UP Police : उद्यमियों पर एफआईआर से पहले पुलिस करेगी पड़ताल, डीजीपी बोले- निवेशक नहीं हों हतोत्साहित

उद्यमियों पर एफआईआर से पहले पुलिस करेगी पड़ताल, डीजीपी बोले- निवेशक नहीं हों हतोत्साहित
UPT | पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार।

Jul 18, 2024 20:07

पुलिस महानिदेशक ने कहा है कि प्रार्थना पत्र में इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कहीं यह कारोबारी से जुड़ी प्रतिद्वंद्विता या व्यवसायिक विवाद या सिविल विवादों को आपराधिक स्वरूप देते हुए तो नहीं प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही यह भी ध्यान देखा चाहिए कि प्रार्थना पत्र से क्या संज्ञेय अपराध का होना प्रमाणिक रूप से स्पष्ट हो रहा है या नहीं।

Jul 18, 2024 20:07

Lucknow News : पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने उद्यमियों एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों के संचालकों के विरुद्ध मामलों को लेकर मातहतों को निर्देश जारी किए हैं। इसमें उनसे सतर्कता बरतने को कहा गया है। डीजीपी ने कहा है कि ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करने से पहले सही तरीके से जांच की जाए, जिससे किसी निर्दोष के फंसने की संभावना नहीं हो। उन्होंने कहा है कि इसके साथ ही भवन निर्माताओं तथा फैक्टरी, होटल, अस्पताल एवं नर्सिंग होम और शैक्षिक संस्थाओं के संचालकों के विरुद्ध प्राप्त होने वाले प्रार्थना पत्रों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच जरूरी है। डीजीपी ने ये निर्देश हापुड़ की घटना के बाद दिए हैं। हापुड़ में अस्पताल से जुड़े एक मामले में विवाद के बाद जनपद के एसपी और एएसपी को हटा दिया गया है। इसकी चर्चा पूरे पुलिस महकमे में है। 

निर्दोष व्यक्तियों पर निराधार एफआईआर के केस आए सामने
पुलिस महानिदेशक ने गुरुवार को सभी जोनल एडीजी, पुलिस कमिश्नर, आईजी-डीआईजी रेंज और जनपदों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, पुलिस अधीक्षकों को इस बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर उद्यमियों व निर्दोष व्यक्तियों के विरुद्ध निराधार एफआईआर दर्ज किए पर नाराजगी जाहिर की है। डीजीपी ने कहा है कि विभिन्न व्यापारिक संगठनों की ओर से अलग अलग स्तर पर प्रत्यावेदन के जरिए ऐसे तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं कि आमतौर पर सिविल प्रकृति वाले व्यवसायिक विवादों को आपराधिक शक्ल देते हुए एफआईआर कराने के मामलों में इजाफा हो रहा है। 

मैनेजमेंट के लोगों का नाम बेवजह एफआईआर में किया जा रहा शामिल
डीजीपी ने कहा कि इसके अलावा ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें प्रतिष्ठानों आदि में कोई आकस्मिक घटना-दुर्घटना होने पर प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार व्यक्तियों के साथ ही मैनेजमेंट स्तर के लोगों का नाम भी एफआईआर में शामिल कर दिया गया। जबकि उनका घटना से कोई प्रत्यक्ष वास्ता नहीं होता है। डीजीपी ने इसे गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम से सरकार की उद्यमियों को आमंत्रित करने और इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने की नीति के विपरीत असर पड़ता है। ऐसे मामलों की वजह से निवेशक हत्सोहित हो सकते हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का करें पालन
पुलिस महानिदेशक ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि व्यापारिक अपराध, चिकित्सीय लापरवाही के मामले, वैवाहिक एवं पारिवारिक विवाद, भ्रष्टाचार के मामले या ऐसे प्रकरण जिनमें एफआईआर दर्ज कराने में अस्वाभाविक विलंब हुआ हो, के मामलों में एफआईआर दर्ज करने से पूर्व जांच कराई जा सकती है। 

कारोबार से जुड़ी प्रतिद्वंद्विता के कारण दर्ज कराए जा रहे केस
पुलिस महानिदेशक ने कहा है कि प्रार्थना पत्र में इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कहीं यह कारोबारी से जुड़ी प्रतिद्वंद्विता या व्यवसायिक विवाद या सिविल विवादों को आपराधिक स्वरूप देते हुए तो नहीं प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही यह भी ध्यान देखा चाहिए कि प्रार्थना पत्र से क्या संज्ञेय अपराध का होना प्रमाणिक रूप से स्पष्ट हो रहा है या नहीं। उन्होंने कहा है कि जांच के दौरान जांच अधिकारी वादी और प्रतिवादी यानी दोनों पक्षों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर देगा। इसके साथ ही मामले से संबंधित दोनों पक्षों के उपलब्ध कराए अभिलेख भी जांच रिपोर्ट के साथ संलग्न किए जाएंगे।

हापुड़ की घटना को लेकर पुलिस बैकफुट पर 
दरअसल हाल ही में हापुड़ के प्रकरण को लेकर एसपी अभिषेक वर्मा व एएसपी राजकुमार अग्रवाल को मुख्यालय अटैच किया गया है। विगत मंगलवार को हापुड़ के रामा मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक महिला की हालत बिगड़ने पर परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया था। उन्होंने मरीज को जबरन अस्पताल में रखने का आरोप लगाते हुए पुलिस से शिकायत की। बाद में अस्पताल में दारोगा, कोतवाल और पिलखुवा सीओ से अभद्रता की गई। इसके बाद जांच के लिए एएसपी राजकुमार अग्रवाल को मौके पर भेजा गया। कहा जा रहा है कि इस पर कर्मचारियों ने पुलिसकर्मियों से माफी मांगी थी। हालांकि पुलिस के जाने के बाद मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने घटना की जानकारी संचालकों को दी। इसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने लखनऊ में उच्चाधिकारियों से शिकायत कर पुलिस पर मनमानी का आरोप लगाया। आरोप लगाया कि बेवजह मेडिकल कॉलेज को पुलिस छावनी बना दिया गया। मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण आईजी नचिकेता झा जांच के लिए पहुंचे। बाद में एसपी अभिषेक वर्मा और एएसपी राजकुमार अग्रवाल को हटा दिया गया। इसके अलावा पिलखुवा कोतवाली प्रभारी का भी तबादला कर दिया गया। ये मामला पुलिस महकमे में काफी सुर्खियों में रहा। लखनऊ में इसकी काफी चर्चा होती रही। अब इस प्रकरण के बाद डीजीपी ने अब सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। 

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