ऐसे हैं नोएडा के 'मोदी' : इस वट वृक्ष के नीचे जो गया, फिर नहीं दिखा आसपास, ये तीन लोग अब भी हैं खास...

इस वट वृक्ष के नीचे जो गया, फिर नहीं दिखा आसपास, ये तीन लोग अब भी हैं खास...
UPT | लोकसभा चुनाव-2024

Feb 22, 2024 17:17

फोनरवा अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा भाजपा से पहले 2022 में समाजवादी पार्टी से जुड़े थे। हालांकि स्थानीय सपा नेताओं का कहना है कि पिछले करीब डेढ़ साल से योगेंद्र पार्टी में निष्क्रिय थे। योगेंद्र शर्मा कोई पहले व्यक्ति नहीं हैं...

Feb 22, 2024 17:17

Short Highlights
  • फोनरवा के अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा ने थामा भाजपा का दामन
  • तीन बड़े भाजपा नेता जिनका बचा हुआ है अपना अस्तित्व
  • विभिन्न दलों के नेता अपने नए ठिकाने की तालाश में
Noida News : लोकसभा चुनाव-2024 की घोषणा भारत चुनाव आयोग आने वाले दिनों में या यूं कहें मार्च के पहले-दूसरे सप्ताह तक कर देगा। किन्तु, लोकसभा को सबसे ज्यादा 80 सांसद देने वाले उत्तर प्रदेश में अघोषित चुनावी बिगुल फुंक चुका है। पार्टियों के छोटे-बड़े नेताओं का पाला बदलने का खेल भी इस वक्त चरम पर है। पल-पल प्रदेश की राजनीति की आबोहवा में कभी नमीं तो कभी सूखापन महसूस किया जा रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी नोएडा भी कैसे अछूती रह सकती है। यहां भी विभिन्न दलों के नेता अपने नए ठिकाने की खोज में लगे हैं।

पाला बदलने वाले योगेंद्र अकेले नहीं
नोएडा के राजनीतिक आकाश के चमकते चेहरे लगातार तीसरी बार फोनरवा के अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा ने बुधवार को भाजपा के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करते हुए लखनऊ में पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। फोनरवा अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा भाजपा से पहले 2022 में समाजवादी पार्टी से जुड़े थे। हालांकि स्थानीय सपा नेताओं का कहना है कि पिछले करीब डेढ़ साल से योगेंद्र पार्टी में निष्क्रिय थे। योगेंद्र शर्मा कोई पहले व्यक्ति नहीं हैं, जिन्होंने पाला बदलकर सांसद डॉ. महेश शर्मा रूपी छतरी के नीचे आना स्वीकार किया है। इससे पहले भी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के कई कद्दावर नेता भाजपा में शामिल हुए हैं। लेकिन, आज उनकी स्थिति क्या है और वे कहां हैं, इस पर भी एक नजर डाल लेते हैं। कहा जाता है कि वट ऐसा वृक्ष होता है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसके नीचे कभी कोई पेड़ या पौधे पनप ही नहीं सकता है।

कांग्रेसी से हुए भाजपाई
राजेंद्र अवाना : पूर्व में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष और यूपीसीसी मेंबर। पूर्व में दादरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर एमएलए का चुनाव लड़ा, किन्तु हार गए। भाजपा ज्वाइन की। आज हाशिए पर।
डॉ. वीएस चौहान : पूर्व कांग्रेसी और पार्टी के टिकट पर विधायक का चुनाव भी लड़ा। भाजपा में आए, लेकिन आज कोई हैसियत नहीं।

सपाई जो हुए भाजपाई
नरेंद्र भाटी :
जिले से मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के बेहद करीबी गुर्जर नेता नरेंद्र भाटी को कौन नहीं जानता। पूर्व में विधायक का चुनाव और एमएलसी बनकर सपा सरकार में दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री भी रहे। भाजपा में आए। कहने को एमएलसी हैं, लेकिन पहले वाला दबदबा नहीं।
बिजेंद्र भाटी : पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और सपा के कद्दावर नेता ने भी भाजपा का दामन थामा, लेकिन इसके बाद आज कोई नाम लेने वाला नहीं।

बसपाई जो बन गए भाजपाई
वेदराम भाटी : बसपा सरकार में जिले के कद्दावर नेता और कैबिनेट मिनिस्टर रहे। किन्तु, भाजपा में पहुंचे और चुनाव भी लड़ा, लेकिन आज कहीं नाम नहीं।
सतबीर गुर्जर : दादरी विधानसभा क्षेत्र से दो बार बसपा के टिकट पर विधायक बने। साल-2022 के विधानसभा चुनावों ने भाजपा का दामन थाम लिया और अब पिक्चर से गायब।

जिले के बड़े भाजपाई भी अब कहीं नहीं
अब से कोई 25 वर्ष पहले गौतमबुद्ध नगर खुर्जा लोकसभा सीट के नाम से जानी जाती थी। उस समय यहां बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता हुआ करते थे। उनमें खुर्जा लोकसभा सीट से चार बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे अशोक प्रधान, दादरी विधानसभा सीट से दो बार के एमएलए और यूपी सरकार में मंत्री रहे नवाब सिंह नागर, डॉ. वीएस चौधरी, हरिश्चंद भाटी, जुगराज चौहान जैसे तमाम नेताओं के नाम शुमार थे। लेकिन, ये आज सियासी गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं।

सिर्फ ये तीन नाम, जो चमके
गौतमबुद्ध नगर के तीन बड़े भाजपा नेता ऐसे हैं, जो अपनी पूर्व पार्टियों को छोड़कर भाजपा में न सिर्फ अपना अस्तित्व बचाने में कामयाब रहे, बल्कि आज प्रदेश और देश की राजनीति में एक बड़ा मुकाम भी हासिल कर चुके हैं। इनमें नाम आता है जेवर विधायक ठा. धीरेंद्र सिंह का, जो दो बार से भाजपा के विधायक हैं और प्रदेश सरकार में इनका अपना एक मुकाम है। दूसरे हैं राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर। जो भाजपा की मुख्य कार्यकारिणी में महासचिव के साथ-साथ राज्यसभा के उपाध्यक्ष भी हैं। तीसरे नंबर पर आता है दादरी विधानसभा से दो बार के विधायक तेजपाल नागर का।

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