त वक्त देकर अपनी परफार्मेंस भी दिखानी होगी। एआई के जरिए विधायकों के सदन में बैठने तक की पूरी जानकारी उपलब्ध होगी। यह पहल उत्तर प्रदेश विधानसभा को डिजिटल युग में एक नई पहचान देने के साथ-साथ कामकाज की पारदर्शिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करेगी।
एआई से लैस होगी यूपी विधानसभा
उत्तर प्रदेश विधानभवन में एआई तकनीक का उपयोग मुख्यतः विधानसभा सत्रों के दौरान विधायकों और मंत्रियों की उपस्थिति, उनके द्वारा उठाए गए सवाल, सदन में बिताए गए समय और सक्रियता को ट्रैक करने के लिए किया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि इस नई प्रणाली का उद्देश्य सदस्यों की सदन में सक्रियता और भागीदारी को बढ़ावा देना है। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि विधायक अपने क्षेत्रों के मुद्दों को गंभीरता से सदन में लाएं और अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाएं।
कैसे काम करेगा एआई सिस्टम?
उपस्थिति की निगरानी : एआई सिस्टम प्रत्येक विधायक और मंत्री की सदन में उपस्थिति, आने-जाने का समय, और उनके द्वारा दिए गए योगदान का रिकॉर्ड रखेगा।
सवाल-जवाब का लेखा-जोखा : सदन में पूछे गए सवालों, उठाए गए मुद्दों, और दिए गए भाषणों का डिजिटल डेटा तैयार किया जाएगा।
विधानसभा सत्र का डिजिटल रिकॉर्ड : सत्र के दौरान होने वाली सभी चर्चाओं को एआई के माध्यम से संग्रहीत और विश्लेषण किया जाएगा, ताकि सदस्यों के प्रदर्शन का आकलन किया जा सके।
सदन में विधायकों की सक्रियता बढ़ाने की पहल
विधानसभा अध्यक्ष ने इस प्रणाली को लागू करने को लेकर बताया कि सदन में विधायकों की उपस्थिति केवल औपचारिकता नहीं होनी चाहिए। यह उनके अनुभव और जिम्मेदारी का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद सत्र के दौरान लंबे समय तक सदन में उपस्थित रह सकते हैं, तो विधायकों और मंत्रियों को भी इस अनुशासन का पालन करना चाहिए।
137 वर्षों का डिजिटल डाटा होगा उपलब्ध
उत्तर प्रदेश विधानभवन की वेबसाइट पूरी तरह से डिजिटल हो चुकी है और अब यह देश की पहली ऐसी विधानसभा बनने जा रही है, जहां 1887 से लेकर अब तक की विधायी कार्यवाहियों का पूरा डेटा एआई तकनीक के माध्यम से उपलब्ध होगा।
पुरानी विधायी चर्चाएं : पिछले 137 वर्षों में किस नेता ने किस मुद्दे पर क्या बोला, यह अब सेकंडों में पता लगाया जा सकेगा।
संदर्भ खोजना आसान : किसी विशेष मुद्दे पर जानकारी के लिए बस कीवर्ड टाइप करना होगा। उदाहरण के तौर पर यदि शिक्षा पर चर्चाओं का रिकॉर्ड चाहिए, तो यह तुरंत सामने आ जाएगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही
विधायकों की जिम्मेदारी तय होगी : सदन में उनकी उपस्थिति और योगदान का रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहेगा।
विधायिका की छवि को बेहतर बनाना : विधानसभा अध्यक्ष के मुताकि विधानभवन केवल एक भवन नहीं है, यह राज्य की छवि और जनता की उम्मीदों का प्रतीक है।
सदस्यों का प्रदर्शन होगा पारदर्शी : एआई के माध्यम से प्रत्येक सदस्य का कार्य प्रदर्शन जनता के सामने स्पष्ट होगा।
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