डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि बीते 12 साल से बीएमजीएफ के सहयोग से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार आया है। इसमें 65 मेडिकल कालेजों की स्थापना एवं एमएमआर व एनएमआर की दरों में अत्यधिक कमी देखने को मिली है। पोषण में सुधार हुआ है।
यूपी सरकार और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बीच करार पांच साल बढ़ा : हेल्थ सेक्टर में यहां बना सबसे बड़ा मददगार
Aug 09, 2024 00:42
Aug 09, 2024 00:42
- बीएमजीएफ के सहयोग से मातृ मृत्यु-दर में गिरावट-दिमागी बुखार से मौतों की संख्या शून्य पहुंची
- काला अजार के मामलों में 88 प्रतिशत की कमी, 2024 में सिर्फ एक केस बचा
बीएमजीएफ की मदद से पोषण में सुधार, सप्लाई चेन हुई बेहतर
इस दौरान उपमुख्यमंत्री एवं चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ब्रजेश पाठक ने बीते 12 साल से बीएमजीएफ के सहयोग से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में हुए सुधार का जिक्र किया। इसमें 65 मेडिकल कालेजों की स्थापना एवं एमएमआर व एनएमआर की दरों में अत्यधिक कमी, पोषण में सुधार, सप्लाई चेन में महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के सापेक्ष शत-प्रतिशत उपलब्धियां व पर्याप्त संख्या में वेयर हाऊस का निर्माण शामिल है। उन्होंने आशा के माध्यम से उपचार की व्यवस्था का मैकेनिज्म तैयार करने का सुझाव दिया जिससे मरीजों को उनके गांव में ही इलाज मिल सके तथा रेफरल की पद्धति में जिला अस्पताल स्तर पर दायित्व निर्धारित किया जा सके।
बीएमजीएफ की मदद से और बेहतर होंगी स्वास्थ्य सेवाएं
स्वास्थ्य राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने विश्वास जताया कि एमओसी के विस्तार से अगले पांच वर्षों में प्रदेश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार होगा और उत्तर प्रदेश, देश में कीर्तिमान स्थापित करेगा। प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बीएमजीएफ के सहयोग से मिली उपलब्धियों का आंकड़ों सहित विवरण दिया। उन्होंने कहा कि सबसे अहम बात है कि यह संस्था अपना एजेंडा तय नहीं करती। बल्कि प्रदेश सरकार के एजेंडे और प्राथमिकताओं को तहत काम करने के लिए आगे आती है।
इन बिंदुओं पर यूपी सरकार के साथ काम कर रहा बीएमजीएफ
गौरतलब है कि बीएमजीएफ वर्ष 2012 से उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर मातृ, नवजात और बाल स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, टीके द्वारा रोकथाम की जाने वाली बीमारियों, संचारी रोग- टीबी, काला अजार, लिम्फैटिक फाइलेरिया और दिमागी बुखार (एईएस), स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से स्वास्थ्य और पोषण आधारित गतिविधियों का एकीकरण एवं आजीविका के अवसरों के लिए महिलाओं को सक्षम बनाने तथा जन-स्वास्थ्य को गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने, मरीजों की समुचित देखभाल और उनकी वित्तीय सुरक्षा को बेहतर बनाने जैसे मुद्दों पर काम कर रहा है।
बीएमजीएफ के सहयोग से हेल्थ सेक्टर में मिली ये कामयाबी
- 2016 से 2019 के बीच मातृ मृत्यु-दर प्रति एक लाख प्रसव पर 216 से घटकर 167 हुई और 2016 से 2020 के बीच प्रति एक हजार जन्म पर यूएमआर में 47 से 41 की गिरावट आई।
- 2016 से 2019-20 के बीच आधुनिक गर्भनिरोधक प्रसार-दर (एमसीपीआर) में (31.70 प्रतिशत से बढ़कर 44.5 प्रतिशत) सुधार हुआ।
- 2019 से 2024 के बीच सीएचसी में एनबीएसयू 53 से बढ़कर 275 हुई, सी-सेक्शन का संचालन करने वाले एफआरयू 135 से बढ़कर 322 हो गए और सक्रिय एफआरयू-सीएचसी 66 से बढ़कर 234 हुए।
- सभी 75 जिलों में यूपीएमएससी द्वारा जिला स्तर के गोदामों की स्थापना से आवश्यक दवाओं की उपलब्धता 2019 में 40 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान में 90 प्रतिशत से अधिक हो गई।
- राज्य में 22473 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का संचालन शुरू।
- 2019-24 के बीच, दिमागी बुखार (एईएस) के कारण होने वाली मौतें 126 से घटकर शून्य हो गई, जापानी इंसेफेलाइटिस के कारण होने वाली मौतें 21 से घटकर शून्य हो गईं और लिम्फैटिक फाईलेरिया उन्मूलन के खिलाफ एमडीए का कवरेज 27 प्रतिशत से बढ़कर 74 प्रतिशत हुआ।
- काला अजार के मामलों में 88 प्रतिशत की कमी, 2018 में 120 मामलों से 2024 में अब सिर्फ एक केस बचा।
- स्वास्थ्य प्रणाली का डिजिटलीकरण – जैसे- यूपीएचएमआईएस, मानव संपदा, ई-कवच, एफएएमएस, इंटीग्रेटेड कोविड-पोर्टल, यूपीकेएसके, डीवीडीएमएस, होप, ई-सुश्रुत, बीसीपीएम-एमआईएस, यूडीएसपी, डी2सी ऐप का संचालन।
- 43 जिलों में 403 ब्लॉकों को कवर करते हुए 204 स्वयं सहायता समूहों के नेतृत्व वाली टेक-होम-राशन (टीएचआर) इकाइयां स्थापित हुईं
- एसआरएलएम ने तीन वर्षों की अवधि में 28.92 लखपति दीदी का लक्ष्य प्राप्त किया।
- पीएमजेएवाई योजना के तहत राज्य भर में कुल 5,506 अस्पताल सूचीबद्ध।
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