अवधेश वर्मा ने कहा कि उदाहरण के तौर पर कोरोना संक्रमण काल में जब लॉकडाउन लगा हुआ था, तब सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों ने बिल के भुगतान के अभाव में भी कनेक्शन नहीं काटा। उपभोक्ताओं से लॉकडाउन खुलने पर भुगतान को बोला गया, जबकि प्राइवेट सेक्टर की मोबाइल कंपनियों ने उपभोक्ताओं को ऐसी सुविधा नहीं दी।
UPPCL : ऊर्जा मंत्री का डबल इंजन की सरकार में ऐतिहासिक काम का दावा, उपभोक्ता परिषद का सवाल- फिर निजीकरण क्यों?
Nov 30, 2024 16:36
Nov 30, 2024 16:36
ऊर्जा मंत्री के दावे और यूपीपीसीएल के फैसले में विरोधाभास
इसके साथ ही उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के दावों और उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत निगमों को निजी हाथों में सौंपने के फैसले को विरोधाभास वाला बताया है। संगठन के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने शनिवार को कहा कि ऊर्जा मंत्री आंकड़ों के साथ कह रहे हैं कि प्रदेश में ऐतिहासिक काम हुआ है। इसमें 47.15 लाख नये घरेलू विद्युत कनेक्शन, 1.70 लाख नलकूप कनेक्शन, 23.32 लाख नये खंभे लगाने का दावा किया गया है। इसके साथ ही 7.51 लाख नये-उच्चीकृत ट्रांसफार्मर और 1.24 लाख किलोमीटर नये एबी केबल लगाने की बात कही है। इसके अलावा 33केवी के 39 नये उपकेंद्र, 33केवी के 537 उपकेंद्र का उच्चीकरण, 132 केवी के 66 बड़े नये उपकेंद्र, 132केवी के 206 बड़े उपकेन्द्र उच्चीकृत करने और टोल फ्री नंबर 1912 के माध्यम से प्राप्त 131.391 लाख शिकायतों के निस्तारण का दावा किया गया है। ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि इस तरह निर्बाध और निरंतर बिजली आपूर्ति के लिए आधारभूत संरचना में आमूलचूल परिवर्तन के लिये ऐसे कार्यों का सिलसिला जारी है। डबल इंजन की सरकार के नेतृत्व में विद्युत विभाग में ऐतिहासिक कार्य हुआ है।
42 जिलों में ऊर्जा सेक्टर की कमान निजी हाथों के हवाले
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने इन बिंदुओं का हवाला देते हुए कहा कि इसके बाद भी यूपीपीसीएल के चेयरमैन बोल रहे हैं कि प्रदेश के दक्षिणांचल और पूर्वांचल के आधे से ज्यादा 42 जनपदों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर संचालित किया जाएगा। ऐसे में ऊर्जा मंत्री के दावों और यूपीपीसीएल के चेयरमैन की बातें आपस में सवाल पैदा कर रही हैं।
पीपीपी मॉडल से फायदा होने के बजाय उपभोक्ताओं का नुकसान
अवधेश वर्मा ने कहा कि दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत निगमों के अंतर्गत 42 जनपद आते हैं। इनके निजीकरण की प्रक्रिया पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर शुरू की गई है। इसे लेकर कई लोगों में भ्रम है कि इससे जनता का लाभ होने वाला है। उन्होंने कहा कि हकीकत में स्थिति पूरी तरह उलट है। निजी क्षेत्र हमेशा अपने फायदे के लिए काम करते हैं, जबकि सरकारी क्षेत्र की एक प्रतिबद्धता होती है। अवधेश वर्मा ने कहा कि उदाहरण के तौर पर कोरोना संक्रमण काल में जब लॉकडाउन लगा हुआ था, तब सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों ने बिल के भुगतान के अभाव में भी कनेक्शन नहीं काटा। उपभोक्ताओं से लॉकडाउन खुलने पर भुगतान को बोला गया, जबकि प्राइवेट सेक्टर की मोबाइल कंपनियों ने उपभोक्ताओं को ऐसी सुविधा नहीं दी। रिचार्ज खत्म होते ही सेवाएं बाधित कर दी गईं। लोगों के रोजगार प्रभावित होने के बावजूद इन्होंने कोई रियायत नहीं दी और आपदा में अवसर तलाशा। ऐसे में ये बात जगजाहिर है कि निजी सेक्टर कभी भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की तरह राहत नहीं देता है। ऊर्जा सेक्टर में भी यही देखने को मिलेगा। ऐसे में लोगों को इसका विरोध करना चाहिए।
Also Read
10 Dec 2024 10:42 AM
राशिद नसीम के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। उत्तर प्रदेश में पहली बार इस अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। राशिद नसीम पर 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का आरोप है। और पढ़ें