Vivo Plant in Greater Noida : ग्रेटर नोएडा में बनेगा वीवो का सबसे बड़ा प्लांट, सैमसंग को छोड़ देगा पीछे

ग्रेटर नोएडा में बनेगा वीवो का सबसे बड़ा प्लांट, सैमसंग को छोड़ देगा पीछे
UPT | Vivo Plant in Greater Noida

Jun 18, 2024 19:30

अब तक गौतमबुद्ध नगर में सैमसंग मोबाइल कंपनी का सबसे बड़ा प्लांट है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हुआ था। लेकिन अब क्षेत्रफल और रोजगार की दृष्टि से देखा जाए तो सैमसंग कंपनी पीछे होने जा रही है...

Jun 18, 2024 19:30

Short Highlights
  • ग्रेटर नोएडा में वीवो कंपनी का सबसे बड़ा प्लांट लगेगा
  • गौतमबुद्ध नगर में सैमसंग मोबाइल कंपनी का सबसे बड़ा प्लांट है
  • करीब 3000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा
Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। जहां वीवो कंपनी का सबसे बड़ा प्लांट लगेगा। बता दें कि अब तक गौतमबुद्ध नगर में सैमसंग मोबाइल कंपनी का सबसे बड़ा प्लांट है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हुआ था। लेकिन अब क्षेत्रफल और रोजगार की दृष्टि से देखा जाए तो सैमसंग कंपनी पीछे होने जा रही है। क्योंकि आने वाले समय में वीवो कंपनी अपना सबसे बड़ा प्लांट ग्रेटर नोएडा में खोलेगी। जानकारी के अनुसार, इसमें करीब 3000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा। इस प्लांट को अगले माह जुलाई में शुरू किया जा सकता है। यह भारत के सबसे बड़े मोबाइल प्लांट में से एक होगा। जहां सालाना तौर पर 120 मिलियन स्मार्टफोन को बनाया जा सकेगा।

टाटा समूह से चल रही बातचीत 
दरअसल, इससे पहले वीवो कंपनी ने संभावित संयुक्त उद्यम (Joint venture) के बारे में टाटा समूह, मुरुगप्पा समूह और भारतीय अनुबंध निर्माता डिक्सन टेक्नोलॉजीज के साथ इस बारे में बातचीत की थी। लेकिन दाम को लेकर बात नहीं बन पाई और ये चर्चा वहीं रुक गई। जिसके बाद अब वीवो भारत में नए साझेदार की तलाश में है।  हाल ही में, कंपनी ने अपनी लीज्ड विनिर्माण सुविधा को छोड़ा, जिसकी वार्षिक क्षमता 40 मिलियन डिवाइस थी। बता दें कि इस संयंत्र को अब माइक्रोमैक्स इंफॉर्मेटिक्स की विनिर्माण इकाई भगवती एंटरप्राइजेज ने अधिग्रहित कर लिया है। जिसके बाद वीवो की नई सुविधा ग्रेटर नोएडा में 170 एकड़ में फैली हुई है और इसकी वार्षिक विनिर्माण क्षमता 120 मिलियन यूनिट है। वहीं सूत्रों के अनुसार, टाटा समूह वीवो में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए बातचीत कर रहा है। फिलहाल यह बातचीत मूल्यांकन को अंतिम रूप देने पर केंद्रित है।

सरकार ने लागू किए थे कड़े नियम
इसके अलावा, भारत सरकार भारतीय और चीनी कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यमों को इस शर्त के तहत मंजूरी दे सकती है कि भारतीय भागीदार के पास स्थानीय इकाई में कम से कम 51 प्रतिशत की बहुलांश हिस्सेदारी हो। इससे पहले साल 2020 में, भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच, सरकार ने कड़े नियम लागू किए थे, जिसके तहत भारत के साथ सीमा साझा करने वाले पड़ोसी देशों की कंपनियों को निवेश करने से पहले सरकार से मंजूरी लेनी पड़ेगी। इस नीति से कई संभावित परियोजनाओं में देरी हुई। हालांकि, सरकार के दृष्टिकोण में बदलाव दिखाई देता है, क्योंकि अब यह भारत के हितों की रक्षा सुनिश्चित करते हुए इन सहयोगी उपक्रमों को सुविधाजनक बनाने की इच्छा दिखाती है।

वीवो के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
गौरतलब है कि चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी भी सरकार की नियामक जांच के दायरे में है। वीवो वर्तमान में धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) के तहत एक मामले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में है। दरअसल, ईडी ने आरोप लगाया है कि वीवो ने भारत सरकार के साथ धोखाधड़ी की हो सकती है, जिसके कारण जांच एजेंसी ने 3 फरवरी, 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। इस दौरान ईडी ने आरोप लगाया कि भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए वीवो ने अवैध रूप से 62,476 करोड़ रुपये चीन को ट्रांसफर किए थे।

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