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Uttar Pradesh Ground Breaking Ceremony : एक्सप्रेसवे के निर्माण में इतिहास रच रहा यूपीडा, डिफेंस कॉरिडोर से मेक इन इंडिया पर फोकस

एक्सप्रेसवे के निर्माण में इतिहास रच रहा यूपीडा, डिफेंस कॉरिडोर से मेक इन इंडिया पर फोकस
UPT | एक्सप्रेसवे के निर्माण में इतिहास रच रहा यूपीडा

Feb 14, 2024 20:30

उत्तर प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने के साथ हर क्षेत्र की जरूरत को ध्यान में रखते हुए एक्सप्रेसवे बनाने का काम शुरू हुआ। इसी के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) का गठन किया गया था।

Feb 14, 2024 20:30

Short Highlights
  • एक्सप्रेसवे के निर्माण में यूपीडा की अहम भूमिका
  • स्वर्णिम चतुर्भज के साथ बनेगा एक्सप्रेसवे का नेटवर्क
  • सात इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की तैयारी
Lucknow News : विकास की रफ्तार में सड़कों और एक्सप्रेसवे का बड़ा योगदान होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाने के साथ हर क्षेत्र की जरूरत को ध्यान में रखते हुए एक्सप्रेसवे बनाने का काम शुरू हुआ। इसी के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) का गठन किया गया था। इसका मकसद उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में एक्सप्रेसवे परियोजनाओं को बनाना और उन्हें क्रियान्वित करना है। 

इन बड़ी परियोजनाओं से जुड़ा यूपीडा का नाम
 
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे
इस एक्सप्रेसवे की लम्बाई 302.222 किमी है। यह एक्सप्रेसवे एलिवेटेड है। एक्सप्रेसवे पर प्रवेश और निकासी के लिए इंटरचेंज बनाए गए हैं। यह आगरा (इनर रिंग रोड) से शुरू होकर फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, हरदोई, कानपुर नगर, उन्नाव होते हुए लखनऊ में मोहान रोड पर ग्राम सरोसा-भरोसा में समाप्त होता है। एक्सप्रेसवे पर 13 लंबे पुल बनाए गए हैं, जिनमें गंगा नदी पर 750 मीटर लंबाई और यमुना नदी पर 515 मीटर लम्बाई का सेतु शामिल है। लखनऊ और आगरा के निकट दो मुख्य टोल प्लाजा बने हैं। 1,15,270 करोड़ रुपये परियोजना पर कुल खर्च (भूमि लागत के अतिरिक्त) हुए और 2016 में लोकार्पण किया गया।

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
बुंदेलखंड क्षेत्र में विकास के लिए राज्य सरकार ने चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर व जालौन जैसे आर्थिक रूप से कम विकसित जिलों के समग्र विकास के लिए एक्सप्रेसवे शुरू किया। यह बुंदेलखंड क्षेत्र को देश की राजधानी दिल्ली से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे एवं यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से जोड़ता है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाएगा। झांसी-इलाहाबाद राष्ट्रीय मार्ग संख्या-35 भरतकूप के पास जनपद चित्रकूट से शुरू होकर ग्राम कुदरैल के पास जनपद इटावा में समाप्त होता है। इसकी कुल लंबाई 296.070 किलोमीटर है। इसमें कुल चार रेलवे ओवर ब्रिज, 14 लंबे सेतु, छह टोल प्लाजा, 07 रैम्प प्लाजा, 286 लघु सेतु, 18 फ्लाई ओवर का निर्माण हुआ है। 16 जुलाई 2022 को इस एक्सप्रेसवे का लोकार्पण किया गया।

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे
चार लेन के एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 91.352 किमी है। इस पर  5876.67 करोड़ रुपये (भूमि लागत सहित) खर्च होंगे। 
यह गोरखपुर बाईपास (राष्ट्रीय राजमार्ग-27) पर जैतपुर ग्राम के निकट शुरू होकर सालारपुर (जनपद- आजमगढ़) में समाप्त होगा। यह पूरी तरह एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे है। लिंक रोड एक्सप्रेसवे को वाराणसी के साथ एक अलग लिंक रोड के माध्यम से जोड़ा जाना है। यह परियोजना ईपीसी मॉडल पर आधारित है।

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे 
यह लखनऊ-सुल्तानपुर रोड एन.एच-731 पर स्थित ग्राम-चांदसराय, से शुरू होकर यूपी-बिहार सीमा से 18 किमी पूर्व एन.एच 19  ग्राम-हैदरिया, जनपद गाजीपुर में समाप्त होता है। इस सिक्स लेन एक्सप्रेसवे की कुल लम्बाई 340.824 किमी है। परियोजना पर  22,494.66 करोड़ (भूमि लागत सहित) खर्च किए गए। परियोजना को आठ पैकेजों में बांटा गया और 36 माह में पूरा किया गया। एक्सप्रेसवे का उद्घाटन 16 नवंबर, 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी ने किया।

रक्षा उद्योग में विदेशी निर्भरता को कम करने की पहल
भारतीय रक्षा उद्योग को उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से रफ्तार मिलेगी। अब देश न केवल रक्षा बाजार के विस्तार पर ध्यान दे रहा है, बल्कि 'मेक इन इंडिया' योजना के तहत स्वदेशी विनिर्माण को मजबूती मिल रही है। भारतीय सेनाएं दुनिया की दूसरे सबसे बड़ी सशस्त्र सेना है। देश रक्षा और एयरोस्पेस उपकरणों पर काफी पैसा खर्च करता है। भारत हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में एक है। भारतीय रक्षा बाजार को मजबूत और विकसित करने के मकसद से फैसला लिया गया था कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे। 2018-19 के केंद्रीय बजट के दौरान इसकी घोषणा की गई थी। उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (यूपीडीआईसी) एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र की विदेशी निर्भरता को कम करना है। 11 अगस्त 2018 को अलीगढ़ में आयोजित बैठक में रक्षा उत्पादन में 3700 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की घोषणा हुई।

स्वर्णिम चतुर्भज के साथ एक्सप्रेसवे का नेटवर्क
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) को राज्य की विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर इस परियोजना को पूरा करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया था। लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट, इन छह नोड्स को देखते हुए यह योजना बनाई गई है, जो उत्तर प्रदेश के मध्य, पूर्व, पश्चिम क्षेत्र में फैली है। यह दिल्ली-कोलकाता को जोड़ने वाले स्वर्णिम चतुर्भुज के साथ एक्सप्रेसवे के नेटवर्क से भी जुड़ी है। इस कॉरिडोर का उद्देश्य राज्य को सबसे बड़े और उन्नत रक्षा विनिर्माण केंद्रों में से एक के रूप में स्थापित करना एवं विश्व मानचित्र पर लाना है।

सात इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनेंगे
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे सात नए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की भी योजना है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इससे आसपास के जिलों में रोजगार बढ़ेंगे। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना का बजट 3500 करोड़ रुपये के करीब होगा। पांच इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे होंगे और दो इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निकट होंगे। हर इंडस्ट्रियल गलियारे के लिए 500 करोड़ रुपये जुटाने को कहा गया था। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनने से औद्योगिक इकाइयों को माल की ढुलाई आसान हो जाएगी। औद्योगिक कॉरिडोर विभिन्न उद्योगों को बुनियादी ढांचा प्रदान करते हैं। हर गलियारे के लिए शुरुआती चरण में किसानों से 100-100 एकड़ जमीन खरीदी या अधिग्रहित की जाएगी। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) को कम से कम समय में जमीन का इंतजाम करने को कहा गया। यूपीडा की तरफ से चयनित सलाहकार कंपनी ने लखनऊ से गाजीपुर तक बने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे पांच जगहों की पहचान भी कर ली है। 

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