राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक, डॉ. सूर्यांश ओझा ने बताया कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल सर्दी के दौरान नवजात और बच्चों की बीमारियों के इलाज के लिए पूरी तरह तैयार हैं। स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट जैसी सुविधाएं नवजातों को भर्ती करने और इलाज मुहैया कराने के लिए उपलब्ध हैं।
ठंड के साथ नवजातों पर खतरा बढ़ा : चिकित्सक बोले- हाइपोथर्मिया, निमोनिया और बुखार होने पर फौरन पहुंचे अस्पताल
Dec 16, 2024 19:22
Dec 16, 2024 19:22
नवजातों के लिए स्तनपान का महत्व
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ. शालिनी त्रिपाठी के अनुसार, नवजात शिशु के लिए स्तनपान बेहद जरूरी है। जन्म से छह माह तक केवल मां का दूध शिशु को संक्रमण से बचाने और रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। डॉ. शालिनी ने कहा कि नवजात शिशु, यानी जन्म के 28 दिनों तक के बच्चों की देखभाल बेहद सतर्कता के साथ करनी चाहिए। खासतौर पर सर्दियों में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए यह अवधि अधिक संवेदनशील होती है।
संस्थागत प्रसव से मिलता है बेहतर देखभाल का आश्वासन
डॉ. शालिनी ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव नवजात शिशुओं के लिए सुरक्षित होता है। अस्पतालों में मौजूद नवजात शिशु देखभाल कार्नर (NBC) पर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की सारी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। उन्होंने कहा कि सर्दी के इस मौसम में बच्चों को निमोनिया होने का अधिक खतरा रहता है, जो बैक्टीरिया और वायरस से फैल सकता है।
निमोनिया : एक गंभीर बीमारी
निमोनिया बच्चों में बैक्टीरिया और वायरस के कारण होने वाली एक आम बीमारी है। यह संक्रमण खांसी या छींक के माध्यम से फैल सकता है। एडिशनल प्रोफेसर डॉ. शालिनी ने बताया कि निमोनिया से फेफड़ों की थैलियों में सूजन आ जाती है और तरल पदार्थ जमा हो जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। स्कूल जाने वाले बच्चों में इसका कारण वायरस होता है, जबकि वयस्कों में बैक्टीरिया मुख्य कारण है।
नवजात बीमार हो तो क्या करें?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक, डॉ. सूर्यांश ओझा ने बताया कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल सर्दी के दौरान नवजात और बच्चों की बीमारियों के इलाज के लिए पूरी तरह तैयार हैं। स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (SNCU) जैसी सुविधाएं नवजातों को भर्ती करने और इलाज मुहैया कराने के लिए उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को बच्चों को ठंड से बचाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए और किसी भी स्वास्थ्य समस्या के संकेत मिलते ही तुरंत अस्पताल में दिखाना चाहिए।
ये लक्षण दिखें तो अस्पताल पहुंचें
- सांस लेने में दिक्कत और दूध पीने में परेशानी।
- सांस छोड़ते समय घरघराहट की आवाज, खांसी और बलगम।
- बुखार, सुस्ती या लगातार रोना।
- ठंड लगने के बाद उल्टी या दस्त।
स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया : यह बैक्टीरिया बच्चों में बैक्टीरियल निमोनिया का प्रमुख कारण है। संक्रमित व्यक्ति की छींक या खांसी के जरिए यह फैलता है।
हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी : यह निमोनिया का दूसरा सबसे आम कारण है और खांसी या छींक के माध्यम से फैलता है।
रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV) : यह बच्चों और बुजुर्गों में गंभीर श्वसन संकट का कारण बनता है।
निमोनिया से बचाव के उपाय
- नियमित टीकाकरण करवाएं।
- हाथों की स्वच्छता बनाए रखें।
- धूम्रपान से बचें।
- पोषक और संतुलित आहार लें।
- घर को गर्म और साफ रखें।
- बच्चों को अधिक ठंडी जगहों पर ले जाने से बचें।
डॉक्टरों और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, नवजात शिशुओं को सर्दियों में ज्यादा ठंडी हवा, धूल और गंदगी से दूर रखना चाहिए। बच्चों को गर्म कपड़े पहनाएं और सीधे हीटर या ब्लोअर के संपर्क में न लाएं। नवजात की नियमित जांच कराएं और किसी भी समस्या के संकेत मिलने पर देरी न करें।
Also Read
16 Dec 2024 09:46 PM
लखनऊ विश्वविद्यालय लवि में जर्जर हो रहे छात्रसंघ भवन के जीर्णोद्धार को लेकर सोमवार को समाजवादी छात्रसभा के बैनर तले छात्रों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया। और पढ़ें