डीजीपी ने हाथरस जैसे हादसे रोकने के लिए जारी निर्देशों में कहा है कि परमिशन देने वाले अधिकारी और स्थानीय पुलिस पहले से चेक कर लें कि कार्यक्रम स्थल पर कोई खतरा नहीं है। वहां लोगों का आवागमन सुरक्षित है। संभावित खतरों के आकलन के आधार पर आपातकालीन योजना तैयार की जाए।
हाथरस सत्संग जैसे हादसे रोकने की कवायद : डीजीपी प्रशांत कुमार ने भीड़ प्रबंधन-भगदड़ को लेकर बनाया खास सिस्टम
Jul 25, 2024 10:59
Jul 25, 2024 10:59
- जिला, रेंज और जोन स्तर के सभी सरकारी-निजी अस्पताल करे जाएंगे चिह्नित
- आयोजन स्थल की मौके पर जाकर जांच करेंगे आलाधिकारी
- सुरक्षा को लेकर किए जाएंगे पुख्ता प्रबंध
पूर्वाभ्यास कराना जरूरी
इसके साथ ही जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, सिविल डिफेंस, फायर बिग्रेड और स्थानीय पुलिस के साथ स्वयं सेवी संगठनों के स्तर पर नियमित रूप से इंटिग्रेटेड सिस्टम को अपडेट किया जाएगा। डीजीपी ने आपदा प्रबंधन से जुड़े विभागों को इसमें शामिल करते हुए लगातार ऐसी घटनाओं का पूर्वाभ्यास कराए जाने के निर्देश दिए हैं।
इन अहम बातों का रखा जाए ध्यान
- इंटिग्रेटेड सिस्टम को स्थानीय परिस्थितियों के मद्देनजर हर साल अपडेट और अपग्रेड किया जाए।
- पुलिस लाइनों में विशेष आयोजनों में सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और ट्रैफिक संचालन के संसाधनों और उपकरणों की नियमित जांच करवाई जाए और कर्मियों को उनका प्रशिक्षण दिया जाए।
- जिला, रेंज और जोन स्तर के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को चिह्नित किया जाए।
- वरिष्ठ अधिकारियों, स्थानीय मैजिस्ट्रेट और जिम्मेदार अधिकारियों के साथ कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया जाए।
- परमिशन देने वाले अधिकारी और स्थानीय पुलिस पहले से चेक कर लें कि कार्यक्रम स्थल पर कोई खतरा नहीं है। वहां लोगों का आवागमन सुरक्षित है।
- संभावित खतरों (आग, बिजली, सड़क दुर्घटना और श्वास अवरोधक) के आकलन के आधार पर आपातकालीन योजना तैयार की जाए। सभी विभागों से समन्वय बनाया जाए।
- कार्यक्रम की पूरी जानकारी और वहां आने वालों की अनुमानित संख्या की जानकारी जुटाई जाए।
- सुरक्षा और ट्रैफिक के लिए जरूरी पुलिस, पीएसी, केंद्रीय बल, अधिकारियों और संसाधनों का मांग पत्र तैयार किया जाए। मजबूत बैरिकेडिंग की जाए।
- कार्यक्रम स्थलों पर सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग की जाए और ऑपरेशनल कंट्रोल रूम बनाए जाएं।
- कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए राजपत्रित अधिकारी (स्थानीय मैजिस्ट्रेट) को प्रभारी नियुक्ति किया जाए। ड्यूटी पर लगाए जाने वाले फोर्स की समुचित ब्रीफिंग की जाए।
- पब्लिक एड्रेस सिस्टम के साथ अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। अफवाह फैलाने वाले असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जाए।
- कार्यक्रम स्थल पर लाइट, पीने का पानी और ऐंबुलेंस का इंतजाम किया जाए। क्राउड कंट्रोल प्लान के तहत आवागमन और पार्किंग का इंतजाम किया जाए।
- अतिथियों की श्रेणी तय कर उसी हिसाब से उनके आवागमन के मार्ग अलग-अलग रखे जाएं। जनता के लिए आवागमन के मार्ग अलग हों।
- भगदड़ की स्थिति पर इलाज के लिए चिकित्सा विभाग से समन्वय बनाकर एंबुलेंस का इंतजाम किया जाए। उनके लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार कराया जाए।
- मृतकों को घटना स्थल और अस्पताल से उनके घर पहुंचाने और अंतिम संस्कार के लिए स्थानीय प्रशासन से समन्वय बनाकर कार्रवाई की जाए।
- जरूरत का आकलन करते हुए स्थानीय फील्ड यूनिट, फायर बिग्रेड, बीडीएस टीम, फ्लड यूनिट और एसडीआरएफ की भी मदद ली जाए।
- मीडिया को समुचित ब्रीफिंग की जाए, जिससे कोई गलत तथ्य या अफवाह न फैलने पाए।
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