Dhanteras 2024 : धनतेरस पर 100 साल बाद त्रिग्रही योग का दुर्लभ संयोग, इस विधि से पूजा करने पर बरसेगी लक्ष्मी की कृपा

धनतेरस पर 100 साल बाद त्रिग्रही योग का दुर्लभ संयोग, इस विधि से पूजा करने पर बरसेगी लक्ष्मी की कृपा
UPT | Dhanteras 2024

Oct 29, 2024 08:51

इस साल धनतेरस की तिथि पर 100 साल बाद त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का महासंयोग भी बनेगा।

Oct 29, 2024 08:51

Short Highlights
  • कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस पर्व
  • धन की देवी लक्ष्मी और गणेश के साथ कुबेर की पूजा 
  • पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06.31 से रात 08:13 तक
Dhanteras 2024: आज धनतेरस पर्व मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस पर धन की देवी मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर महाराज की पूजा की जाती है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा का विधान है। इससे परिवार में खुशियां व सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक धनतेरस के दिन स्वास्थ्य के भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है। इस दिन धन्वंतरि भगवान ने समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर अवतार लिया था। 

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का महासंयोग भी 
ज्योतिष गणना के आधार पर इस साल धनतेरस की तिथि पर 100 साल बाद त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का महासंयोग भी बनेगा। ऐसे में उपचार के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा करना बेहद लाभकारी साबित होगा। आइए इस दिन की पूजा विधि के बारे में जानते हैं।

धनतेरस पर पूजा विधि
धनतेरस के त्योहार पर सुबह ही स्नान कर लेना चाहिए। फिर स्वच्छ वस्त्रों को धारण कर लें। अब घर की साफ-सफाई करें। इस दौरान मंदिर की सफाई पर अधिक जोर दें। फिर सूर्य देव को जल अर्पित करें। पूजा के लिए सबसे पहले चौकी लगाएं। उसपर लाल रंग का साफ वस्त्र बिछाएं। मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर जी की प्रतिमा को विराजमान करें।
इसके बाद दीपक जलाकर चंदन का तिलक लगाएं और आरती करें। इस दौरान कुबेर जी के मंत्र ॐ ह्रीं कुबेराय नमः का 108 बार जप करें और धन्वंतरी स्तोत्र का पाठ करें। फल समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। श्रद्धा अनुसार दान करें। इससे धन लाभ के योग बनते हैं।

धनतेरस 2024 पर खरीदारी और पूजा का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 06: 31 से रात  08:13 तक
प्रदोष काल: शाम 05:38 से रात 08:13 मिनट तक
वृषभ काल: शाम 06: 31  से रात 09: 27 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त:  सुबह 04: 48 से सुबह 05:40 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 01: 56 से 02: 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:38 से 06: 04 मिनट तक
 

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