उपभोक्ता परिषद ने दलील दी कि बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार कुल खर्च का 60 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश सरकार 40 फीसदी दे रही है। ऐसे में दोनों सरकारी बिजली कंपनी को आत्मनिर्भर बनाकर किसी निजी घराने को देन कहां तक उचित होगा,
UPPCL : सरकार के 20415 करोड़ खर्च करने के बीच निजीकरण नौकरशाहों की चाल? पीएम मोदी से CBI जांच की मांग
Nov 30, 2024 18:44
Nov 30, 2024 18:44
यूपी में 44094 करोड़ की रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) योजना के तहत उत्तर प्रदेश में लगभग 44094 करोड़ की योजना लागू की गई, जिसमें लॉस रिडक्शन के साथ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना है। भारत सरकार के जारी आदेश में कहा गया है कि यह स्कीम आत्मनिर्भर स्कीम है। ये स्कीम राज्यों में लागू होने से सभी बिजली कंपनियां स्वत: आत्मनिर्भर हो जाएंगी। इसी के तहत उत्तर प्रदेश में भी आरडीएसएस योजना के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर जारी किया गया। इसमें लॉस रिडक्शन का टेंडर जारी किया गया और अंततः विद्युत नियामक आयोग ने भारत सरकार की गाइडलाइन के तहत अपनी मंजूरी भी दी। इसमें सभी बिजली कंपनियों के लिए अलग-अलग मंजूर की गई धनराशि को मान लिया गया और विद्युत नियामक आयोग ने अपने आदेश में लिखा कि भारत सरकार की स्कीम के आत्मनिर्भर स्कीम होने के कारण इसका भार आम जनता पर नहीं पड़ेगा।
बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने की हो चुकी शुरुआत
उपभोक्ता परिषद ने बताया कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में दो और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में तीन क्लस्टर बनाए गए। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की बात करें तो लॉस रिडक्शन में कुल लगभग 4519 करोड का टेंडर किया गया। वहीं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 3798 करोड का टेंडर किया गया। इसी प्रकार स्मार्ट प्रीपेड मीटर में दक्षिणांचल में 4947 करोड़ और पूर्वांचल में 7151 करोड़ का टेंडर किया गया और वर्तमान में कार्य प्रगति पर है। इस प्रकार लॉस रिडक्शन वर्क के लिए दक्षिणांचल व पूर्वाचल कंपनी में कुल 8317 करोड़ खर्च किया जा रहा है। वहीं स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए कुल 12098 करोड़ खर्च किया जा रहा है। इस प्रकार स्मार्ट प्रीपेड मीटर और लॉस रिडक्शन में कुल 20415 करोड़ की धनराशि खर्च की जा रही है, जिससे दोनों बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
भारत सरकार और नियामक आयोग से आदेश पारित
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि जब दोनों बिजली कंपनियों पर 20415 करोड़ खर्च करके उसे आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है और इसे लेकर भारत सरकार और विद्युत नियामक आयोग ने अपना आदेश भी पारित कर दिया है। तो किसी भी आत्मनिर्भर बिजली कंपनी को निजी घराने को देना प्रदेश और देश की जनता के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा। संगठन ने आरोप लगाया कि इस पूरी डील में कुछ बड़े नौकरशाह शामिल हैं। इसलिए पूरे मामले की सीबीआई जांच कराना बहुत जरूरी है। इस वजह से प्रधानमंत्री से इसकी अपील की गई है।
सरकार के खर्च का निजी सेक्टर उठाएंगे लाभ
संगठन ने दलील दी कि बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार कुल खर्च का 60 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश सरकार 40 फीसदी दे रही है। ऐसे में दोनों सरकारी बिजली कंपनी को आत्मनिर्भर बनाकर किसी निजी घराने को देन कहां तक उचित होगा, इसलिए यह जांच का विषय है। दोनों बिजली कंपनियों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का जो क्लस्टर बनाया गया है, इस क्लस्टर के आधार पर पांच नई बिजली कंपनियां तैयार हो रही हैं, जिनका निजीकरण होना है। इसलिए पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच बेहद जरूरी है।
Also Read
10 Dec 2024 10:42 AM
राशिद नसीम के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। उत्तर प्रदेश में पहली बार इस अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। राशिद नसीम पर 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का आरोप है। और पढ़ें